शिमला/किन्नौर: क्या आप जानते हैं कि देश के पहले मतदाता कौन है? देश में सबसे पहले कब चुनाव हुए थे? क्यों हिमाचल में चुनाव से 5 महीने पहले वोट डाले गए ? इन सवालों का जवाब एक दिलचस्प कहानी है, जिसमें एक आम स्कूल मास्टर लोकतंत्र का सबसे बड़ा ब्रांड एंबेसडर बन गया. जिंदगी में हालात कुछ भी रहे हों उसने हर बार वोट डाला और जब मौत ने दस्तक दी तो उसने आखिरी सांस से पहले अंतिम वोट भी डाला. National Voters day पर लोकतंत्र के उस नायक का जिक्र तो बनता है, जिसने वोट की अहमियत की ज्योत को जिंदगीभर जलाए रखा. ये कहानी है देश के पहले वोटर मास्टर श्याम सरन नेगी की.
आजादी के बाद पहले चुनाव का पहला वोट- आजादी के करीब 5 साल बाद फरवरी 1952 में पहले आम चुनाव हुए थे लेकिन हिमाचल के कबायली इलाकों में बर्फबारी देखते हुए वहां चुनाव करीब 5 महीने पहले अक्टूबर 1951 में करवाए गए थे. तब हिमाचल के किन्नौर जिले के मास्टर श्याम सरन नेगी ने भी वोट डाला था, 1 जुलाई 1917 को पैदा हुए श्याम सरन नेगी तब 34 बरस के थे. दरअसल वोटिंग को लेकर उनकी ड्यूटी किसी अन्य इलाकों में लगी थी और उनका वोट कल्पा में था.
ईटीवी से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया था कि "मैंने प्रिसाइडिंग अफसर से कहा था कि मुझे वोट डालना है, उन्होंने कहा कि यहां कौन सी 100 पर्सेंट वोटिंग होने वाली है. इसलिये शाम को में अपने घर लौटा और अगली सुबह 6 बजे से पहले ही अपना वोट डालने पोलिंग बूथ पहुंच गया. तब तक चुनाव कराने वाली टीम भी नहीं पहुंची थी. मैंने उनसे गुजारिश की थी कि मुझे जल्दी वोट डालने दें ताकि में मतदान की ड्यूटी के लिए जा सकूं. जिसके बाद मैंने अपना वोट डाला और फिर मैं अपनी ड्यूटी के लिए चला गया"
2007 में लगा देश के पहले वोटर का पता- 1951 के अक्टूबर की वो सुबह जल्दबाजी में दिया गया वो वोट श्याम सरन नेगी की पहचान बनने वाला था. लेकिन इस पहचान को सामने आने में करीब 56 बरस लग गए. इसका श्रेय हिमाचल की पूर्व निर्वाचन अधिकारी मनीषा नंदा को जाता है जिन्होंने 2007 में पहले आम चुनावों में वोट डालने वाले मतदाताओं की पहचान करते वक्त सभी तथ्यों को खंगाला, जिसकी बदौलत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को उसके पहले मतदाता से मिलवाया. कई महीने फाइल वर्क और शिमला से दिल्ली तक की माथापच्ची के बाद पता आजाद भारत के पहले वोटर का नाम सबके सामने आया. फिर साल 2010 में देश के मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने किन्नौर पहुंचे और श्याम सरन नेगी को सम्मानित किया.
हर बार वोट डाला- श्यान सरन नेगी ने कुल 34 बार मतदान किया. चुनाव विधानसभा का हो, लोकसभा का या फिर ग्राम पंचायत का, हर काम छोड़कर श्याम सरन नेगी वोट जरूर डालते थे. साथ ही युवाओं को वोट देने की नसीहत भी देते थे. नई सदी के पहले दशक में जब देश को अपने पहले वोटर का पता लगा तो वो लोकतंत्र की निशानी बन गए. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले गूगल इंडिया ने नेगी जी पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाई और उन्हें लोकतंत्र का ब्रांड एबेंसडर बनाते हुए वोटिंग के प्रति जागरुकता फैलाई.
मौत से 3 दिन पहले अंतिम वोट डाला- हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर 2022 को मतदान होना था. उन दिनों श्याम सरन नेगी की तबीयत बहुत खराब थी. चुनाव आयोग ने 80 साल से अधिक उम्र और दिव्यांगों के लिए घर से मतदान की सहूलियत दी थी. इच्छुक लोग 12D फॉर्म भरकर इस सुविधा का लाभ ले सकते थे. चुनाव आयोग ने श्याम सरन नेगी से भी अपील की थी लेकिन पहले उन्होंने इसे ठुकराते हुए कहा कि वो मतदान केंद्र पर जाकर ही वोट देंगे. तब ईटीवी भारत से बात करते हुए श्याम सरन नेगी ने कहा था कि "इस वक्त जो मेरी हालत है, क्या पता शरीर चलता है कि नहीं. मैं लड़खड़ाते-लड़खड़ाते ही सही, पोलिंग बूथ पर जाकर वोट दूंगा. "
इस बीच श्याम सरन नेगी की तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी थी. 105 साल के श्याम सरन नेगी को शायद पता चल चुका था कि उनका आखिरी समय निकट है. इसलिये उन्होंने प्रशासन से घर से वोट करने की अपील की. हिमाचल में मतदान से 10 दिन पहले 2 नवंबर 2022 को चुनाव आयोग ने उनके घर पर पूरी तैयारी की और श्याम सरन नेगी ने अपना वोट डाल दिया. इसके 3 दिन बाद 5 नवंबर 2022 को श्याम सरन नेगी का निधन हो गया लेकिन अंतिम सांस से पहले वो अपना आखिरी वोट भी डाल गए.
लोकतंत्र के नायक- श्याम सरन नेगी लोकतंत्र के नायक थे. वन विभाग में नौकरी और फिर स्कूल टीचर की जिम्मेदारी संभालने वाले श्याम सरन नेगी जिंदगीभर वोट की अहमियत बताते रहे. देश के पहले मतदाता होने के नाते वो देश के VVIP वोटर थे. मतदान के दिन स्थानीय प्रशासन उनके घर से गाजे-बाजे के साथ उन्हें पोलिंग बूथ तक ले जाता था. जहां उस बूथ पर उनका स्वागत रेड कार्पेट और फूल मालाओं से होता था. श्याम सरन नेगी उन लोगों और खासकर युवाओं के लिए मिसाल है जो वोटिंग को दिन सिर्फ एक छुट्टी का दिन समझते हैं. लोकतंत्र के महापर्व में एक-एक वोट की आहुति बहुत जरूरी है. श्याम सरन नेगी सीख देते थे कि एक-एक बूंद से ही सागर बनता है इसलिये अपने एक वोट की अहमियत को कम ना आंके. वोट जरूर दें, आपका वोट दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को मजबूत करने के साथ-साथ देश के पहले मतदाता को भी श्रद्धांजलि होगा.
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