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जहां नक्सलियों के डर से कांपते थे लोग, आज यहां सुनाई देता है बच्चों का ककहरा

नक्सली इलाके जमुई में बच्चे कभी घर से बाहर निकलने से डरते थे, लेकिन आज सुकून लौट आई है और बच्चे शिक्षा पा रहे हैं.

लाल आतंक खत्म.. शिक्षित हो रहे बच्चे
लाल आतंक खत्म.. शिक्षित हो रहे बच्चे (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 3 hours ago

जमुई: बिहार के जमुई के एक स्कूल को नक्सलियों ने साल 2009 में डायनामाइट लगाकर उड़ा दिया था. लोग यहां घरों से बाहर निकलने से भी कांपते थे. हर वक्त किसी अनहोनी का डर सताता था. लाल आतंक के दहशत से सभी परेशान थे, लेकिन आज इस घोर नक्सल प्रभावित इलाके की तस्वीर बदल चुकी है. अब बच्चे इसी स्कूल से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.

लाल आतंक खत्म.. शिक्षित हो रहे बच्चे: वरहट थाना क्षेत्र के अति नक्सल प्रभावित इलाका चोरमारा के सरकारी विद्यालय में बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ाई करने के लिए पहुंच रहे हैं. लेकिन आज से कुछ साल पहले यहां की हालत ऐसी नहीं थी. साल 2009 में इस स्कूल के भवन को दुर्दांत नक्सली बालेश्वर कोड़ा ने विस्फोट कर उड़ा दिया था.

शिक्षा की अलख (ETV Bharat)

"पहले जंगल के बीच आने पर मुझे ही डर लग रहा था. फिर गांव आकर मेरा डर खत्म हो गया. स्कूल भवन नहीं है. पांच क्लास तक बच्चे यहां पढ़ते हैं. इसे उत्क्रमित बना दिया जाएगा तो बच्चों को परेशानी नहीं होगी."- स्वीटी कुमारी, शिक्षिका

बदल चुकी है तस्वीर: नक्सली ने इस स्कूल को पूरी तरह से तबाह कर दिया था. मलबे के सिवाय यहां कुछ नहीं बचा था. ऐसे में सुरक्षा बलों और पुलिस ने मोर्चा संभाला और लगातार इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया गया. जिसके बाद 2022 में बालेश्वर कोड़ा ने आत्मसमर्पण कर दिया.

सुरक्षाबल रहते हैं तत्पर: अब विकास की किरणें यहां पहुंचने लगी है. पक्की सड़कें, पुल पुलिया, सरकारी स्कूल, सामुदायिक भवन आदि बनने लगे हैं. सुरक्षा के दृष्टिकोण से कई जगह सीआरपीएफ कैंप स्थापित किये गए हैं. स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों का कहना है कि अगर विद्यालय भवन बन जाए तो बच्चों को काफी सहूलियत होगी.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

"मैं 2007 से यहां पढ़ा रहा हूं. पहले दहशत का माहौल था, लेकिन अब हालात बदले हैं. हमारे आने के बाद पढ़ाई शुरू हुई. हमने कभी भी बच्चों को पढ़ाना नहीं छोड़ा. कैंप के कारण लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं. अभिभावक भी जागरूक हैं. स्कूल भवन का निर्माण नहीं हो पाया है. स्कूल भवन के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है."- मुकेश कुमार, शिक्षक

मुंगेर एसपी हमले में हुए थे शहीद: बता दें कि मुंगेर के एसपी केसी सुरेंद्र बाबू पर जमुई के इसी इलाके में नक्सलियों ने हमला किया था. जिसमें वे शहीद हो गए थे. वहीं अब लोग यहां चैन की सांस ले रहे हैं. जंगलों में जहां नक्सलियों के बड़े छोटे नेताओं का बसेरा रहता था, आज वहां सुरक्षाबलों के ट्रेनिंग कैंप हैं. इसके कारण लोगों में भी हिम्मत आई है.

गाड़ी को ब्लास्ट कर उड़ाया गया था: जानकारी के अनुसार 2005 में जब मुंगेर के तत्कालीन एसपी केसी चंद्र बाबू भीमबांध पहुंचे थे, तब वाहन को नक्सलियों ने रास्ते में विस्फोट कर उड़ा दिया था. मुठभेड़ में कई जवान घायल हो गए थे. सुरक्षाबल जब अभियान ऑपरेशन के दौरान किसी सरकारी विद्यालय में पड़ाव करते थे तो नक्सली उस विद्यालय को भी बारूद से उड़ा देते थे.

लाल आतंक खत्म.. शिक्षित हो रहे बच्चे
लाल आतंक खत्म.. शिक्षित हो रहे बच्चे (ETV Bharat)

2009 में स्कूल को नक्सलियों ने उड़ाया: उसी विद्यालय में एक था प्राथमिक विद्यालय 'चोरमारा', जिसे नक्सलियों ने 2009 में बारूद से उड़ा दिया था. बाद में भीमबांध, चोरमारा आदि गांवों के पास सुरक्षाबलों के स्थाई कैंम्प बनाये गए और सुरक्षाबलों द्वारा लगातार एंटी नक्सल ऑपरेशन अभियान चलाया गया. इसके कारण नक्सलियों के पैर उखड़ने लगे. इलाके के कई कुख्यात नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. कई मुठभेड़ में मारे गए.

बालेश्वर कोड़ा के सरेंडर के साथ ही आतंक का खात्मा: साल 2009 में चोरमारा में दुर्दान्त नक्सली बालेश्वर कोड़ा और अर्जुन कोडा का साम्राज्य कायम था. उक्त दस्ते ने ही विद्यालय भवन को विस्फोट कर उड़ा दिया था. बाद में सुरक्षाबलों और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई और लगातार चलाए जा रहे ऑपरेशन के कारण दुर्दांत नक्सली ने सरेंडर कर दिया था.

विस्फोट के बाद आज तक नहीं बना विद्यालय का भवन: 2013 में तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी के नेतृत्व में बैठक हुई थी. निर्णय लिया गया था कि ध्वस्त विद्यालय भवन का मलबा हटाकर नए विद्यालय भवन का निर्माण कराया जायेगा. मलबा तो हटा लेकिन निर्माण कार्य आजतक नहीं कराया जा सका है.

"विद्यालय में कमरे की उपलब्धता कम रहने के कारण बच्चों को परेशानी हो रही है. नए भवन निर्माण के लिए वरीय पदाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जायेगी."- तारकेश्वर प्रसाद मिश्र, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी

स्कूल में पढ़ते बच्चे
स्कूल में पढ़ते बच्चे (ETV Bharat)

ऐसे किया गया लोगों को जागरूक: इलाके के समुचित विकास और लोगों के मन से नक्सलियों का डर दूर करने के लिए सुरक्षाबलों ने ' सिविक एक्शन प्रोग्राम ' चलाकर गांव के ग्रामीणों का विश्वास जीता. मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया. निःशुल्क कई सारी सुविधाये मुहैया कराई गईं. अब लोग जागरूक हो रहे हैं. अभिभावक बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं और बच्चे शिक्षित हो रहे हैं.

15 साल बाद भी नहीं बना स्कूल का भवन: 15 वर्ष पूर्व चोरमारा प्राथमिक विद्यालय को नक्सलियो ने विस्फोट कर क्षतिग्रस्त कर दिया था. आज तक विभाग नए विद्यालय भवन का निर्माण नहीं करा पाई है. बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हैं. उक्त विद्यालय में 162 बच्चे नामांकित हैं, लेकिन मात्र दो कमरे के जर्ज़र विद्यालय रूम में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. शिक्षकों की मांग है कि स्कूल में कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई होती है. जबकि इसे उत्क्रमित करके कक्षा 8 तक की पढ़ाई की जाए.

हमलोगों ने ग्रामीणों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया. पहले लोग आना नहीं चाहते थे, लेकिन अब हालात बदल गया है. शिक्षा से ही माहौल बदल सकता है.-अभय, शिक्षक

पर्यटन के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है इलाका: यहां कुदरत ने भी दिल खोलकर अपनी नेमतें बरसायी हैं. लक्ष्मीपुर थाना क्षेत्र और मुंगेर जिले के गंगटा थाना क्षेत्र के बीच ' गर्म पानी के जल का स्रोत है, जहां सालों भर यहां पहाड़ की तलहटी से गर्म पानी निकलता है. दूर -दूर से पर्यटक सैलानी पहुंचते हैं. चारों तरफ घने जंगल, ऊंचे पहाड़, बड़े-बड़े पेड़, जगह -जगह बहता गर्म पानी प्रकृति की अद्भुत छटा मनोरम दृश्य पर्यटकों को लुभाती है.

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जिस स्कूल को नक्सलियों ने डायनामाइट ब्लास्ट कर उड़ाया था, वहां बनता है मतदान केंद्र, 4 साल से पढ़ाई बाधित

जमुई: बिहार के जमुई के एक स्कूल को नक्सलियों ने साल 2009 में डायनामाइट लगाकर उड़ा दिया था. लोग यहां घरों से बाहर निकलने से भी कांपते थे. हर वक्त किसी अनहोनी का डर सताता था. लाल आतंक के दहशत से सभी परेशान थे, लेकिन आज इस घोर नक्सल प्रभावित इलाके की तस्वीर बदल चुकी है. अब बच्चे इसी स्कूल से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.

लाल आतंक खत्म.. शिक्षित हो रहे बच्चे: वरहट थाना क्षेत्र के अति नक्सल प्रभावित इलाका चोरमारा के सरकारी विद्यालय में बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ाई करने के लिए पहुंच रहे हैं. लेकिन आज से कुछ साल पहले यहां की हालत ऐसी नहीं थी. साल 2009 में इस स्कूल के भवन को दुर्दांत नक्सली बालेश्वर कोड़ा ने विस्फोट कर उड़ा दिया था.

शिक्षा की अलख (ETV Bharat)

"पहले जंगल के बीच आने पर मुझे ही डर लग रहा था. फिर गांव आकर मेरा डर खत्म हो गया. स्कूल भवन नहीं है. पांच क्लास तक बच्चे यहां पढ़ते हैं. इसे उत्क्रमित बना दिया जाएगा तो बच्चों को परेशानी नहीं होगी."- स्वीटी कुमारी, शिक्षिका

बदल चुकी है तस्वीर: नक्सली ने इस स्कूल को पूरी तरह से तबाह कर दिया था. मलबे के सिवाय यहां कुछ नहीं बचा था. ऐसे में सुरक्षा बलों और पुलिस ने मोर्चा संभाला और लगातार इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया गया. जिसके बाद 2022 में बालेश्वर कोड़ा ने आत्मसमर्पण कर दिया.

सुरक्षाबल रहते हैं तत्पर: अब विकास की किरणें यहां पहुंचने लगी है. पक्की सड़कें, पुल पुलिया, सरकारी स्कूल, सामुदायिक भवन आदि बनने लगे हैं. सुरक्षा के दृष्टिकोण से कई जगह सीआरपीएफ कैंप स्थापित किये गए हैं. स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों का कहना है कि अगर विद्यालय भवन बन जाए तो बच्चों को काफी सहूलियत होगी.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

"मैं 2007 से यहां पढ़ा रहा हूं. पहले दहशत का माहौल था, लेकिन अब हालात बदले हैं. हमारे आने के बाद पढ़ाई शुरू हुई. हमने कभी भी बच्चों को पढ़ाना नहीं छोड़ा. कैंप के कारण लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं. अभिभावक भी जागरूक हैं. स्कूल भवन का निर्माण नहीं हो पाया है. स्कूल भवन के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है."- मुकेश कुमार, शिक्षक

मुंगेर एसपी हमले में हुए थे शहीद: बता दें कि मुंगेर के एसपी केसी सुरेंद्र बाबू पर जमुई के इसी इलाके में नक्सलियों ने हमला किया था. जिसमें वे शहीद हो गए थे. वहीं अब लोग यहां चैन की सांस ले रहे हैं. जंगलों में जहां नक्सलियों के बड़े छोटे नेताओं का बसेरा रहता था, आज वहां सुरक्षाबलों के ट्रेनिंग कैंप हैं. इसके कारण लोगों में भी हिम्मत आई है.

गाड़ी को ब्लास्ट कर उड़ाया गया था: जानकारी के अनुसार 2005 में जब मुंगेर के तत्कालीन एसपी केसी चंद्र बाबू भीमबांध पहुंचे थे, तब वाहन को नक्सलियों ने रास्ते में विस्फोट कर उड़ा दिया था. मुठभेड़ में कई जवान घायल हो गए थे. सुरक्षाबल जब अभियान ऑपरेशन के दौरान किसी सरकारी विद्यालय में पड़ाव करते थे तो नक्सली उस विद्यालय को भी बारूद से उड़ा देते थे.

लाल आतंक खत्म.. शिक्षित हो रहे बच्चे
लाल आतंक खत्म.. शिक्षित हो रहे बच्चे (ETV Bharat)

2009 में स्कूल को नक्सलियों ने उड़ाया: उसी विद्यालय में एक था प्राथमिक विद्यालय 'चोरमारा', जिसे नक्सलियों ने 2009 में बारूद से उड़ा दिया था. बाद में भीमबांध, चोरमारा आदि गांवों के पास सुरक्षाबलों के स्थाई कैंम्प बनाये गए और सुरक्षाबलों द्वारा लगातार एंटी नक्सल ऑपरेशन अभियान चलाया गया. इसके कारण नक्सलियों के पैर उखड़ने लगे. इलाके के कई कुख्यात नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. कई मुठभेड़ में मारे गए.

बालेश्वर कोड़ा के सरेंडर के साथ ही आतंक का खात्मा: साल 2009 में चोरमारा में दुर्दान्त नक्सली बालेश्वर कोड़ा और अर्जुन कोडा का साम्राज्य कायम था. उक्त दस्ते ने ही विद्यालय भवन को विस्फोट कर उड़ा दिया था. बाद में सुरक्षाबलों और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई और लगातार चलाए जा रहे ऑपरेशन के कारण दुर्दांत नक्सली ने सरेंडर कर दिया था.

विस्फोट के बाद आज तक नहीं बना विद्यालय का भवन: 2013 में तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी के नेतृत्व में बैठक हुई थी. निर्णय लिया गया था कि ध्वस्त विद्यालय भवन का मलबा हटाकर नए विद्यालय भवन का निर्माण कराया जायेगा. मलबा तो हटा लेकिन निर्माण कार्य आजतक नहीं कराया जा सका है.

"विद्यालय में कमरे की उपलब्धता कम रहने के कारण बच्चों को परेशानी हो रही है. नए भवन निर्माण के लिए वरीय पदाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जायेगी."- तारकेश्वर प्रसाद मिश्र, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी

स्कूल में पढ़ते बच्चे
स्कूल में पढ़ते बच्चे (ETV Bharat)

ऐसे किया गया लोगों को जागरूक: इलाके के समुचित विकास और लोगों के मन से नक्सलियों का डर दूर करने के लिए सुरक्षाबलों ने ' सिविक एक्शन प्रोग्राम ' चलाकर गांव के ग्रामीणों का विश्वास जीता. मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया. निःशुल्क कई सारी सुविधाये मुहैया कराई गईं. अब लोग जागरूक हो रहे हैं. अभिभावक बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं और बच्चे शिक्षित हो रहे हैं.

15 साल बाद भी नहीं बना स्कूल का भवन: 15 वर्ष पूर्व चोरमारा प्राथमिक विद्यालय को नक्सलियो ने विस्फोट कर क्षतिग्रस्त कर दिया था. आज तक विभाग नए विद्यालय भवन का निर्माण नहीं करा पाई है. बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हैं. उक्त विद्यालय में 162 बच्चे नामांकित हैं, लेकिन मात्र दो कमरे के जर्ज़र विद्यालय रूम में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. शिक्षकों की मांग है कि स्कूल में कक्षा 1 से 5 तक की पढ़ाई होती है. जबकि इसे उत्क्रमित करके कक्षा 8 तक की पढ़ाई की जाए.

हमलोगों ने ग्रामीणों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया. पहले लोग आना नहीं चाहते थे, लेकिन अब हालात बदल गया है. शिक्षा से ही माहौल बदल सकता है.-अभय, शिक्षक

पर्यटन के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है इलाका: यहां कुदरत ने भी दिल खोलकर अपनी नेमतें बरसायी हैं. लक्ष्मीपुर थाना क्षेत्र और मुंगेर जिले के गंगटा थाना क्षेत्र के बीच ' गर्म पानी के जल का स्रोत है, जहां सालों भर यहां पहाड़ की तलहटी से गर्म पानी निकलता है. दूर -दूर से पर्यटक सैलानी पहुंचते हैं. चारों तरफ घने जंगल, ऊंचे पहाड़, बड़े-बड़े पेड़, जगह -जगह बहता गर्म पानी प्रकृति की अद्भुत छटा मनोरम दृश्य पर्यटकों को लुभाती है.

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