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पूर्व DSP बोले, मुलायम सरकार हटवाना चाहती थी मुख्तार पर दर्ज मुकदमे, नहीं माने तो मेरे खिलाफ ही लिखवा दी थी रिपोर्ट - Mukhtar Ansari Death

80 के दशक में मुख्तार अंसारी के अपराध की दुनिया में कदम रखने से लेकर अगले कई दशक तक उसे रोकने वाला कोई भी सामने नहीं आया. न सरकार और ना ही पुलिस अफसर मुख्तार और उसके अपराधों के बीच आना चाहती थी. उस वक्त मुख्तार अंसारी पर हाथ डालने की हिम्मत डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने दिखाई थी. आईए जानते हैं मुख्तार के आतंक की कहानी शैलेंद्र सिंह की जुबानी...

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 29, 2024, 3:33 PM IST

लखनऊ: Mukhtar Ansari Death: मुख्तार अंसारी की मौत के बाद पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने आपबीती बताई. कहा, आज से 25 साल पहले मुख्तार अंसारी का भय का साम्राज्य चरम पर था. सरकार द्वारा समर्थन अगर ऐसे माफिया को हो जाए तो समझ सकते हैं कि कितनी खतरनाक स्थिति हो सकती है.

मऊ के दंगों में जब कर्फ्यू लगा हुआ था तो मुख्तार खुली कार में घूमा करता था और किसी भी अफसर की हिम्मत नहीं थी कि उसे कोई रोक ले. इसी दौरान मैंने उसके कब्जे से लाइट मशीन गन (LMG) बरामद की थी, पोटा लगवाया और तय कर लिया कि उसे जेल भेजूंगा.

लेकिन, तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार ने मुख्तार अंसारी के इशारे पर हम लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया. सरकार चाहती थी कि हम मुख्तार के ऊपर से मुकदमा हटा दें. जब हम नहीं माने तो पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर शुरू कर दिए गए. मेरे खिलाफ ही मुकदमा लिखवा दिया गया, जिससे आहत होकर मैंने पुलिस सेवा से रिजाइन कर दिया था.

80 के दशक में मुख्तार अंसारी के अपराध की दुनिया में कदम रखने से लेकर अगले कई दशक तक उसे रोकने वाला कोई भी सामने नहीं आया. न सरकार और ना ही पुलिस अफसर मुख्तार और उसके अपराधों के बीच आना चाहती थी. उस वक्त मुख्तार अंसारी पर हाथ डालने की हिम्मत डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने दिखाई थी, जो 2004 में शैलेंद्र सिंह एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के प्रभारी डिप्टी एसपी थे.

शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि 'जनवरी 2004 में वो वाराणसी यूनिट के डीएसपी थे. इस दौरान अपराधियों, असलहा तस्करों की धड़पकड़ के लिए फोन सुन रहे थे. इसी दौरान सामने आया कि माफिया मुख्तार अंसारी आर्मी के किसी भगोड़े से लाइट मशीन गन (एलएमजी) खरीदने की फिराक में है.

शैलेन्द्र के मुताबिक, मुख्तार एलएमजी तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय की हत्या करने के लिए खरीदना चाहता था. मुख्तार जानता था कि कृष्णानंद राय की बुलेटप्रूफ गाड़ी को सिर्फ एलएमजी ही भेद सकती है. हमने तत्काल कार्रवाई की, मुख्तार के पास से एलएमजी बरामद की और उस पर पोटा की कार्रवाई की.

शैलेन्द्र सिंह बताते हैं कि मुख्तार पर जब पोटा की कार्रवाई हो रही थी, उस समय मुलायम सरकार अल्पमत में थी. ऐसे में मुलायम सिंह यादव मुख्तार की मदद करना चाहते थे. लिहाजा मुलायम सिंह अधिकारियों पर दबाव डालने लगे. जब अफसरों ने मुख्तार पर ढिलाई बरतने से इंकार किया तो आईजी-रेंज, डीआईजी और एसपी-एसटीएफ का तबादला कर दिया गया.

यहां तक मेरे खिलाफ डीएम कार्यालय में मारपीट करने के आरोप में केस दर्ज किया गया और जबरन गिरफ्तार किया गया. शैलेन्द्र कहते हैं कि मै इस कदर आहत हुआ कि 15 दिन के अंदर इस्तीफा दे दिया.

ये भी पढ़ेंः तस्वीरों में देखें डॉन मुख्तार अंसारी की पूरी कहानी, कैसे क्रिकेटर से बना माफिया

लखनऊ: Mukhtar Ansari Death: मुख्तार अंसारी की मौत के बाद पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने आपबीती बताई. कहा, आज से 25 साल पहले मुख्तार अंसारी का भय का साम्राज्य चरम पर था. सरकार द्वारा समर्थन अगर ऐसे माफिया को हो जाए तो समझ सकते हैं कि कितनी खतरनाक स्थिति हो सकती है.

मऊ के दंगों में जब कर्फ्यू लगा हुआ था तो मुख्तार खुली कार में घूमा करता था और किसी भी अफसर की हिम्मत नहीं थी कि उसे कोई रोक ले. इसी दौरान मैंने उसके कब्जे से लाइट मशीन गन (LMG) बरामद की थी, पोटा लगवाया और तय कर लिया कि उसे जेल भेजूंगा.

लेकिन, तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार ने मुख्तार अंसारी के इशारे पर हम लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया. सरकार चाहती थी कि हम मुख्तार के ऊपर से मुकदमा हटा दें. जब हम नहीं माने तो पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर शुरू कर दिए गए. मेरे खिलाफ ही मुकदमा लिखवा दिया गया, जिससे आहत होकर मैंने पुलिस सेवा से रिजाइन कर दिया था.

80 के दशक में मुख्तार अंसारी के अपराध की दुनिया में कदम रखने से लेकर अगले कई दशक तक उसे रोकने वाला कोई भी सामने नहीं आया. न सरकार और ना ही पुलिस अफसर मुख्तार और उसके अपराधों के बीच आना चाहती थी. उस वक्त मुख्तार अंसारी पर हाथ डालने की हिम्मत डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने दिखाई थी, जो 2004 में शैलेंद्र सिंह एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के प्रभारी डिप्टी एसपी थे.

शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि 'जनवरी 2004 में वो वाराणसी यूनिट के डीएसपी थे. इस दौरान अपराधियों, असलहा तस्करों की धड़पकड़ के लिए फोन सुन रहे थे. इसी दौरान सामने आया कि माफिया मुख्तार अंसारी आर्मी के किसी भगोड़े से लाइट मशीन गन (एलएमजी) खरीदने की फिराक में है.

शैलेन्द्र के मुताबिक, मुख्तार एलएमजी तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय की हत्या करने के लिए खरीदना चाहता था. मुख्तार जानता था कि कृष्णानंद राय की बुलेटप्रूफ गाड़ी को सिर्फ एलएमजी ही भेद सकती है. हमने तत्काल कार्रवाई की, मुख्तार के पास से एलएमजी बरामद की और उस पर पोटा की कार्रवाई की.

शैलेन्द्र सिंह बताते हैं कि मुख्तार पर जब पोटा की कार्रवाई हो रही थी, उस समय मुलायम सरकार अल्पमत में थी. ऐसे में मुलायम सिंह यादव मुख्तार की मदद करना चाहते थे. लिहाजा मुलायम सिंह अधिकारियों पर दबाव डालने लगे. जब अफसरों ने मुख्तार पर ढिलाई बरतने से इंकार किया तो आईजी-रेंज, डीआईजी और एसपी-एसटीएफ का तबादला कर दिया गया.

यहां तक मेरे खिलाफ डीएम कार्यालय में मारपीट करने के आरोप में केस दर्ज किया गया और जबरन गिरफ्तार किया गया. शैलेन्द्र कहते हैं कि मै इस कदर आहत हुआ कि 15 दिन के अंदर इस्तीफा दे दिया.

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