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एनडीए के बेटिकट 12 सांसद, बगावत या भितरघात के रास्ते पर चलकर किसका बिगाड़ेंगे खेल - lok sabha election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

lok sabha election 2024 लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल फूंक चुका है. उम्मीदवारों के नामों की घोषणा हो रही है. एनडीए ने 2019 लोकसभा चुनाव में जीते 39 सांसदों में से 12 को बे टिकट कर दिया. कुछ का टिकट काटा गया तो कुछ को सीट एडजस्टमेंट में बलि का बकरा बनाया गया. इसके बाद से राजनीतिक गलियारे में सवाल उठ रहें हैं कि क्‍या बेटिकट किये गये नेता गठबंधन या दल से बगावत कर चुनावी मैदान में कूदेंगे. ऐसा करते हैं तो बिहार में एनडीए का मिशन 40 का क्या होगा. पढ़ें, विस्तार से

एनडीए में बगावत या भितरघात.
एनडीए में बगावत या भितरघात.
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 3, 2024, 9:44 PM IST

एनडीए में बगावत या भितरघात.

पटना: लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए के सभी घटक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है. एनडीए के 12 सांसदों को टिकट नहीं मिला है. जदयू के चार, भाजपा के चार और लोक जनशक्ति पार्टी के चार सांसद टिकट नहीं हासिल कर सके हैं. गठबंधन धर्म के पालन के लिए किसी नेता का टिकट कटा है तो किसी का टिकट पार्टी ने काटा है. 12 सांसदों के टिकट कटने से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन खेमे के बड़े नेता असहज हैं.

भविष्य की रणनीति पर कर रहे हैं विमर्शः 2019 के लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक वोट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले अजय निषाद का भी टिकट कट गया. अजय निषाद ने टिकट कटने के साथ ही ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा था कि वह हर हाल में चुनाव लड़ेंगे. उनके ऊपर कार्यकर्ताओं का दबाव है. आखिरकार अजय निषाद ने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया. मिल रही जानकारी के मुताबिक अजय निषाद को कांग्रेस पार्टी मुजफ्फरपुर से उम्मीदवार बना सकती है.

"जो सांसद चुनाव लड़ना चाहते थे और उन्हें टिकट नहीं मिला तो उन्हें निराशा जरूर हुई है. वह भितरघात करेंगे इस बात की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. अजय निषाद ने पाला बदल लिया. छेदी पासवान संपर्क में हैं. पाला बदलने वाले नेता एनडीए को नुकसान जरूर पहुंचा सकते हैं."- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, राजनीतिक विश्लेषक

दिल्ली में डेरा डाले हैं छेदी पासवानः सासाराम से भाजपा के निर्वतमान सांसद छेदी पासवान भी टिकट कटने से नाराज हैं. छेदी पासवान ने अब तक पार्टी के फैसले को लेकर कुछ भी नहीं कहा है. उन्होंने अपना मोबाइल भी बंद कर रखा है. फिलहाल वह दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. कांग्रेस सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक वह कांग्रेस पार्टी के संपर्क में हैं. आपको बता दें कि सासाराम सुरक्षित सीट है, और वह कांग्रेस पार्टी के खाते में गयी है. कांग्रेस ने अब तक सासाराम लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवार का नाम फाइनल नहीं किया है.

शिवहर में भितरघात की आशंकाः शिवहर से भाजपा की सीटिंग एमपी रामादेवी का भी टिकट कटा है. शिवहर सीट पर लवली आनंद को चुनाव लड़ाने के लिए जदयू ने भाजपा से यह सीट ली है. जदयू ने लवली आनंद को टिकट दिया है. वैसे तो रमा देवी पार्टी के साथ होने की बात कह रही हैं. पर कहीं ना कहीं नाराजगी उनके अंदर भी है. अब तक राष्ट्रीय जनता दल ने शिवहर सीट पर उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है. बक्सर से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे को टिकट नहीं दिया है. वहां से मिथिलेश तिवारी को उम्मीदवार बनाया गया है. अश्विनी चौबे ने मीडिया के सामने अब तक नाराजगी तो जाहिर नहीं की है, लेकिन बक्सर में चुनाव प्रचार भी नहीं कर रहे हैं.

"जिन सांसदों का टिकट कटा है उस पर राष्ट्रीय जनता दल या फिर कांग्रेस की नजर है. अगर महागठबंधन वैसे नेताओं को टिकट दे देता है तो वैसे स्थिति में एनडीए को नुकसान हो सकता है. जहां तक सवाल बगावत या विद्रोह का है तो उसे एनडीए को कोई नुकसान होता नहीं दिखता है."- अरुण पांडे, राजनीतिक विश्लेषक

दो सांसदों ने जदयू नेतृत्व पर भरोसा जतायाः जदयू ने भी चार सांसदों को बेटिकट किया है. काराकाट सांसद महाबली सिंह, गया सांसद विजय मांझी, सीतामढ़ी सांसद सुनील कुमार पिंटू और सिवान की सांसद कविता सिंह का टिकट कटा है. महाबली सिंह और विजय मांझी ने नीतीश कुमार के नेतृत्व पर भरोसा जताया है. पार्टी लाइन के खिलाफ नहीं जाने का फैसला लिया है. सिवान सांसद कविता सिंह भी जदयू के प्रत्याशी विजयलक्ष्मी के लिए प्रचार कर रही हैं. सुनील कुमार पिंटू की जगह जदयू ने देवेश चंद्र ठाकुर को टिकट दिया है. सुनील कुमार पिंटू भाजपा से जदयू में गए थे. उन्होंने भाजपा के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की है. सीतामढ़ी सीट पर जदयू उम्मीदवार को भितरघात का सामना करना पड़ सकता है.

सीतामढ़ी में अगड़ी जाति पर दांवः आपको बता दें कि 1952 के बाद से सीतामढ़ी सीट पर एक भी अगड़ी जाति का सांसद नहीं हुआ है. इस बार नीतीश कुमार ने अगड़ी जाति पर दांव लगाया है. खास बात यह है कि सीतामढ़ी, दरभंगा, शिवहर और मोतिहारी चारों सीटों पर अगड़ी जाति का उम्मीदवार बनाया गया है. इसे लेकर बनिया समाज में नाराजगी है. सीतामढ़ी सांसद सुनील कुमार पिंटू ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने मुझे सब कुछ दिया है. विधायक बनाया, सांसद बनाया और बिहार सरकार में मंत्री भी बना. मैंने जदयू छोड़ दिया है और फिलहाल अपनी पार्टी भाजपा के साथ हूं. पार्टी नेतृत्व का जो भी आदेश निर्देश होगा उसका मैं पालन करूंगा.

नवादा में गुंजन को मिल सकता है समर्थन: लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर जीते चार सांसद बेटिकट हो गए हैं. नवादा से चंदन सिंह, खगड़िया से महबूब अली कैसर, समस्तीपुर से प्रिंस राज और हाजीपुर से पशुपति पारस इस बार चुनाव मैदान में नहीं हैं. नवादा सीट पर इस बार सूरजभान सिंह के परिवार से कोई चुनाव नहीं लड़ रहा है. मिल रही जानकारी के मुताबिक भोजपुरी कलाकार और निर्दलीय उम्मीदवार गुंजन सिंह को चंदन सिंह की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर मदद मिल सकती है. मुंगेर लोकसभा सीट पर सूरजभान सिंह, जदयू सांसद ललन सिंह को मदद कर रहे हैं.

पारस ने एनडीए में जताई आस्थाः पशुपति पारस और प्रिंस राज ने बगावत नहीं करने का फैसला लिया है. जेपी नड्डा से मुलाकात कर एनडीए के प्रति आस्था व्यक्त की है. पशुपति पारस ने एनडीए को मजबूत करने की बात कही है. खगड़िया सांसद महबूब अली कैसर को भी टिकट नहीं मिला है. सांसद महबूब अली कैसर के पुत्र राष्ट्रीय जनता दल के विधायक हैं. खगड़िया सीट महागठबंधन में कम्यूनिष्ट पार्टी को मिली है. महबूब अली कैसर ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

इसे भी पढ़ेंः बिहार में BJP को बड़ा झटका, मुजफ्फरपुर से सांसद अजय निषाद ने थामा कांग्रेस का दामन - Lok Sabha Election 2024

इसे भी पढ़ेंः मुंगेर बन गया नीतीश के लिए लिटमस टेस्ट, लालू का चक्रव्यूह कैसे तोड़ेंगे ललन सिंह? - lok sabha election 2024

इसे भी पढ़ेंः बिहार में NDA की हैट्रिक रणनीति, 12 सांसद तीसरी बार लोकसभा चुनाव में आजमाएंगे तकदीर - Lok Sabha Election 2024

एनडीए में बगावत या भितरघात.

पटना: लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए के सभी घटक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है. एनडीए के 12 सांसदों को टिकट नहीं मिला है. जदयू के चार, भाजपा के चार और लोक जनशक्ति पार्टी के चार सांसद टिकट नहीं हासिल कर सके हैं. गठबंधन धर्म के पालन के लिए किसी नेता का टिकट कटा है तो किसी का टिकट पार्टी ने काटा है. 12 सांसदों के टिकट कटने से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन खेमे के बड़े नेता असहज हैं.

भविष्य की रणनीति पर कर रहे हैं विमर्शः 2019 के लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक वोट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले अजय निषाद का भी टिकट कट गया. अजय निषाद ने टिकट कटने के साथ ही ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा था कि वह हर हाल में चुनाव लड़ेंगे. उनके ऊपर कार्यकर्ताओं का दबाव है. आखिरकार अजय निषाद ने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया. मिल रही जानकारी के मुताबिक अजय निषाद को कांग्रेस पार्टी मुजफ्फरपुर से उम्मीदवार बना सकती है.

"जो सांसद चुनाव लड़ना चाहते थे और उन्हें टिकट नहीं मिला तो उन्हें निराशा जरूर हुई है. वह भितरघात करेंगे इस बात की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. अजय निषाद ने पाला बदल लिया. छेदी पासवान संपर्क में हैं. पाला बदलने वाले नेता एनडीए को नुकसान जरूर पहुंचा सकते हैं."- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, राजनीतिक विश्लेषक

दिल्ली में डेरा डाले हैं छेदी पासवानः सासाराम से भाजपा के निर्वतमान सांसद छेदी पासवान भी टिकट कटने से नाराज हैं. छेदी पासवान ने अब तक पार्टी के फैसले को लेकर कुछ भी नहीं कहा है. उन्होंने अपना मोबाइल भी बंद कर रखा है. फिलहाल वह दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. कांग्रेस सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक वह कांग्रेस पार्टी के संपर्क में हैं. आपको बता दें कि सासाराम सुरक्षित सीट है, और वह कांग्रेस पार्टी के खाते में गयी है. कांग्रेस ने अब तक सासाराम लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवार का नाम फाइनल नहीं किया है.

शिवहर में भितरघात की आशंकाः शिवहर से भाजपा की सीटिंग एमपी रामादेवी का भी टिकट कटा है. शिवहर सीट पर लवली आनंद को चुनाव लड़ाने के लिए जदयू ने भाजपा से यह सीट ली है. जदयू ने लवली आनंद को टिकट दिया है. वैसे तो रमा देवी पार्टी के साथ होने की बात कह रही हैं. पर कहीं ना कहीं नाराजगी उनके अंदर भी है. अब तक राष्ट्रीय जनता दल ने शिवहर सीट पर उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है. बक्सर से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे को टिकट नहीं दिया है. वहां से मिथिलेश तिवारी को उम्मीदवार बनाया गया है. अश्विनी चौबे ने मीडिया के सामने अब तक नाराजगी तो जाहिर नहीं की है, लेकिन बक्सर में चुनाव प्रचार भी नहीं कर रहे हैं.

"जिन सांसदों का टिकट कटा है उस पर राष्ट्रीय जनता दल या फिर कांग्रेस की नजर है. अगर महागठबंधन वैसे नेताओं को टिकट दे देता है तो वैसे स्थिति में एनडीए को नुकसान हो सकता है. जहां तक सवाल बगावत या विद्रोह का है तो उसे एनडीए को कोई नुकसान होता नहीं दिखता है."- अरुण पांडे, राजनीतिक विश्लेषक

दो सांसदों ने जदयू नेतृत्व पर भरोसा जतायाः जदयू ने भी चार सांसदों को बेटिकट किया है. काराकाट सांसद महाबली सिंह, गया सांसद विजय मांझी, सीतामढ़ी सांसद सुनील कुमार पिंटू और सिवान की सांसद कविता सिंह का टिकट कटा है. महाबली सिंह और विजय मांझी ने नीतीश कुमार के नेतृत्व पर भरोसा जताया है. पार्टी लाइन के खिलाफ नहीं जाने का फैसला लिया है. सिवान सांसद कविता सिंह भी जदयू के प्रत्याशी विजयलक्ष्मी के लिए प्रचार कर रही हैं. सुनील कुमार पिंटू की जगह जदयू ने देवेश चंद्र ठाकुर को टिकट दिया है. सुनील कुमार पिंटू भाजपा से जदयू में गए थे. उन्होंने भाजपा के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की है. सीतामढ़ी सीट पर जदयू उम्मीदवार को भितरघात का सामना करना पड़ सकता है.

सीतामढ़ी में अगड़ी जाति पर दांवः आपको बता दें कि 1952 के बाद से सीतामढ़ी सीट पर एक भी अगड़ी जाति का सांसद नहीं हुआ है. इस बार नीतीश कुमार ने अगड़ी जाति पर दांव लगाया है. खास बात यह है कि सीतामढ़ी, दरभंगा, शिवहर और मोतिहारी चारों सीटों पर अगड़ी जाति का उम्मीदवार बनाया गया है. इसे लेकर बनिया समाज में नाराजगी है. सीतामढ़ी सांसद सुनील कुमार पिंटू ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने मुझे सब कुछ दिया है. विधायक बनाया, सांसद बनाया और बिहार सरकार में मंत्री भी बना. मैंने जदयू छोड़ दिया है और फिलहाल अपनी पार्टी भाजपा के साथ हूं. पार्टी नेतृत्व का जो भी आदेश निर्देश होगा उसका मैं पालन करूंगा.

नवादा में गुंजन को मिल सकता है समर्थन: लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर जीते चार सांसद बेटिकट हो गए हैं. नवादा से चंदन सिंह, खगड़िया से महबूब अली कैसर, समस्तीपुर से प्रिंस राज और हाजीपुर से पशुपति पारस इस बार चुनाव मैदान में नहीं हैं. नवादा सीट पर इस बार सूरजभान सिंह के परिवार से कोई चुनाव नहीं लड़ रहा है. मिल रही जानकारी के मुताबिक भोजपुरी कलाकार और निर्दलीय उम्मीदवार गुंजन सिंह को चंदन सिंह की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर मदद मिल सकती है. मुंगेर लोकसभा सीट पर सूरजभान सिंह, जदयू सांसद ललन सिंह को मदद कर रहे हैं.

पारस ने एनडीए में जताई आस्थाः पशुपति पारस और प्रिंस राज ने बगावत नहीं करने का फैसला लिया है. जेपी नड्डा से मुलाकात कर एनडीए के प्रति आस्था व्यक्त की है. पशुपति पारस ने एनडीए को मजबूत करने की बात कही है. खगड़िया सांसद महबूब अली कैसर को भी टिकट नहीं मिला है. सांसद महबूब अली कैसर के पुत्र राष्ट्रीय जनता दल के विधायक हैं. खगड़िया सीट महागठबंधन में कम्यूनिष्ट पार्टी को मिली है. महबूब अली कैसर ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

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