नालंदा: केंद्र सरकार, बिहार में करोड़ों रुपए की लागत से स्वास्थ सुविधाओं को बनाने के लिए लगातार बड़े-बड़े अस्पतालों का उद्घाटन कर रही है, ताकि मरीजों को हर तरह की स्वास्थ्य लाभ मिल सके. लेकिन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र नालंदा के बिहारशरीफ सदर अस्पताल में व्यवस्था की लापरवाही सामने आयी. शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली. ठेले पर शव को ले जाया गया.
करंट लगने से हुई थी मौतः शनिवार को जिले के नगर और सिलाव थाना क्षेत्र में दो लोगों की हाई टेंशन तार की चपेट में आने से मौत हो गई थी. पोस्टमार्टम के लिए परिजनों ने निजी वाहन से सदर अस्पताल बिहारशरीफ लाया. शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए मरीज के परिजनों को जद्दोजहद करनी पड़ी. बताया जाता है कि एक शव का पोस्टमार्टम कर दिया गया, लेकिन दूसरे का करने से मना कर दिया. पूछने पर पता चला कि जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने एक शव का पोस्टमार्टम करने का ऑर्डर दिया था.
पोस्टमार्टम करने से इंकारः ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने कहा कि जब तक आर्डर नहीं आता है दूसरे शव का पोस्टमार्टम नहीं करेंगे. जिसके बाद परिजन उग्र हो गये. थोड़ी देर के लिए पोस्टमार्टम हाउस के बाहर हंगामा भी हुआ. घंटो इंतज़ार कराने के बाद डॉक्टर, शव का पोस्टमार्टम करने गए. धर्मेंद्र कुमार और बिहार थाना क्षेत्र के अंबेर मोहल्ले में राइस मिल में बिजली के काम करने के दौरान करंट से संजू साव की मौत हो गई थी. दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए बिहारशरीफ सदर अस्पताल लाया गया था.
शव वाहन उपलब्ध नहीं करायाः अस्पताल में मौजूद शव वाहन से धर्मेंद्र कुमार के शव को सिलाव भेज दिया गया. वहीं, संजू साव के शव को बिहारशरीफ अस्पताल से पोस्टमार्टम के बाद ठेले पर ही अंबेर मोहल्ले तक ले जाया गया. जबकि नालंदा सांसद द्वारा तीन शव वाहन उपलब्ध कराया गया. परिजनों ने बताया कि शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस मांगी थी, लेकिन एंबुलेंस मुहैया नहीं कराया गया. जिसके बाद परिजन ठेले पर ही शव को ले जाना मुनासिब समझा.
"सदर अस्पताल में शव वाहन की कमी है, जिसके कारण इस तरह की परेशानियां सामने आ जाती है. परिजनों को शव ले जाने के लिए इंतजार करने को कहा गया था, लेकिन परिजन शव को ठेले पर ले गए."- कुणाल गौरव, ड्यूटी डॉक्टर
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