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बस्तर में 4 दशक से काबिज नक्सलवाद क्यों पनपा और कैसे होगा खत्म, ETV भारत की ग्राउंड रिपोर्ट - Naxalism ruling In Bastar

Naxalism In Bastar बस्तर में ऐसा क्या है जिसके कारण नक्सलवाद की जड़ मजबूत है. किन कारणों से बस्तर के लोग नक्सल संगठन से जुड़े हैं. नक्सल समस्या के कारण किन परेशानियों का सामना बस्तरवासियों को करना पड़ रहा है. नक्सल समस्या खत्म होने से क्या होगा. गृह मंत्री विजय शर्मा के नक्सलियों से सुझाव मांगने की पहल से कितना लाभ मिलेगा. इस संवेदनशील मुद्दे पर ETV भारत ने खास पड़ताल की है. Suggestions From Naxalites

Suggestions From Naxalites
बस्तर में नक्सलवाद (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 24, 2024, 2:38 PM IST

Updated : May 24, 2024, 2:52 PM IST

बस्तर में नक्सलवाद (ETV Bharat Chhattisgarh)

बस्तर: छत्तीसगढ़ के बस्तर में पिछले चार दशकों से नक्सलवाद अपनी जड़े जमाए हुए हैं. बस्तर से जितना नक्सलवाद को खत्म करने की कोशिश की जा रही है उतना ही नक्सलवाद फैलता जा रहा है. हालांकि कई इलाके ऐसे हैं जहां से नक्सलियों ने अपने गाड़े हुए तंबू उखाड़ लिए या फिर ये कहे कि सुरक्षा बलों ने उखाड़ दिए. छत्तीसगढ़ की नई सरकार ने अगले कुछ सालों में बस्तर से नक्सलवाद को खत्म करने का बीड़ा उठाया है. एक तरफ सुरक्षा बलों को फ्री हैंड दिया गया है तो दूसरी तरफ सरकार नक्सलियों से बात करने के साथ ही सुझाव भी मांग रही है.

Naxalism in Bastar
बस्तर फाइटर्स (ETV Bharat Chhattisgarh)

चार दशक से बस्तर में क्यों पनप रहा नक्सलवाद? : भारत में यदि नक्सलवाद की बात करें तो सबसे पहले छत्तीसगढ़ के बस्तर का नाम आता है. घने जंगलों से घिरा बस्तर नक्सलियों के लिए मुफीद जगह बन चुका है. यहां की सामाजिक और भौगोलिक परिस्थितियों के कारण बस्तर, नक्सलगढ़ बन गया है. बस्तर में नक्सलवाद फैलने का बड़ा कारण गरीबी, अशिक्षा और विकास का ना होना है. इन सब मुद्दों के कारण यहां के भोले भाले लोग नक्सलियों के बहकावे में आए और उनसे जुड़ते चले गए. विशेष नक्सल जानकर व वरिष्ठ पत्रकार मनीष गुप्ता बताते हैं कि बस्तर में जिन इलाकों में सुविधाएं नहीं है वहां नक्सली पहुंचते हैं और अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हैं.

Naxalism in Bastar
बस्तर में मुठभेड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

नक्सली स्थानीय लोगों से मिलकर उनकी भाषा में उनकी संस्कृति में जुड़कर अपने आप से जोड़ते हैं. आमतौर पर कोर्ट, पुलिस और फॉरेस्ट की न्याय प्रकिया में देरी होती है. नक्सल संगठन संविधान को नहीं मानते हैं. वे अंदरूनी इलाकों में अपनी जन अदालत लगाकर लोगों को न्याय दिलाते हैं. किसी के साथ अन्याय होने पर उसके साथ मिलकर अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं. इसी कारण से नक्सलियों और ग्रामीणों के बीच मजबूत जुड़ाव है. इस जुड़ाव को सरकार अभी तक तोड़ नहीं पाई है.- मनीष गुप्ता, विशेष नक्सल जानकर व वरिष्ठ पत्रकार

नक्सलवाद खत्म होने से क्या होगा: बस्तर में वन और खनिज संपदा का भंडार है. यहां उद्योग नहीं लगे हैं, डेवलपमेंट नहीं हुआ है. बहुत से उद्योगों का रास्ता नक्सलियों ने बंद रखा है. बस्तर में नक्सलवाद खत्म होने से बस्तर की खनिज संपदा और वनोपज से जुडी इंडस्ट्री लग पायेगी. लोगों को रोजगार मिलेगा. अंदरूनी इलाकों में विकास होगा. जिससे बस्तरवासी आत्मनिर्भर होंगे. भय का वातावरण खत्म होगा. बस्तर में नक्सलवाद खत्म होने से बस्तर बहुत बड़ा पर्यटन का केंद्र बन सकता है.

बस्तर को प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है. उन इलाकों को डेवेलप करके पर्यटन के नए आयाम जुड़ सकते हैं. स्थानीय लोगों को इससे रोजगार मिल सकता है. जो सुविधाएं नक्सलियों के कारण बस्तर में नहीं पहुंच पाई है वो पहुंचेगी और बस्तर शांत और सुंदर होगा. जिस शांत और सुंदर बस्तर की परिकल्पना करते हैं वो पूरा होगा.- मनीष गुप्ता, विशेष नक्सल जानकर व वरिष्ठ पत्रकार

Naxalism in Bastar
नक्सलगढ़ के गांव (ETV Bharat Chhattisgarh)

क्या चाहते हैं नक्सली: शांत, सुंदर बस्तर की कल्पना तभी होगी जब इस खूबसूरत क्षेत्र से नक्सलवाद का सफाया हो सकेगा. बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार व नक्सल जानकर मनीष गुप्ता बताते हैं "नक्सलियों की विचारधारा अलग है. हम देश में लोकतांत्रिक तरीके से वोट डालकर सरकार चुनते हैं. लेकिन नक्सली लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं चाहते हैं. नक्सली पूंजीवाद का विरोध करते हैं. समाजवाद व साम्यवाद के जरिये नक्सली अपनी हुकूमत जमाने की कोशिश करते हैं."

नक्सली माओवाद की सिद्धांत की बात करते हैं. माओत्से तुंग एक चीनी विचारक रहे हैं. उन्होंने साम्यवाद को एक कड़ी के रूप में स्थापित किया है. माओ का यह मानना है कि सत्ता बंदूक की नली से निकलती है. बलपूर्वक और बंदूक की नोक पर सत्ता हासिल करके साम्यवाद की अवधारणा कायम कर सकते हैं.- मनीष गुप्ता, विशेष नक्सल जानकर व वरिष्ठ पत्रकार

Naxalism in Bastar
बस्तर में चार दशकों से नक्सलवाद (ETV Bharat Chhattisgarh)

गृहमंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों को क्या सुझाव दिया: बस्तर से नक्सली समस्या को खत्म करने के लिए छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा बुधवार को जगदलपुर में थे. शर्मा ने एक पुर्नवास नीति का सुझाव पत्र जारी किया है.उन्होंने नक्सल समस्या को दूर करने के लिये बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार व नक्सल जानकारों से भी सुझाव मांगा है.

"नक्सलियों के पुनर्वास की चिंता सरकार को ही करनी होगी. नक्सली बताए कि उन्हें पुनर्वास के तहत क्या चाहिए. इसके लिए ईमेल आईडी, गूगल फॉर्म और रिटन फॉर्म है. जो नक्सली पुनर्वास करना चाहते हैं वे सुझाव देकर बताएं कि वो क्या चाहते हैं.- विजय शर्मा, गृहमंत्री, छत्तीसगढ़

सरेंडर नक्सलियों को मिलता है पुनर्वास नीति का लाभ: सुकमा जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा ने बताया "नक्सलियों के सरेंडर करने से उन्हें काफी लाभ मिलता है. तत्काल उन्हें 25 हजार रुपये का प्रोत्साहन राशि दिया जाता है. नक्सली हथियार के साथ सरेंडर करने पर हथियार के कैटिगरी के अनुसार पैसे दिए जाते हैं. नक्सल संगठन में पद के अनुसार घोषित fनाम की राशि भी दी जाती है. पुलिस विभाग व अन्य शासकीय विभागों में पात्रता के अनुसार नौकरी भी दी जाती है. इसके अलावा जमीन व आवास की भी सुविधा नक्सलियों को दी जाती है."


किया सरेंडर मिला लाभ: सरेंडर नक्सली ने बताया "कुछ सालों पहले नक्सल संगठन को छोड़कर मुख्य धारा में शामिल हुए. जिसके बाद उन्हें पुनर्वास नीति का लाभ मिला. वो और उनका परिवार अब शांति से जीवन यापन कर रहे हैं. उन्हें नॉकरी भी मिली. नक्सली संगठन में बड़े पद पर रहने के कारण उन पर इनाम भी घोषित था. जिसकी पूरी राशि उन्हें मिल गई है."

पुनर्वास नीति के फायदे देखकर सरेंडर किया. नक्सल संगठन में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. बारिश के समय सो भी नहीं पाते थे. हमेशा एक जंगल से दूसरे जंगल में रहते रहे. हमेशा जान का खतरा बना हुआ रहता था. बाकी नक्सलियों से अपील है कि वह सरेंडर करें और अच्छी जिंदगी जीने की कोशिश करें. "- सरेंडर नक्सली

नक्सल मामलों के जानकार बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनाने के बाद गृह मंत्री ने नई पुनर्वास नीति बनाने का फैसला लिया है. क्योंकि पुरानी पुनर्वास नीति को लेकर नक्सलियों में उत्साह देखने को नहीं मिला. अब गृह मंत्री के इस कदम से छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को ज्यादा लाभ मिलेगा. जो नक्सली सरेंडर करने तेलंगाना और आंध्रप्रदेश जाते हैं, वे छत्तीसगढ़ में सरेंडर करेंगे. अब देखना होगा कि गृहमंत्री के इस सुझाव पर नक्सली क्या प्रतिक्रिया देते हैं.

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बस्तर में नक्सलवाद (ETV Bharat Chhattisgarh)

बस्तर: छत्तीसगढ़ के बस्तर में पिछले चार दशकों से नक्सलवाद अपनी जड़े जमाए हुए हैं. बस्तर से जितना नक्सलवाद को खत्म करने की कोशिश की जा रही है उतना ही नक्सलवाद फैलता जा रहा है. हालांकि कई इलाके ऐसे हैं जहां से नक्सलियों ने अपने गाड़े हुए तंबू उखाड़ लिए या फिर ये कहे कि सुरक्षा बलों ने उखाड़ दिए. छत्तीसगढ़ की नई सरकार ने अगले कुछ सालों में बस्तर से नक्सलवाद को खत्म करने का बीड़ा उठाया है. एक तरफ सुरक्षा बलों को फ्री हैंड दिया गया है तो दूसरी तरफ सरकार नक्सलियों से बात करने के साथ ही सुझाव भी मांग रही है.

Naxalism in Bastar
बस्तर फाइटर्स (ETV Bharat Chhattisgarh)

चार दशक से बस्तर में क्यों पनप रहा नक्सलवाद? : भारत में यदि नक्सलवाद की बात करें तो सबसे पहले छत्तीसगढ़ के बस्तर का नाम आता है. घने जंगलों से घिरा बस्तर नक्सलियों के लिए मुफीद जगह बन चुका है. यहां की सामाजिक और भौगोलिक परिस्थितियों के कारण बस्तर, नक्सलगढ़ बन गया है. बस्तर में नक्सलवाद फैलने का बड़ा कारण गरीबी, अशिक्षा और विकास का ना होना है. इन सब मुद्दों के कारण यहां के भोले भाले लोग नक्सलियों के बहकावे में आए और उनसे जुड़ते चले गए. विशेष नक्सल जानकर व वरिष्ठ पत्रकार मनीष गुप्ता बताते हैं कि बस्तर में जिन इलाकों में सुविधाएं नहीं है वहां नक्सली पहुंचते हैं और अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हैं.

Naxalism in Bastar
बस्तर में मुठभेड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

नक्सली स्थानीय लोगों से मिलकर उनकी भाषा में उनकी संस्कृति में जुड़कर अपने आप से जोड़ते हैं. आमतौर पर कोर्ट, पुलिस और फॉरेस्ट की न्याय प्रकिया में देरी होती है. नक्सल संगठन संविधान को नहीं मानते हैं. वे अंदरूनी इलाकों में अपनी जन अदालत लगाकर लोगों को न्याय दिलाते हैं. किसी के साथ अन्याय होने पर उसके साथ मिलकर अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं. इसी कारण से नक्सलियों और ग्रामीणों के बीच मजबूत जुड़ाव है. इस जुड़ाव को सरकार अभी तक तोड़ नहीं पाई है.- मनीष गुप्ता, विशेष नक्सल जानकर व वरिष्ठ पत्रकार

नक्सलवाद खत्म होने से क्या होगा: बस्तर में वन और खनिज संपदा का भंडार है. यहां उद्योग नहीं लगे हैं, डेवलपमेंट नहीं हुआ है. बहुत से उद्योगों का रास्ता नक्सलियों ने बंद रखा है. बस्तर में नक्सलवाद खत्म होने से बस्तर की खनिज संपदा और वनोपज से जुडी इंडस्ट्री लग पायेगी. लोगों को रोजगार मिलेगा. अंदरूनी इलाकों में विकास होगा. जिससे बस्तरवासी आत्मनिर्भर होंगे. भय का वातावरण खत्म होगा. बस्तर में नक्सलवाद खत्म होने से बस्तर बहुत बड़ा पर्यटन का केंद्र बन सकता है.

बस्तर को प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है. उन इलाकों को डेवेलप करके पर्यटन के नए आयाम जुड़ सकते हैं. स्थानीय लोगों को इससे रोजगार मिल सकता है. जो सुविधाएं नक्सलियों के कारण बस्तर में नहीं पहुंच पाई है वो पहुंचेगी और बस्तर शांत और सुंदर होगा. जिस शांत और सुंदर बस्तर की परिकल्पना करते हैं वो पूरा होगा.- मनीष गुप्ता, विशेष नक्सल जानकर व वरिष्ठ पत्रकार

Naxalism in Bastar
नक्सलगढ़ के गांव (ETV Bharat Chhattisgarh)

क्या चाहते हैं नक्सली: शांत, सुंदर बस्तर की कल्पना तभी होगी जब इस खूबसूरत क्षेत्र से नक्सलवाद का सफाया हो सकेगा. बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार व नक्सल जानकर मनीष गुप्ता बताते हैं "नक्सलियों की विचारधारा अलग है. हम देश में लोकतांत्रिक तरीके से वोट डालकर सरकार चुनते हैं. लेकिन नक्सली लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं चाहते हैं. नक्सली पूंजीवाद का विरोध करते हैं. समाजवाद व साम्यवाद के जरिये नक्सली अपनी हुकूमत जमाने की कोशिश करते हैं."

नक्सली माओवाद की सिद्धांत की बात करते हैं. माओत्से तुंग एक चीनी विचारक रहे हैं. उन्होंने साम्यवाद को एक कड़ी के रूप में स्थापित किया है. माओ का यह मानना है कि सत्ता बंदूक की नली से निकलती है. बलपूर्वक और बंदूक की नोक पर सत्ता हासिल करके साम्यवाद की अवधारणा कायम कर सकते हैं.- मनीष गुप्ता, विशेष नक्सल जानकर व वरिष्ठ पत्रकार

Naxalism in Bastar
बस्तर में चार दशकों से नक्सलवाद (ETV Bharat Chhattisgarh)

गृहमंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों को क्या सुझाव दिया: बस्तर से नक्सली समस्या को खत्म करने के लिए छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा बुधवार को जगदलपुर में थे. शर्मा ने एक पुर्नवास नीति का सुझाव पत्र जारी किया है.उन्होंने नक्सल समस्या को दूर करने के लिये बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार व नक्सल जानकारों से भी सुझाव मांगा है.

"नक्सलियों के पुनर्वास की चिंता सरकार को ही करनी होगी. नक्सली बताए कि उन्हें पुनर्वास के तहत क्या चाहिए. इसके लिए ईमेल आईडी, गूगल फॉर्म और रिटन फॉर्म है. जो नक्सली पुनर्वास करना चाहते हैं वे सुझाव देकर बताएं कि वो क्या चाहते हैं.- विजय शर्मा, गृहमंत्री, छत्तीसगढ़

सरेंडर नक्सलियों को मिलता है पुनर्वास नीति का लाभ: सुकमा जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा ने बताया "नक्सलियों के सरेंडर करने से उन्हें काफी लाभ मिलता है. तत्काल उन्हें 25 हजार रुपये का प्रोत्साहन राशि दिया जाता है. नक्सली हथियार के साथ सरेंडर करने पर हथियार के कैटिगरी के अनुसार पैसे दिए जाते हैं. नक्सल संगठन में पद के अनुसार घोषित fनाम की राशि भी दी जाती है. पुलिस विभाग व अन्य शासकीय विभागों में पात्रता के अनुसार नौकरी भी दी जाती है. इसके अलावा जमीन व आवास की भी सुविधा नक्सलियों को दी जाती है."


किया सरेंडर मिला लाभ: सरेंडर नक्सली ने बताया "कुछ सालों पहले नक्सल संगठन को छोड़कर मुख्य धारा में शामिल हुए. जिसके बाद उन्हें पुनर्वास नीति का लाभ मिला. वो और उनका परिवार अब शांति से जीवन यापन कर रहे हैं. उन्हें नॉकरी भी मिली. नक्सली संगठन में बड़े पद पर रहने के कारण उन पर इनाम भी घोषित था. जिसकी पूरी राशि उन्हें मिल गई है."

पुनर्वास नीति के फायदे देखकर सरेंडर किया. नक्सल संगठन में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. बारिश के समय सो भी नहीं पाते थे. हमेशा एक जंगल से दूसरे जंगल में रहते रहे. हमेशा जान का खतरा बना हुआ रहता था. बाकी नक्सलियों से अपील है कि वह सरेंडर करें और अच्छी जिंदगी जीने की कोशिश करें. "- सरेंडर नक्सली

नक्सल मामलों के जानकार बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनाने के बाद गृह मंत्री ने नई पुनर्वास नीति बनाने का फैसला लिया है. क्योंकि पुरानी पुनर्वास नीति को लेकर नक्सलियों में उत्साह देखने को नहीं मिला. अब गृह मंत्री के इस कदम से छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को ज्यादा लाभ मिलेगा. जो नक्सली सरेंडर करने तेलंगाना और आंध्रप्रदेश जाते हैं, वे छत्तीसगढ़ में सरेंडर करेंगे. अब देखना होगा कि गृहमंत्री के इस सुझाव पर नक्सली क्या प्रतिक्रिया देते हैं.

छत्तीसगढ़ में किस मॉडल से नक्सल समस्या का होगा अंत, दावों और हकीकत में कितनी है सच्चाई - Naxal problem in Chhattisgarh
एजुकेशन और वेलफेयर प्रोग्राम से खत्म होगा बस्तर में नक्सलवाद, सरकार पर सबकी निगाहें - Naxalism in Bastar
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Last Updated : May 24, 2024, 2:52 PM IST
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