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मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने 17 दिन बाद अपना अनशन वापस लिया

Maratha quota activist Jarange : महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर अनशन कर रहे आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने 17 दिन बाद अपना अनशन वापस ले लिया है. बता दें कि पिछले हफ्ते, राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत अलग से आरक्षण प्रदान करने वाला एक विधेयक सर्वसम्मति से पारित किया है.

Maratha quota activist Jarange
मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे
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By PTI

Published : Feb 26, 2024, 10:00 PM IST

मुंबई : आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सोमवार को घोषणा की कि वह मराठा आरक्षण मुद्दे पर अपना 17 दिन से जारी अनशन वापस ले रहे हैं. जरांगे ने हालांकि कहा कि वह अपना आंदोलन तब तक जारी रखेंगे जब तक कि महाराष्ट्र सरकार उन लोगों के विस्तारित परिवार के सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी करना शुरू नहीं कर देती, जिनके पास पहले से ही ऐसे दस्तावेज हैं और जिससे उन्हें आरक्षण का लाभ मिल सके.

जरांगे का यह फैसला मराठा समुदाय के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण से संबंधित अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए मुंबई तक मार्च की घोषणा के एक दिन बाद आया है जबकि मुंबई में राज्य विधानमंडल का बजट सत्र भी शुरू होने जा रहा है. पिछले हफ्ते, राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत अलग से आरक्षण प्रदान करने वाला एक विधेयक सर्वसम्मति से पारित किया. जरांगे जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में 10 फरवरी से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे और ओबीसी श्रेणी के तहत मराठा आरक्षण की मांग पर अड़े रहे.

मराठा आरक्षण कार्यकर्ता ने कहा, 'मैं आज अपना आंदोलन (भूख हड़ताल) स्थगित कर रहा हूं, लेकिन 3-4 युवा ऐसे होंगे जो हमारी मांगों के लिए हर दिन यहां बैठेंगे और अनशन करेंगे. मैं कुछ गांवों का दौरा भी करूंगा और उन्हें अपना पक्ष समझाऊंगा. गृह विभाग द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण वे यहां (अंतरवाली सरती गांव में) मुझसे मिलने नहीं आ सके.' आरक्षण आंदोलन को लेकर उनके खिलाफ दी गई कई पुलिस शिकायतों के बारे में पूछे जाने पर जरांगे ने कहा, 'अगर वे मुझ पर मुकदमा चलाना चाहते हैं, तो मुझे कोई समस्या नहीं है, लेकिन (ऐसा करके) वे परेशानी को आमंत्रित करेंगे. लोग नाराज होंगे और मुख्यमंत्री तथा गृह मंत्री को परिणाम भुगतने होंगे. अब यह फैसला उन पर है.'

ये भी पढ़ें - कुनबी मराठों के 'रक्त संबंधियों' पर मसौदा अधिसूचना को कानून में बदलें: जरांगे

मुंबई : आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सोमवार को घोषणा की कि वह मराठा आरक्षण मुद्दे पर अपना 17 दिन से जारी अनशन वापस ले रहे हैं. जरांगे ने हालांकि कहा कि वह अपना आंदोलन तब तक जारी रखेंगे जब तक कि महाराष्ट्र सरकार उन लोगों के विस्तारित परिवार के सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी करना शुरू नहीं कर देती, जिनके पास पहले से ही ऐसे दस्तावेज हैं और जिससे उन्हें आरक्षण का लाभ मिल सके.

जरांगे का यह फैसला मराठा समुदाय के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण से संबंधित अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए मुंबई तक मार्च की घोषणा के एक दिन बाद आया है जबकि मुंबई में राज्य विधानमंडल का बजट सत्र भी शुरू होने जा रहा है. पिछले हफ्ते, राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत अलग से आरक्षण प्रदान करने वाला एक विधेयक सर्वसम्मति से पारित किया. जरांगे जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में 10 फरवरी से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे और ओबीसी श्रेणी के तहत मराठा आरक्षण की मांग पर अड़े रहे.

मराठा आरक्षण कार्यकर्ता ने कहा, 'मैं आज अपना आंदोलन (भूख हड़ताल) स्थगित कर रहा हूं, लेकिन 3-4 युवा ऐसे होंगे जो हमारी मांगों के लिए हर दिन यहां बैठेंगे और अनशन करेंगे. मैं कुछ गांवों का दौरा भी करूंगा और उन्हें अपना पक्ष समझाऊंगा. गृह विभाग द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण वे यहां (अंतरवाली सरती गांव में) मुझसे मिलने नहीं आ सके.' आरक्षण आंदोलन को लेकर उनके खिलाफ दी गई कई पुलिस शिकायतों के बारे में पूछे जाने पर जरांगे ने कहा, 'अगर वे मुझ पर मुकदमा चलाना चाहते हैं, तो मुझे कोई समस्या नहीं है, लेकिन (ऐसा करके) वे परेशानी को आमंत्रित करेंगे. लोग नाराज होंगे और मुख्यमंत्री तथा गृह मंत्री को परिणाम भुगतने होंगे. अब यह फैसला उन पर है.'

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