बेंगलुरु: कर्नाटक के मंगलुरु शहर में कई लोग आमतौर पर सुबह के समय फिट रहने के लिए टहलते हैं. ऐसे में मंगलुरु के मंगला स्टेडियम के पास टहलने वाले दो दोस्तों ने यहां एक नई दुनिया बसा दी. दरअसल, मंगलुरा स्टेडियम के बैडमिंटन कोर्ट के पास टहलने वाले लोगों को कूड़े, कचरे और गंदगी के ढेर के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता था.
इसके चलते यहां टहलने वाले कुमार और रविराज शेट्टी ने इस कूड़े के ढेर से निजात पाने और बंजर भूमि को बटरफ्लाई पार्क में बदल दिया. कुमार विप्रो के भूतपूर्व कर्मचारी हैं. वह मूल रूप से केरल के रहने वाले हैं. 'सुंदर मंगला' बनाने के उनके सपने को रविराज शेट्टी ने सहारा दिया.
रविराज शेट्टी मंगलुरु में अकबर ट्रैवल्स के कर्मचारी हैं. मूल रूप से उडुपी जिले के रहने वाले हैं. दोनों ने मिलकर मंगलुरु में मंगला स्टेडियम के पास बंजर भूमि को बगीचे में बदल दिया. इसके लिए रविराज शेट्टी अपने गृहनगर हेबरी के सुरपुरा स्थित अपने बगीचे से पौधे लाए और दोनों ने मिलकर बरसात के मौसम में करीब 20,000 पौधे लगा दिए.
उन्होंने वॉकिंग ट्रैक के किनारे करीब आधा किलोमीटर के क्षेत्र में पौधे लगाए. उन्होंने न केवल पौधे लगाए, बल्कि वे हर दिन आकर खरपतवार (Weed) निकालते, पौधों को पानी देते और उनकी देखभाल भी करते. नतीजतन, बंजर भूमि अब एक खूबसूरत जगह में तब्दील हो गई.
मिनी बटरफ्लाई पार्क का निर्माण
सरकारी जमीन पर बनी इस जगह को खूबसूरत बटरफ्लाई पार्क में तब्दील कर दिया गया है. करीब 20 सेंट के एरिया में लगाए गए ज्यादातर पौधे फूल और फल देने वाले हैं. वे पौधे अब खिल रहे हैं और फल दे रहे हैं. इन पर हर रंग की तितलियां झुंड बनाकर आ रही हैं.
ईटीवी भारत से बात करते हुए रविराज ने कहा, "मैं कुमार को करीब 6-7 सालों से देख रहा हूं. वे सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक ईमानदारी से काम करते हैं. रविवार को वे शाम तक काम करते हैं. पहले मैदान के चारों ओर कूड़े के डिब्बे और बीयर की बोतलें रखी रहती थीं. वे कई सालों से ईमानदारी से काम कर रहे हैं कि इसे पूरी तरह से साफ किया जाए और यह पार्क बनाया जाए."
रविराज शेट्टी ने कहा, "हम सात साल से यह काम कर रहे हैं, लेकिन जैसे-जैसे हम इसे करते गए, यह एक बगीचे में बदलता गया. पहले यह एक खाली जगह थी. यह एक वॉकिंग ट्रैक था, अब लोग यहां समय बिताने आते हैं. हम यह काम लंबे समय से कर रहे हैं. अब यह एक पक्षी और तितली पार्क बन गया है और यहां जून से नवंबर तक पक्षी आते हैं."
शराब की बोतलों का ढेर
वहीं, कुमार ने कहा, "जब मैं यहां घूमने आया था, तो यह शराब की बोतलों और सीरिंज से भरा हुआ था. हमने इस पर गौर किया और सोचा कि हमें इस जगह को साफ करना चाहिए. जब मैंने सफाई शुरू की, तो रविराज शेट्टी भी हमारे साथ आ गए. जब हमने सारा मलबा हटा दिया और क्रोटन और फलों वाले पौधे लगाए. इसके बाद यहां बहुत सारी तितलियां आने लगीं. यहां काम करके हमें बहुत खुशी मिलती है. हमें कसरत करने के लिए किसी जिम में जाने की जरूरत नहीं है. हम बहुत खुश हैं और हमें अपने परिवार से पूरा सहयोग मिलता है."