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मदर्स डे स्पेशल : महज 19 वर्ष की उम्र में बन गई साध्वी, 60 बेटियों की मां बनकर कर रहीं सेवा - Mothers Day 2024 - MOTHERS DAY 2024

Sadhvi Satyasiddha of Jaipur, त्याग, बलिदान और समर्पण का दूसरा नाम 'मां' है. एक मां अपने बच्चे के लिए हर जंग लड़ जाती है. हर चुनौतियों से जूझ जाती है. आज ईटीवी भारत पर हम बताने जा रहे हैं एक ऐसी मां की कहानी, जो 60 बेटियों की मां हैं. उन्होंने इनकी परवरिश के लिए शादी नहीं की और साध्वी बन गईं. पढ़िए पूरी खबर...

Mothers Day 2024
60 बालिकाओं की मां साध्वी सत्यसिद्धा (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 12, 2024, 5:11 PM IST

साध्वी सत्यसिद्धा की कहानी (ETV Bharat barmer)

बाड़मेर. एक मां, जिसने भले ही अपनी कोख से बच्चों को जन्म नहीं दिया, लेकिन बच्चों के लिए उनका प्यार और संघर्ष जन्म देने वाली मां से भी बढ़कर है. बाड़मेर में एक ऐसी ही साध्वी है जो 60 निराश्रित बालिकाओं की मां बनकर कर लालन पालन कर रहीं हैं. त्याग ऐसा कि बेटियों की परवरिश के लिए खुद शादी नहीं की और इनका भविष्य बनाने के लिए महज 19 वर्ष की आयु में ही साध्वी बन गईं.

महज 19 वर्ष की आयु में ही बन गई साध्वी : साध्वी सत्यसिद्धा ने बताया कि 18-19 साल की छोटी उम्र में ही 9 बेटियों की परवरिश शुरू कर दी थी. इन बेटियों की खुद ही देखभाल करती थी और एक समय के लिए खुद को भी भुला दिया था. उन्होंने बताया कि संस्कृति-साहित्य में पीएचडी करने की कोशिश की थी, लेकिन किसी कारणवश सफलता नहीं मिली. उस समय बेटियों की देखभाल की जिम्मेदारी भी थी. वह उस समय संन्यासी नहीं थीं और माता-पिता विवाह के लिए दबाव बना रहे थे. तब बच्चों की अच्छी परवरिश और उनके भविष्य को देखते हुए अपने माता-पिता को मनाकर गुरुजी से संन्यास दीक्षा ग्रहण की. उन्होंने बताया कि आत्मज्ञान और आत्मकल्याण पाने के लिए नहीं, बल्कि इन बच्चों की परवरिश अच्छे से हो सके, इसके लिए संन्यास लिया. इसके बाद फिर कभी मुड़कर नहीं देखा.

साध्वी सत्यसिद्धा
साध्वी सत्यसिद्धा (ETV Bharat File Photo)

पढ़ें. ऑटिस्टिक बेटे की परवरिश के लिए छोड़ दी सरकारी नौकरी, चुनौतियों से जूझकर बनाया काबिल - Mothers Day 2024

9 बेटियों से शुरू हुआ सफर : साध्वी सत्यसिद्धा मां बनकर 60 निराश्रित बालिकाओं का लालन-पालन कर रही हैं. इनमें से कई बालिकाएं तो ऐसी हैं जिनके माता पिता नहीं हैं. कुछ बालिकाएं ऐसी हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है. ऐसे में वो कथा वाचन, जनसहयोग से वात्सल्य सेवा केंद्र का संचालन कर इन बेटियों को उच्च शिक्षा देने के साथ नीट सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवा रहीं हैं. साध्वी सत्यसिद्धा ने बताया कि वर्ष 2009 में 9 बेटियों के साथ वात्सल्य सेवा केंद्र का संचालन शुरू किया था. वर्तमान में यहां 60 बेटियां अध्ययन कर रही हैं.

स्कूल के साथ-साथ धर्म की शिक्षा : साध्वी ने बताया कि इन बेटियों को जीवन की मुख्य धारा से जोड़ना ही लक्ष्य है. उन्होंने बताया कि इन बेटियों को भागवत कथा, संस्कृत के श्लोक और वेदों से ज्ञान धर्म की शिक्षा दी जा रही है. इन बेटियों को श्रीमद भागवत कथा, संस्कृत के श्लोक, वेद पुराण सहित कई कथाएं कंठस्थ हैं. उन्होंने बताया कि यह बेटियां अध्ययन के साथ नीट सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है. यह बेटियां पढ़ लिखकर आगे बढ़ रहीं हैं.

बालिकाओं के साथ साध्वी सत्यसिद्धा
बालिकाओं के साथ साध्वी सत्यसिद्धा (ETV Bharat File Photo)

पढ़ें. सैकड़ों बच्चों की जिंदगी संवार रही है ये 'मां'...सुनिए बच्चों की दोस्त डॉ. सीमा की जुबानी उनकी कहानी - Mothers Day 2024

यहां की बेटियों की यह है दिनचर्या : वात्सल्य केंद्र में रहने वाली बेटी कल्पना ने बताया कि वह बचपन से ही यहीं रह रही हैं. आम बच्चों से हमारी दिनचर्या अलग है, नियमित सुबह जल्दी उठकर, नहाने के बाद पूजा पाठ फिर स्कूल जाते हैं. वहीं, दोपहर के समय होमवर्क करते हैं. संध्याकाल में दीदी मां ग्रन्थों के बारे में बताती हैं. इसके बाद पूजा-पाठ और फिर खाना खाकर सो जाते हैं. कल्पना ने बताया कि दीदी मां के हमारे साथ अनेक रूप होते हैं. सुबह हमें मां की तरह उठाकर तैयार करके स्कूल भेजती हैं. एक गुरु की तरह हम पर अनुशासन रखती हैं. पिता की तरह डांट भी लगाती हैं और दोस्त की तरह हमारे साथ खेलती भी हैं.

सिविल सर्विसेज में जाना बेटियों का सपना : कल्पना ने बताया कि वह हाल ही में 12वीं कक्षा में पढ़ रही हैं और सिविल सर्विसेज में जाने का उसका सपना है. इसी तरह बालिका पावली ने बताया कि वह 10वीं क्लास में पढ़ाई कर रही है. बचपन से इस वात्सल्य केंद्र में हूं और हम एक परिवार की तरह मिलकर रहते हैं. पढ़ने लिखने के साथ दीदी मां की तरह सेवा करने का सपना है.

साध्वी सत्यसिद्धा की कहानी (ETV Bharat barmer)

बाड़मेर. एक मां, जिसने भले ही अपनी कोख से बच्चों को जन्म नहीं दिया, लेकिन बच्चों के लिए उनका प्यार और संघर्ष जन्म देने वाली मां से भी बढ़कर है. बाड़मेर में एक ऐसी ही साध्वी है जो 60 निराश्रित बालिकाओं की मां बनकर कर लालन पालन कर रहीं हैं. त्याग ऐसा कि बेटियों की परवरिश के लिए खुद शादी नहीं की और इनका भविष्य बनाने के लिए महज 19 वर्ष की आयु में ही साध्वी बन गईं.

महज 19 वर्ष की आयु में ही बन गई साध्वी : साध्वी सत्यसिद्धा ने बताया कि 18-19 साल की छोटी उम्र में ही 9 बेटियों की परवरिश शुरू कर दी थी. इन बेटियों की खुद ही देखभाल करती थी और एक समय के लिए खुद को भी भुला दिया था. उन्होंने बताया कि संस्कृति-साहित्य में पीएचडी करने की कोशिश की थी, लेकिन किसी कारणवश सफलता नहीं मिली. उस समय बेटियों की देखभाल की जिम्मेदारी भी थी. वह उस समय संन्यासी नहीं थीं और माता-पिता विवाह के लिए दबाव बना रहे थे. तब बच्चों की अच्छी परवरिश और उनके भविष्य को देखते हुए अपने माता-पिता को मनाकर गुरुजी से संन्यास दीक्षा ग्रहण की. उन्होंने बताया कि आत्मज्ञान और आत्मकल्याण पाने के लिए नहीं, बल्कि इन बच्चों की परवरिश अच्छे से हो सके, इसके लिए संन्यास लिया. इसके बाद फिर कभी मुड़कर नहीं देखा.

साध्वी सत्यसिद्धा
साध्वी सत्यसिद्धा (ETV Bharat File Photo)

पढ़ें. ऑटिस्टिक बेटे की परवरिश के लिए छोड़ दी सरकारी नौकरी, चुनौतियों से जूझकर बनाया काबिल - Mothers Day 2024

9 बेटियों से शुरू हुआ सफर : साध्वी सत्यसिद्धा मां बनकर 60 निराश्रित बालिकाओं का लालन-पालन कर रही हैं. इनमें से कई बालिकाएं तो ऐसी हैं जिनके माता पिता नहीं हैं. कुछ बालिकाएं ऐसी हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है. ऐसे में वो कथा वाचन, जनसहयोग से वात्सल्य सेवा केंद्र का संचालन कर इन बेटियों को उच्च शिक्षा देने के साथ नीट सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवा रहीं हैं. साध्वी सत्यसिद्धा ने बताया कि वर्ष 2009 में 9 बेटियों के साथ वात्सल्य सेवा केंद्र का संचालन शुरू किया था. वर्तमान में यहां 60 बेटियां अध्ययन कर रही हैं.

स्कूल के साथ-साथ धर्म की शिक्षा : साध्वी ने बताया कि इन बेटियों को जीवन की मुख्य धारा से जोड़ना ही लक्ष्य है. उन्होंने बताया कि इन बेटियों को भागवत कथा, संस्कृत के श्लोक और वेदों से ज्ञान धर्म की शिक्षा दी जा रही है. इन बेटियों को श्रीमद भागवत कथा, संस्कृत के श्लोक, वेद पुराण सहित कई कथाएं कंठस्थ हैं. उन्होंने बताया कि यह बेटियां अध्ययन के साथ नीट सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है. यह बेटियां पढ़ लिखकर आगे बढ़ रहीं हैं.

बालिकाओं के साथ साध्वी सत्यसिद्धा
बालिकाओं के साथ साध्वी सत्यसिद्धा (ETV Bharat File Photo)

पढ़ें. सैकड़ों बच्चों की जिंदगी संवार रही है ये 'मां'...सुनिए बच्चों की दोस्त डॉ. सीमा की जुबानी उनकी कहानी - Mothers Day 2024

यहां की बेटियों की यह है दिनचर्या : वात्सल्य केंद्र में रहने वाली बेटी कल्पना ने बताया कि वह बचपन से ही यहीं रह रही हैं. आम बच्चों से हमारी दिनचर्या अलग है, नियमित सुबह जल्दी उठकर, नहाने के बाद पूजा पाठ फिर स्कूल जाते हैं. वहीं, दोपहर के समय होमवर्क करते हैं. संध्याकाल में दीदी मां ग्रन्थों के बारे में बताती हैं. इसके बाद पूजा-पाठ और फिर खाना खाकर सो जाते हैं. कल्पना ने बताया कि दीदी मां के हमारे साथ अनेक रूप होते हैं. सुबह हमें मां की तरह उठाकर तैयार करके स्कूल भेजती हैं. एक गुरु की तरह हम पर अनुशासन रखती हैं. पिता की तरह डांट भी लगाती हैं और दोस्त की तरह हमारे साथ खेलती भी हैं.

सिविल सर्विसेज में जाना बेटियों का सपना : कल्पना ने बताया कि वह हाल ही में 12वीं कक्षा में पढ़ रही हैं और सिविल सर्विसेज में जाने का उसका सपना है. इसी तरह बालिका पावली ने बताया कि वह 10वीं क्लास में पढ़ाई कर रही है. बचपन से इस वात्सल्य केंद्र में हूं और हम एक परिवार की तरह मिलकर रहते हैं. पढ़ने लिखने के साथ दीदी मां की तरह सेवा करने का सपना है.

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