हैदराबादः भारत कृषि प्रधान देश है. इसके साथ ही देश की अर्थव्यवस्था, रोजगार में कुटीर उद्योग का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. ये उद्योग आजादी के पहले से आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है. एमएसएमई के विकास आयुक्त के वेबसाइट पर मौजूद डेटा के अनुसार वर्तमान में देश में 1,05,21,190 लघु उद्योग इकाइयां कार्यरत है. इनमें करीबन 55 फीसदी यूनिट ग्रामीण क्षेत्र में स्थित है. उद्योगों को लेकर संपन्न तीसरी जनगणना में यह पाया गया कि 99.5 फीसदी एसएसआई छोटी इकाइयां थीं. देश में लघु उद्योगों को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित कर रोजगार और कारोबार के अवसर को बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 30 अगस्त को राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस मनाया जाता है. बता दें कि लघु उद्योग रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है.
दिवस का इतिहासः
राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस की शुरुआत 2000 में हुई थी. इस साल भारत सरकार की ओर से लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए व्यापक नीतिगत बदलाव की शुरुआत की गईं थीं. इसका उद्देश्य लघु उद्योगों के विकास के लिए ढांचागत, प्रौद्योगिकी व अन्य बाधाओं को दूर के लिए ठोस कदम उठाना था. अगले ही साल राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस के अवसर पर भव्य सम्मेलन का आयोजन किया गया. सम्मेलन के अवसर पर केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया.
क्या है लघु उद्योग
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम 2006 के अनुसार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को वर्गीकृत किया गया है. अधिनियम के अनुसार ऐसा उद्योग है जिसमें संयंत्र और मशीनरी अथवा उपकरण में निवेश 1 करोड़ से अधिक न हो. संबंधित इकाई से का टर्नओवर पांच करोड़ से ज्यादा न हो.
लघु उद्योगों के राज्यवार प्रसार की बात करें तो उत्तर प्रदेश (16.23 फीसदी), आंध्र प्रदेश (8.32 फीसदी), महाराष्ट्र (7.64 फीसदी), मध्य प्रदेश (7.54 फीसदी) और तमिलनाडु (7.49 फीसदी) शीर्ष पांच राज्य थे, जिनकी इकाइयों की संख्या के संदर्भ में कुल हिस्सेदारी 47.22 फीसदी थी.
कुल लघु उद्योग क्षेत्र
लघु उद्योग क्षेत्र में लघु उद्योग उपक्रम (एसएसआई) और लघु उद्योग सेवा एवं व्यवसाय (उद्योग से संबंधित) उद्यम (एसएसएसबीई) शामिल हैं. इन यूनिटों का संबंधित जिला उद्योग केंद्रों (डीआईसी) में पंजीकरण स्वैच्छिक आधार पर होता है. इसलिए, किसी भी समय यह संभव है कि इस क्षेत्र में पंजीकृत और अपंजीकृत दोनों ही इकाइयां हों. इसलिए, इस पर अधिक विस्तार से जांच करना आवश्यक हो गया है ताकि कुल लघु उद्योग क्षेत्र की संरचना के बारे में मानक जानकारी मिल सके, जिसमें पंजीकृत लघु उद्योग क्षेत्र और अपंजीकृत लघु उद्योग क्षेत्र शामिल हैं. तीसरी जनगणना में कार्यप्रणाली को कुल लघु उद्योग क्षेत्र के विभिन्न मापदंडों का अनुमान लगाने के लिए उपयुक्त रूप से डिजाइन किया गया था.