पलामू: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जनवरी 2019 को मंडल डैम के अधूरे कार्य को पूरा करने की आधारशिला रखी थी. शिलान्यास के छह वर्ष के बाद भी मंडल डैम के निर्माण स्थल पर एक ईंट भी नहीं रखी गई है. एक बार फिर से मंडल डैम चुनावी घोषणा और राजनीति का बड़ा केंद्र बन गया है. 2024 के लोकसभा चुनाव में मंडल डैम एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.
मंडल डैम झारखंड के पलामू, चतरा और बिहार के गया एवं औरंगाबाद में राजनीति को प्रभावित करता है. मंडल डैम को लेकर एक बार फिर से चुनावी राजनीति ने जोर पकड़ लिया है. भारतीय जनता पार्टी राज्य सरकार पर उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगा रही है, वहीं इंडिया ब्लॉक परियोजना को पूरा नहीं होने को लेकर केंद्र सरकार पर ठिकरा फोड़ रहा है.
70 के दशक में शुरू हुई थी सिंचाई परियोजना, 1997-98 में नक्सल हमले के बाद ठप हो गया निर्माण कार्य
70 के दशक में अविभाजित बिहार में धान के कटोरा कहे जाने वाले इलाके को ध्यान में रख कर कई बड़ी सिंचाई परियोजना शुरू हुई थी. इन सिंचाई परियोजनाओं में उतर कोयल नहर सिंचाई परियोजना तहत मंडल डैम का निर्माण किया जाना था. 90 के दशक मंडल डैम का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया था. डैम में सिर्फ गेट लगाया जाना था, 1997-98 में मंडल डैम के इलाके में नक्सलियों ने हमला कर एक इंजीनियर की हत्या कर दी थी. इस हमले के बाद से मंडल डैम का निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप है.
मंडल डैम का निर्माण को लेकर राज्य सरकार का रवैया उदासीन है. डूब क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों को मुआवजा दिया जाना है. राज्य सरकार ने मुआवजा देने में असमर्थता जताई थी, जिसके बाद केंद्रीय कैबिनेट ने 500 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि को स्वीकृत किया था. राज्य सरकार डूब क्षेत्र के लोगों को मुआवजा नहीं दे रही है और निर्माण कार्य को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखा रही है. पलामू के इलाके में परियोजना से जुड़े हुए सारे कार्य पूरे हो गए हैं. 12 में 10 गेट को बना लिया गया है सिर्फ इंस्टॉल किया जाना है. - विष्णु दयाल राम, पलामू सांसद
मंडल डैम का निर्माण कार्य पूरा होने से बिहार के इलाके में 229793 एकड़ जबकि झारखंड के पलामू और गढ़वा में 49 हजार एकड़ में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी. दरअसल मंडल डैम से उत्तर कोयल नहर परियोजना के तहत भी बराज को जोड़ा गया है. मंडल डैम से निकले हुए पानी को भीम बराज में रोका जाना है. भीम बराज से बिहार के गया और औरंगाबाद के इलाके में नहर के माध्यम से पानी उपलब्ध करवाया जाना है.
1972 में 30 करोड़ की लागत से मंडल डैम का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. 1997-98 तक इस परियोजना पर करीब 769 करोड़ रुपए खर्च हो चुके थे. जनवरी 2019 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंडल डैम के अधूरे कार्य के पूरा करने की आधारशिला रखी थी. उस दौरान परियोजना की लागत 2391.36 करोड़ रखी गई थी. 769 करोड़ की राशि खर्च हुई थी और 1378 करोड़ की राशि केंद्र की सरकार ने देने की घोषणा की था. 2023 में केंद्रीय कैबिनेट में मंडल डैम के लिए 500 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि को स्वीकृत किया था. जिस वक्त प्रधानमंत्री ने आधारशिला रखी थी, उस दौरान 2022 में परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन मंडल डैम के निर्माण स्थल कार्य शुरू नहीं हुआ.
मंडल डैम महत्वपूर्ण परियोजना है, देश के प्रधानमंत्री समेत कई केंद्रीय मंत्री ने इसकी आधारशिला रखी थी. यह परियोजना सिर्फ पीएम की घोषणा बनकर रह गई. परियोजना के पूरा होने से पलामू गढ़वा लातेहार समेत कई जिलों को फायदा होगा. पेयजल के साथ खेतों के सिंचाई के लिए भी पानी उपलब्ध होगा. पलामू टाइगर रिजर्व के वन्य जीवों को भी पानी मिलेगा- संजय कुमार सिंह यादव , प्रदेश अध्यक्ष, राष्ट्रीय जनता दल
पीटीआर के कारण घटाया जाना है डैम की ऊंचाई, डूब क्षेत्र के लोगों से मुआवजा का विवाद
मंडल डैम परियोजना पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है. शुरुआत में मंडल डैम की ऊंचाई 367 मीटर रखी गई थी. पलामू टाइगर रिजर्व के आपत्ति के बाद डैम की ऊंचाई 42 मी कम किया जाना है. डैम के निर्माण कार्य के लिए 3 लाख 44 हजार पेड़ों को काटने का भी प्रस्ताव था. लेकिन पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन में पेड़ों को काटने से मना कर दिया. मंडल डैम के डूब क्षेत्र में गढ़वा और लातेहार के करीब एक दर्जन गांव आते हैं. स्थानीय ग्रामीण और प्रशासन के बीच मुआवजे को लेकर विवाद है. प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार 750 के करीब परिवार डूब क्षेत्र में हैं, जबकि ग्रामीणों के अनुसार 1051 परिवार डूब क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं.
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