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मशरूम गर्ल दिव्या और उसका भाई पुणे में अरेस्ट, धोखाधड़ी के आरोप में कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेजा - mushroom girl divya rawat

Uttarakhand Mushroom Girl Divya Rawat Arrest पुणे के पौंड थाने में एक कारोबारी ने मशरूम गर्ल दिव्या रावत और उसके भाई राजपाल रावत के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था. जिसके बाद पुणे पुलिस ने मशरूम गर्ल दिव्या रावत और उसके भाई को गिरफ्तार कर लिया है. वहीं, दोनों की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है.

Divya Rawat Arrest
मशरूम गर्ल दिव्या रावत गिरफ्तार
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 12, 2024, 10:18 AM IST

Updated : Feb 14, 2024, 1:12 PM IST

देहरादून/पुणे: उत्तराखंड की मशरूम गर्ल दिव्या रावत और उसके भाई राजपाल रावत को पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया है. दोनों पर धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में पुणे पुलिस ने ये कार्रवाई की है. उत्तराखंड की मशरूम गर्ल दिव्या रावत और उसके भाई राजपाल रावत पर आरोप है कि उन्होंने पुणे के एक व्यक्ति से करीब 57 लाख की धोखाधड़ी की. दोनों को पुणे में पौंड ग्रामीण पुलिस ने 9 फरवरी को गिरफ्तार किया. जिन्हें अब कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है.

मामले में मानसलेक भुकुम (पुणे) निवासी जितेंद्र नंद किशोर भाखाड़ा ने साल 2022 में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि उनकी एक कंसलटेंसी फर्म है, जिसे वो घर से ही ऑनलाइन और फोन के माध्यम से चलाते हैं. साल 2019 में वो उद्योग शुरू करना चाहते थे. इसी दौरान फेसबुक के माध्यम से उनका परिचय दिव्या रावत की बहन शकुंतला राय से हुआ, जिसने देहरादून में मशरूम उत्पादन के बारे में जानकारी दी. शकुंतला ने जनवरी 2019 में उन्हें देहरादून के मोथरोवाला में प्रशिक्षण के लिए बुलाया, जहां उनकी मुलाकात दिव्या से हुई. उसके बाद प्रशिक्षण के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिस कारण वो पुणे आ गए.
पढ़ें-उत्तराखंड में खुला देश का पहला घरेलू मशरूम उत्पादन केन्द्र, केंद्रीय मंत्री ने किया उद्घाटन, जानें क्या होंगे फायदे

दिसंबर 2019 में पीड़ित के पास दिव्या का फोन आया कि वो उसकी सौम्या फूड्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ सकते हैं. इसके बाद दिव्या ने उन्हें देहरादून बुलाया और रिवर्स माइग्रेशन 2020 प्रोजेक्ट के तहत मशरूम उत्पादन में पार्टनरशिप का प्रस्ताव दिया. प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले वह प्रशिक्षण के लिए टीम के साथ गुजरात गए. वहां उन्होंने कुछ मशीनें भी खरीदी. इस दौरान टीम में शामिल सदस्यों के वेतन, रहने-खाने और मशीनों को खरीदने का खर्च उन्होंने ही किया. पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 1.20 करोड़ का खर्च आया. इसमें से कुछ रुपए दिव्या ने उन्हें दिए, जो बाद में बहाने से वापस भी ले लिए.

जब उन्होंने दिव्या से रुपए वापस मांगे तो साल 2022 में देहरादून के नेहरू कॉलोनी थाना में पीड़ित के खिलाफ 77 लाख रुपए की धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवाया गया. उसके बाद दिव्या की शिकायत के बाद नेहरू कॉलोनी थाना पुलिस ने उन्हें देहरादून बुलाकर गिरफ्तार कर लिया. तीन महीने जेल में रहने के बाद उच्च न्यायालय से उन्हें जमानत मिली. जेल से बाहर आने के बाद पीड़ित ने पुलिस विभाग से सूचना का अधिकार के तहत अपनी गिरफ्तारी को लेकर जानकारी मांगी तो पता चला कि दिव्या ने मेरठ से बनवाए एक शपथ पत्र (एफिडेविट) के आधार पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.
पढ़ें- 'मशरूम गर्ल' की कहानी उन्हीं की जुबानी, स्वरोजगार से सैकड़ों लोगों को बनाया आत्मनिर्भर

जांच करने पर शपथ पत्र जांच में फर्जी पाया गया. इसकी शिकायत उन्होंने पुणे के पौंड थाने में की. इसके बाद से दिव्या उनसे समझौते के लिए 32.5 लाख रुपए मांग रही थी. इसी बीच पीड़ित ने दिव्या को 10 लाख रुपए का चेक लेने के लिए पुणे बुलाया. इसके साथ ही पुलिस को भी सूचना दे दी. पुणे में दिव्या और उसके भाई को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

क्या कहती है पुणे पुलिस: इस मामले में पौंड पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक मनोज कुमार यादव ने बताया कि साल 2022 में एक मामला दर्ज किया गया था. फिर 2023 में जांच के लिए एक टीम को पुणे से उत्तराखंड भेजा गया. वहां पूरी जांच की गई. जांच के बाद दिव्या रावत और उनके भाई राजपाल रावत को 9 फरवरी को पुणे में गिरफ्तार किया गया. अदालत में पेश करने के बाद दोनों को 3 दिन की पुलिस हिरासत दी गई थी. वहीं, अब दिव्या रावत और उसके भाई को जेल भेज दिया गया है.

कौन हैं दिव्या रावत: देशभर में उत्तराखंड की 'मशरूम गर्ल' के नाम से फेमस दिव्या रावत ने मशरूम की खेती को स्वरोजगार और बड़े बिजनेस का स्वरूप देकर काफी प्रसिद्धि हासिल की है. महिला सशक्तिकरण और स्वरोजगार के लिए कार्य करने को लेकर उत्तराखंड सरकार ने दिव्या रावत को ब्रांड एंबेसडर भी बनाया है. दिव्या को राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.

सैनिक परिवार से आने वाली दिव्या अपने पांच भाई बहनों में सबसे छोटी हैं. वो मूल रूप से चमोली जिले के कोट कंडारा गांव की रहने वाली हैं. दिव्या ने मशरूम बिजनेस में आने से पहले नोएडा से एमबीए की पढ़ाई की है. जिसके बाद उन्होंने कई नौकरियों में हाथ आजमाया. लेकिन स्वरोजगार करने की तमन्ना उनको यहां तक ले आई.

सबसे पहले दिव्या ने उत्तराखंड मशरूम विभाग से मशरूम उत्पादन की बेसिक ट्रेनिंग ली. उसके बाद हिमाचल के सोलन स्थित 'डायरेक्टर ऑफ मशरूम रिसर्च सेंटर' से उत्पादन की बारीकियां सीखी. साल 2013 में उन्होंने अपने गांव में ही मशरूम उत्पादन शुरू किया. धीरे-धीरे उनके साथ कई लोग जुड़ते चले गए.

इसके बाद दिव्या ने देहरादून के मोथरोवाला क्षेत्र में मशरूम बीज तैयार करने के लिए स्पॉन लैब बनाया. जहां से उन्होंने एक नए तरीके से मशरूम उत्पादन शुरू किया. दूरस्थ हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली कीड़ा जड़ी को भी दिव्या ने लैब में आर्टिफिशियल तरीके से तैयार किया. उन्होंने थाईलैंड, वियतनाम, मलेशिया, बेल्जियम जैसे देशों में जाकर एडवांस ट्रेनिंग ली.

देहरादून/पुणे: उत्तराखंड की मशरूम गर्ल दिव्या रावत और उसके भाई राजपाल रावत को पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया है. दोनों पर धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में पुणे पुलिस ने ये कार्रवाई की है. उत्तराखंड की मशरूम गर्ल दिव्या रावत और उसके भाई राजपाल रावत पर आरोप है कि उन्होंने पुणे के एक व्यक्ति से करीब 57 लाख की धोखाधड़ी की. दोनों को पुणे में पौंड ग्रामीण पुलिस ने 9 फरवरी को गिरफ्तार किया. जिन्हें अब कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है.

मामले में मानसलेक भुकुम (पुणे) निवासी जितेंद्र नंद किशोर भाखाड़ा ने साल 2022 में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि उनकी एक कंसलटेंसी फर्म है, जिसे वो घर से ही ऑनलाइन और फोन के माध्यम से चलाते हैं. साल 2019 में वो उद्योग शुरू करना चाहते थे. इसी दौरान फेसबुक के माध्यम से उनका परिचय दिव्या रावत की बहन शकुंतला राय से हुआ, जिसने देहरादून में मशरूम उत्पादन के बारे में जानकारी दी. शकुंतला ने जनवरी 2019 में उन्हें देहरादून के मोथरोवाला में प्रशिक्षण के लिए बुलाया, जहां उनकी मुलाकात दिव्या से हुई. उसके बाद प्रशिक्षण के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिस कारण वो पुणे आ गए.
पढ़ें-उत्तराखंड में खुला देश का पहला घरेलू मशरूम उत्पादन केन्द्र, केंद्रीय मंत्री ने किया उद्घाटन, जानें क्या होंगे फायदे

दिसंबर 2019 में पीड़ित के पास दिव्या का फोन आया कि वो उसकी सौम्या फूड्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ सकते हैं. इसके बाद दिव्या ने उन्हें देहरादून बुलाया और रिवर्स माइग्रेशन 2020 प्रोजेक्ट के तहत मशरूम उत्पादन में पार्टनरशिप का प्रस्ताव दिया. प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले वह प्रशिक्षण के लिए टीम के साथ गुजरात गए. वहां उन्होंने कुछ मशीनें भी खरीदी. इस दौरान टीम में शामिल सदस्यों के वेतन, रहने-खाने और मशीनों को खरीदने का खर्च उन्होंने ही किया. पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 1.20 करोड़ का खर्च आया. इसमें से कुछ रुपए दिव्या ने उन्हें दिए, जो बाद में बहाने से वापस भी ले लिए.

जब उन्होंने दिव्या से रुपए वापस मांगे तो साल 2022 में देहरादून के नेहरू कॉलोनी थाना में पीड़ित के खिलाफ 77 लाख रुपए की धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवाया गया. उसके बाद दिव्या की शिकायत के बाद नेहरू कॉलोनी थाना पुलिस ने उन्हें देहरादून बुलाकर गिरफ्तार कर लिया. तीन महीने जेल में रहने के बाद उच्च न्यायालय से उन्हें जमानत मिली. जेल से बाहर आने के बाद पीड़ित ने पुलिस विभाग से सूचना का अधिकार के तहत अपनी गिरफ्तारी को लेकर जानकारी मांगी तो पता चला कि दिव्या ने मेरठ से बनवाए एक शपथ पत्र (एफिडेविट) के आधार पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.
पढ़ें- 'मशरूम गर्ल' की कहानी उन्हीं की जुबानी, स्वरोजगार से सैकड़ों लोगों को बनाया आत्मनिर्भर

जांच करने पर शपथ पत्र जांच में फर्जी पाया गया. इसकी शिकायत उन्होंने पुणे के पौंड थाने में की. इसके बाद से दिव्या उनसे समझौते के लिए 32.5 लाख रुपए मांग रही थी. इसी बीच पीड़ित ने दिव्या को 10 लाख रुपए का चेक लेने के लिए पुणे बुलाया. इसके साथ ही पुलिस को भी सूचना दे दी. पुणे में दिव्या और उसके भाई को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

क्या कहती है पुणे पुलिस: इस मामले में पौंड पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक मनोज कुमार यादव ने बताया कि साल 2022 में एक मामला दर्ज किया गया था. फिर 2023 में जांच के लिए एक टीम को पुणे से उत्तराखंड भेजा गया. वहां पूरी जांच की गई. जांच के बाद दिव्या रावत और उनके भाई राजपाल रावत को 9 फरवरी को पुणे में गिरफ्तार किया गया. अदालत में पेश करने के बाद दोनों को 3 दिन की पुलिस हिरासत दी गई थी. वहीं, अब दिव्या रावत और उसके भाई को जेल भेज दिया गया है.

कौन हैं दिव्या रावत: देशभर में उत्तराखंड की 'मशरूम गर्ल' के नाम से फेमस दिव्या रावत ने मशरूम की खेती को स्वरोजगार और बड़े बिजनेस का स्वरूप देकर काफी प्रसिद्धि हासिल की है. महिला सशक्तिकरण और स्वरोजगार के लिए कार्य करने को लेकर उत्तराखंड सरकार ने दिव्या रावत को ब्रांड एंबेसडर भी बनाया है. दिव्या को राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.

सैनिक परिवार से आने वाली दिव्या अपने पांच भाई बहनों में सबसे छोटी हैं. वो मूल रूप से चमोली जिले के कोट कंडारा गांव की रहने वाली हैं. दिव्या ने मशरूम बिजनेस में आने से पहले नोएडा से एमबीए की पढ़ाई की है. जिसके बाद उन्होंने कई नौकरियों में हाथ आजमाया. लेकिन स्वरोजगार करने की तमन्ना उनको यहां तक ले आई.

सबसे पहले दिव्या ने उत्तराखंड मशरूम विभाग से मशरूम उत्पादन की बेसिक ट्रेनिंग ली. उसके बाद हिमाचल के सोलन स्थित 'डायरेक्टर ऑफ मशरूम रिसर्च सेंटर' से उत्पादन की बारीकियां सीखी. साल 2013 में उन्होंने अपने गांव में ही मशरूम उत्पादन शुरू किया. धीरे-धीरे उनके साथ कई लोग जुड़ते चले गए.

इसके बाद दिव्या ने देहरादून के मोथरोवाला क्षेत्र में मशरूम बीज तैयार करने के लिए स्पॉन लैब बनाया. जहां से उन्होंने एक नए तरीके से मशरूम उत्पादन शुरू किया. दूरस्थ हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली कीड़ा जड़ी को भी दिव्या ने लैब में आर्टिफिशियल तरीके से तैयार किया. उन्होंने थाईलैंड, वियतनाम, मलेशिया, बेल्जियम जैसे देशों में जाकर एडवांस ट्रेनिंग ली.

Last Updated : Feb 14, 2024, 1:12 PM IST
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