डिंडीगुल: केरल के वायनाड में आई भयानक प्राकृतिक आपदा ने सैकड़ों लोगों को बेघर कर दिया है. सैंकड़ों लोगों की जान चली गई है. इस भूस्खलन के बाद जहां एक ओर जहां दर्दनाक मंजर दिखाई दे रहा है तो वहीं दूसरी ओर कुछ मानवता की तस्वीरें भी सामने आ रही हैं. ऐसा ही कुछ तमिलनाडु में देखने को मिला. यहां भूस्खलन से प्रभावित पीड़ितों के पुनर्वास के लिए लोग पैसे इकट्ठे कर रहे हैं और इसके लिए उन्होंने डिंडीगुल में 'मोई विरुंधु' समारोह (एक तरह का क्राउडफंडिंग दावत) का आयोजन किया. रेस्टोरेंट चलाने वाले मुजीब के इस नेक इरादे में शामिल होने के लिए 7 अगस्त को भारी संख्या में लोग दावत में पहुंचे. तमिल संस्कृति में यह परंपरा प्राचीन काल से मौजूद है.
रेस्टोरेंट मालिक मुजीब ने भूस्खलन प्रभावितों के लिए मोई विरुंधु का आयोजन किया
रेस्टोरेंट के मालिक मुजीब का कहना है कि, वे चाहते तो वायनाड के लोगों के लिए 50 हजार या फिर एक लाख रुपये सहायता के तौर पर दे सकता था, लेकिन उन्होंने सोचा कि इसमें जनता का भी योगदान होना चाहिए. इसलिए उन्होंने अपने रेस्टोरेंट में ग्राहकों के लिए भरपेट भोजन का आयोजन किया. रेस्टोरेंट में खाना खाकर जाने वाले लोग अपनी स्वेच्छा से भोजन के पत्ते के नीचे रुपये, पैसे छोड़ दिए. मुजीब का कहना है कि, जुटाए गए रुपयों का इस्तेमाल वायनाड प्रभावित लोगों के लिए किया जाएगा.
लोगों ने भोजन किया फिर पैसे दिए
मुजीब के नेक इरादे से आयोजित किए गए इस मोई विरुंधु में भारी संख्या में लोग भोजन करने पहुंचे थे. खाने में लोगों को चिकन बिरयानी, चिकन 65, परांठा, मिठाई, घी चावल, प्याज, रायता और पायसम परोसा गया. भोजन करने के बाद लोगों ने अपने-अपने जेब से पैसे निकालकर पत्तल के नीचे रख दिए. मीडिया से बातचीत में मुजीब ने तमिल शब्द 'मोई विरुंधु' प्रथा का मतलब समझाया. उन्होंने कहा कि, इसका अर्थ 'पैसे के लिए दावत' का आयोजन है. उन्होंने आगे कहा कि, तमिल संस्कृति में यह परंपरा प्राचीन काल से मौजूद है, जिसमें वैसे लोग जो गरीबी से पीड़ित हैं, वे प्राप्त धन से खुद को बेहतर बनाने के लिए ऐसी पार्टी का आयोजन करते हैं. उन्होंने कहा कि, पारंपरिक मोई विरुन्धु प्रथा हमारी सोच का परिणाम है, जिसका हमें एक समान पालन करना चाहिए.
एक अकेला कुछ नहीं कर सकता है
मुजीब ने आगे कहा कि, वायनाड प्रभावितों के लिए उनका मदद पर्याप्त नहीं था. इसलिए वे चाहते थे कि आसपास के लोग, दोस्तों और रिश्तेदारों की तरफ से भी योगदान किया जाए. यह सोचकर उन्होंने इसके लिए मोई विरुंधु का आयोजन किया, जिसमें भारी संख्या में लोग पहुंचे और उनका इस नेक कार्य में समर्थन किया. उन्होंने कहा कि, उन्हें लोगों के समर्थन से आपार खुशी हो रही है.
वहीं, मोई वृंदा में भाग लेने वाली राजेश्वरी ने कहा, "उन्होंने (मुजीब) पीड़ित लोगों के लिए इस मोई वृंधु का आयोजन किया. हम जो कुछ भी कर सकते थे हमने दिया है." उन्होंने भोजन करने के बाद कहा, "मेरा पेट और दिल अब भर गया है."
बता दें कि, यह पार्टी कल रात 8:10 बजे तक चली. इस दौरान कुछ का भुगतान वहां रखे बिल में कर दिया. फिर उनमें से एक बच्चे ने अपने बचाए सिक्के उस बॉक्स में डाल दिए जो राहत कोष के लिए रखे गए थे. धीरे-धीरे राहत राशि का आंकड़ा बढ़ता चला गया. एक अन्य व्यक्ति ने भरपेट भोजन करने के बाद 10 हजार रुपये का चेक दिया. बताया गया है कि इस मोई डिनर से प्राप्त सारा पैसा केरल मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया जाएगा.
क्या है मोई विरुंधु?
दरअसल, 'मोई विरुंधु' तमिलनाडु का एक पारंपरिक कार्यक्रम है जिसमें लोगों को एक दावत में आमंत्रित किया जाता है. लोग खाना खाते हैं और फिर अपनी इच्छा के अनुसार, किसी खास उद्देश्य के लिए अपनी मर्जी से जितना हो सके दान करते हैं. लोग इन रुपयों को कैश बॉक्स (गुल्लक) में या फिर भोजन करने के बाद केले के पत्ते के नीचे रखकर दान करते हैं. यह राशि आमतौर पर भोजन की लागत से अधिक होती है.
यदि कोई व्यक्ति या परिवार गरीबी में पड़ जाता है तो उसका कोई भी मित्र अकेला उसकी मदद नहीं कर सकता, ऐसे में आर्थिक संतुलन के लिए और लोगों को सहयोग करने, बिना उधार लिए सम्मानजनक जीवन जीने के लिए आपस में की गई व्यवस्था के रूप मोई विरुंधु का आयोजन करते हैं. ऐसा ही एक सीन 1992 में रिलीज हुई विजयकांत की तमिल फिल्म 'चिन्ना गौंडर' में भी देखने को मिला था.
केरल के वायनाड में भूस्खलन से 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. वहां बचाव कार्य जारी है. हर दिन सामने आ रही खबरें चिंताजनक हैं. दुख में डूबे केरल के लोगों के लिए देशभर से मदद के हाथ बढ़ाए जा रहे हैं. केरल के मुख्यमंत्री प्रणय विजयन ने लोगों से कहा है कि वे भूस्खलन से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए 'मुख्यमंत्री राहत कोष' में यथासंभव धनराशि का योगदान करें. इसके बाद, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में कई फिल्मी हस्तियां, व्यवसायी और जनता अपना सर्वश्रष्ठ योगदान दे रहे हैं.
ये भी पढ़ें: वायनाड भूस्खलन: सेना ने रेस्क्यू मिशन पूरा किया, आगे की जिम्मेदारी NDRF और लोकल फोर्स के कंधों पर