नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्वयंभू बाबा और बलात्कार के दोषी आसाराम बापू द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें चिकित्सा आधार पर सजा को निलंबित करने की उनकी प्रार्थना को खारिज कर दिया गया था. आसाराम ने अपने गिरते स्वास्थ्य को देखते हुए उच्च न्यायालय से उनकी सजा निलंबित करने का आग्रह किया था.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने मामले की सुनवाई की और आसाराम के वकील से कहा कि वह जमानत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं. वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी आसाराम की ओर से पेश हुए और अदालत से कहा कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है और वह ओपन हार्ट सर्जरी का जोखिम नहीं लेना चाहते. उन्होंने आगे कहा कि आसाराम पुलिस हिरासत में इलाज कराने को तैयार हैं.
पीठ ने उनकी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. हालांकि, शीर्ष अदालत ने उन्हें उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी और उच्च न्यायालय को मुख्य अपील में सुनवाई में तेजी लाने का भी निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह उनके मामले की खूबियों पर टिप्पणी किए बिना और पुलिस हिरासत में इलाज की अनुमति देने के राज्य के प्रस्ताव को स्वीकार करने के मद्देनजर निर्देश जारी कर रही है.
बता दें, आसाराम को 2013 में जोधपुर में एक नाबालिग से बलात्कार के आरोप में POCSO और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था. उन्हें 2018 में ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. गुजरात की दो महिलाओं ने भी उनके और उनके बेटे के खिलाफ बलात्कार का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी. जनवरी 2023 में उन्हें रेप मामले में गुजरात कोर्ट ने भी दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
राजस्थान उच्च न्यायालय ने चिकित्सा उपचार के लिए सजा को निलंबित करने के उनके आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यदि उन्हें 'पुलिस हिरासत' के बजाय 'स्वयं' इलाज कराने की अनुमति दी गई तो कानून और व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. 82 वर्षीय आसाराम बापू वर्तमान में नाबालिग से यौन उत्पीड़न के मामले में जोधपुर की सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। जोधपुर ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के खिलाफ उनकी याचिका राजस्थान उच्च न्यायालय में भी लंबित है. आज सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को इस अपील पर जल्द सुनवाई करने का निर्देश दिया है.