पटना: बिहार विधानमंडल का मानसून सत्र चल रहा है. वहीं बिहार विधानसभा में आज एंटी पेपर लीक बिल लाया गया, जो पास भी हो गया है. हालांकि इस दौरान विपक्ष ने सदन से हंगामा करते हुए वॉकआउट कर दिया. बता दें कि इस कानून के तहत दोषी को 3 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है. यह कानून बिहार सरकार की ओर से होने वाली सारी परीक्षाओं पर लागू होगा.
बिहार लोक परीक्षा अनुचित साधन निवारण विधेयक 2024: नीट परीक्षा में पेपर लीक होने के बाद जहां एक तरफ भारत सरकार ने सख्त कानून लागू किया है तो वहीं बिहार सरकार ने भी गंभीरता से लेते हुए बुधवार को विधानसभा से कानून के लिए विधेयक पास कराया है. संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बिहार लोक परीक्षा अनुचित साधन निवारण विधेयक 2024 सदन में पेश किया. इस विधेयक के बारे में जानकारी देने के बाद सदन से इसे पास भी करवाया. विपक्षी सदस्यों ने सदन का बहिष्कार किया. विपक्ष ने मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं.
"पेपर लीक का तार नालंदा और एक अन्ने मार्ग से जुड़ा है. मुख्यमंत्री इसके सरगना है. पेपर लीक विधेयक आंख में धूल झोंकने की कोशिश है."- भाई वीरेंद्र, राजद विधायक
क्या है कानून में प्रावधान?: एंटी पेपर लीक कानून के अनुसार पेपर लीक मामले में दोषी पाए जाने के बाद शख्स को 10 साल की सजा और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. दूसरे अभ्यर्थी के स्थान पर परीक्षा देने के मामले में दोषी पाए जाने पर अपराधी को 3-5 साल की जेल होगी और दस लाख का जुर्माना भी लगाया जाएगा. इसके साथ ही अगर परीक्षा में गड़बड़ी मामले में किसी संस्थान का नाम सामने आता है तो उस संस्थान से परीक्षा का पूरा खर्चा वसूला जाएगा. वहीं संस्थान की संपत्ति कुर्क भी की जा सकती है.
'अपराधी को बचाने के लिए विपक्षी बाहर गए' : विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि अपराध करने वालों का बचाव करने के लिए विपक्षी सदस्य सदन से बाहर चले गए हैं. उन्होंने कहा कि बिहार की जनता भी देख रही है कि पेपर लीक मामले को बिहार सरकार ने कितनी गंभीरता से लिया है. 16 राज्यों में 48 ऐसे मामले आए हैं जिसमें परीक्षा में गड़बड़ी की गई है.
''पीएम नरेन्द्र मोदी ने देश के स्तर पर कानून लागू किया है. अब बिहार सरकार भी कानून लागू करने जा रही है. बिहार में 1981 में जो कानून थे उसमें सजा केवल 6 महीने की ही थी. इस बार हम लोगों ने सख्त कानून बनाया है. गड़बड़ी में शामिल लोगों को तीन से पांच साल तक की सजा होगी और 10 लाख तक जुर्माना होगा. संगठित रूप से अपराध करने वाले को 5 से 10 साल तक की सजा और 1 करोड़ तक जुर्माना का प्रावधान है.''- विजय चौधरी, संसदीय कार्य मंत्री, बिहार विधानसभा
"सरकार गंभीर है इसलिए बिल लाया गया. आवश्यकता पड़ी इसलिए कानून बनाया गया."-विजेंद्र यादव, ऊर्जा मंत्री, बिहार
'नए कानून से पेपर लीक रुकेगा': सदन में जब इस विधेयक पर चर्चा हो रही थी, उसमें संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि 1981 में एक कानून लाया गया था, लेकिन वह काफी कमजोर था. उसमें केवल 6 महीने की सजा का प्रावधान था, लेकिन नया कानून काफी सख्त है. इसमें न्यूनतम 3 साल तो अधिकतम 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है. एक करोड़ तक का जुर्माना होगा और इस बिल से छात्रों को लाभ होगा. विजय चौधरी ने कहा कि नए कानून की जरूरत इसलिए थी क्योंकि 16 राज्यों में 48 क्वेश्चन पेपर लीक मामले सामने आ चुके हैं. इसलिए नए कानून से पेपर लीक रुकेगा.
बिहार में पेपर लीक के मामले: बिहार में शायद ही किसी परीक्षा की पेपर लीक नहीं होती हो. शिक्षक बहाली परीक्षा इसके कारण रद्द करनी पड़ी. बिहार पुलिस भर्ती परीक्षा का पेपर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. पुलिस ने मामले में कई लोगों पर केस दर्ज किया था. साथ ही इसकी परीक्षा भी रद्द करनी पड़ी थी. 2022 में पेपर लीक के कारण बिहार सिविल सेवा परीक्षा रद्द करनी पड़ी. वहीं 2017 में बिहार सिविल सेवा परीक्षा और बिहार कर्मचारी चयन आयोग की इंटर स्तरीय परीक्षा भी पेपर लीक का शिकार हुई थी. वहीं इस साल नीट पेपर लीक कांड में बिहार की खूब फजीहत हुई है.
केंद्र सरकार बना चुकी है कानून: नेट-यूजीसी यूपीएससी, एसएससी, रेलवे भर्ती, बैंकिंग जैसे परीक्षाओं की पेपर लीक करने वाले अपराधियों के खिलाफ कड़े एक्शन करने के लिए मोदी सरकार ने एंटी पेपर कानून बनाया है. इसे सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) कानून 2024 नाम दिया गया है. इस साल के फरवरी माह में इसे पारित किया गया और जून से इस कानून को लागू कर दिया गया है.
1 हजार करोड़ का कारोबार : कहा जाता है कि बिहार में पेपर लीक का बड़ा जाल है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें एक हजार करोड़ के कारोबार का अनुमान है. जिसमें नीचे से लेकर ऊपर तक कई लोग शामिल हैं. इस नेक्शस को तोड़ना काफी मुश्किल काम है.
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