ETV Bharat / bharat

पुराने कमांडर और कैडर को फिर से क्यों जोड़ना चाहते हैं माओवादी? पुलिस की कार्रवाई में कई बड़े खुलासे - Naxal activity in Jharkhand

author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 5, 2024, 2:18 PM IST

Updated : Aug 5, 2024, 2:39 PM IST

Reality of Naxalites in Bihar-Jharkhand. झारखंड में सुरक्षाबलों की ओर से चलाए जा रहे अभियान के कारण माओवादियों की गतिविधि सीमित हो गई है. कई इलाकों से उनका सफाया हो गया है. अब माओवादी अपने पुराने कैडरों को फिर से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसमें भी उन्हें सफलता नहीं मिल रही है.

Reality of Naxalites in Bihar-Jharkhand
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

पलामू: पुलिस एवं सुरक्षाबलों को प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों के खतरनाक इरादे के बारे में पता चला है. माओवादी पुराने कैडर और समर्थक को फिर से संगठन में जोड़ना चाहते हैं. माओवादी पुराने कमांडरों को पैसा एवं पद की लालच दे रहे हैं और हिंसक घटनाओं को अंजाम देने के लिए भाड़े के लोगों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

बिहार के औरंगाबाद में पुलिस ने माओवादियों के टॉप कमांडर राजेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया था. राजेंद्र सिंह बिहार के औरंगाबाद के मालिक का रहने वाला था और पिछले एक दशक से माओवादी संगठन में सक्रिय रहा था. राजेन्द्र सिंह माओवादियों के यूनिफाइड कमांड रहे छकरबंधा में लंबे समय तक रहा है.

राजेंद्र सिंह से पुलिस एवं सुरक्षा एजेंसियां ने पूछताछ की है. इसी पूछताछ में राजेंद्र सिंह ने बताया कि माओवादी बिहार और झारखंड के कई इलाकों में अपने पुराने कैडर से संपर्क स्थापित किया है और कई लोगों से संपर्क स्थापित करने की कोशिश की जा रही है.

पैसा और पद का दिया जा रहा लालच, किसी ने नहीं दी सहमति

माओवादी पुराने कमांडर एवं समर्थक को पैसा और पद की लालच दे रहे हैं. राजेंद्र सिंह ने पुलिस को बताया है कि अभी तक किसी भी पुराने कमांडर या समर्थक ने मदद करने के लिए सहमति नहीं दी है. पुराना कोई भी कैडर दस्ता में शामिल नहीं होना चाहता है. 15 लाख के इनामी नितेश यादव, 10 लाख के इनामी संजय गोदाराम और 10 लाख के इनामी सुनील विवेक ने बिहार के पटना, गया औरंगाबाद और झारखंड के पलामू एवं चतरा में कई लोगों से संपर्क स्थापित किया है. बूढापहाड़ के इलाके में भी संपर्क स्थापित की गई. राजेंद्र सिंह ने पुलिस को बताया है कि किसी ने भी माओवादियों को मदद करने की सहमति नहीं दी है.

राजेंद्र सिंह ने पुलिस को बताया है कि माओवादी पुराने कमांडर एवं कैडरों से संपर्क कर रहे हैं. पुलिस माओवादियों के किसी भी मंसूबे कामयाब नहीं होने देगी. पुलिस नक्सलियों के खिलाफ सर्च अभियान चला रही है. आम लोगों का पुलिस पर भरोसा बढ़ा है और मुख्यधारा में शामिल होने वाले माओवादियों के मंसूबे को समझ गए है. पुलिस नक्सलियों से लगातार आत्मसमर्पण करने की अपील कर रही है.- रीष्मा रमेशन, एसपी, पलामू

बिहार-झारखंड में 4500 से अधिक माओवादियों के लड़ाकों की थी संख्या, अब 200 तक सिमटी

2013-14 तक माओवादियों के बिहार झारखंड उत्तरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमिटी में गोरिल्ला आर्मी के लड़ाकू की संख्या 4500 से अधिक थी. पुलिस एवं सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार फिलहाल उनकी संख्या 200 के करीब रह गई. माओवादियों के पास एक दशक पहले तक बिहार-झारखंड उत्तरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमेटी से अधिक लड़ाकों की संख्या छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य के इलाके में थी.

Reality of Naxalites in Bihar-Jharkhand
GFX (ETV BHARAT)

झारखंड और बिहार में पिछले एक दशक में माओवादियों के खिलाफ कई बड़े अभियान चलाए गए है. वहीं कई बिंदुओं पर पुलिस ने कार्य किया है जिसके बाद इनकी संख्या 200 के करीब रह गई है. कभी 350 से अधिक इनामी नक्सली झारखंड-बिहार में थे अब इनकी संख्या घट कर 70 के करीब रह गई है.

माओवादियों की पकड़ धीरे-धीरे आम लोगों पर कमजोर होती गई है. 2009 के बाद माओवादियों ने हिंसक रूप अख्तियार किया था जिससे आम लोगों को काफी परेशानी हुई. आम लोग धीरे-धीरे संगठन से दूर होते गए यही वजह है कि माओवादी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे है.- सुरेंद्र, पूर्व माओवादी

गोरिल्ला आर्मी बेहद ताकतवर

माओवादी के लिए किसी भी हिंसक घटना को अंजाम पीपुल्स लिबरेशन का गोरिल्ला आर्मी करती है. 2000 में माओवादी ने इसका गठन किया था. 2004 में देश भर के माओवादी संगठन एकजुट हो गए थे जिसके बाद गोरिल्ला आर्मी की ताकत बढ़ गई थी. फिलहाल झारखंड बिहार में इनके लड़ाकों की संख्या 200 के करीब रह गई है.

Reality of Naxalites in Bihar-Jharkhand
GFX (ETV BHARAT)

सिमट गई बड़े कमांडरों की गतिविधि

पिछले एक दशक में माओवादियों के कई अन्य पोषक संगठन खत्म हो गए हैं. माओवादियों के रिवॉल्यूशनरी, किसान समेत कई संगठन खत्म हो गए है. झारखंड-बिहार में माओवादियों के पास 21 के करीब पोलित ब्यूरो एवं केंद्रीय कमेटी सदस्य थे. अब इनकी संख्या घटकर दो हो गई है. माओवादियों के बड़े कमांडरों की गतिविधि सिर्फ सारंडा के इलाके तक सिमट कर रह गई है.

ये भी पढ़ें-

नौजवान नक्सल कैडरों का संगठन से हुआ मोह भंग, माओवाद का आखिरी किला भी ध्वस्त होने के कगार पर - Young Naxal cadre desperate

सीआरपीएफ के हटने के बाद खास इलाके को माओवादियों ने बनाया ठिकाना, पुराने कैडर को कर रहे एक्टिवेट

नक्सली अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए बच्चों से कर रहे हैं संपर्क, संगठन में करेंगे भर्ती

जानें, कौन है भाकपा माओवादियों की बड़ी राजदार, जिसके खुलासे से नक्सलियों को हो सकता है बड़ा नुकसान! - Naxalism in Jharkhand

पलामू: पुलिस एवं सुरक्षाबलों को प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों के खतरनाक इरादे के बारे में पता चला है. माओवादी पुराने कैडर और समर्थक को फिर से संगठन में जोड़ना चाहते हैं. माओवादी पुराने कमांडरों को पैसा एवं पद की लालच दे रहे हैं और हिंसक घटनाओं को अंजाम देने के लिए भाड़े के लोगों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

बिहार के औरंगाबाद में पुलिस ने माओवादियों के टॉप कमांडर राजेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया था. राजेंद्र सिंह बिहार के औरंगाबाद के मालिक का रहने वाला था और पिछले एक दशक से माओवादी संगठन में सक्रिय रहा था. राजेन्द्र सिंह माओवादियों के यूनिफाइड कमांड रहे छकरबंधा में लंबे समय तक रहा है.

राजेंद्र सिंह से पुलिस एवं सुरक्षा एजेंसियां ने पूछताछ की है. इसी पूछताछ में राजेंद्र सिंह ने बताया कि माओवादी बिहार और झारखंड के कई इलाकों में अपने पुराने कैडर से संपर्क स्थापित किया है और कई लोगों से संपर्क स्थापित करने की कोशिश की जा रही है.

पैसा और पद का दिया जा रहा लालच, किसी ने नहीं दी सहमति

माओवादी पुराने कमांडर एवं समर्थक को पैसा और पद की लालच दे रहे हैं. राजेंद्र सिंह ने पुलिस को बताया है कि अभी तक किसी भी पुराने कमांडर या समर्थक ने मदद करने के लिए सहमति नहीं दी है. पुराना कोई भी कैडर दस्ता में शामिल नहीं होना चाहता है. 15 लाख के इनामी नितेश यादव, 10 लाख के इनामी संजय गोदाराम और 10 लाख के इनामी सुनील विवेक ने बिहार के पटना, गया औरंगाबाद और झारखंड के पलामू एवं चतरा में कई लोगों से संपर्क स्थापित किया है. बूढापहाड़ के इलाके में भी संपर्क स्थापित की गई. राजेंद्र सिंह ने पुलिस को बताया है कि किसी ने भी माओवादियों को मदद करने की सहमति नहीं दी है.

राजेंद्र सिंह ने पुलिस को बताया है कि माओवादी पुराने कमांडर एवं कैडरों से संपर्क कर रहे हैं. पुलिस माओवादियों के किसी भी मंसूबे कामयाब नहीं होने देगी. पुलिस नक्सलियों के खिलाफ सर्च अभियान चला रही है. आम लोगों का पुलिस पर भरोसा बढ़ा है और मुख्यधारा में शामिल होने वाले माओवादियों के मंसूबे को समझ गए है. पुलिस नक्सलियों से लगातार आत्मसमर्पण करने की अपील कर रही है.- रीष्मा रमेशन, एसपी, पलामू

बिहार-झारखंड में 4500 से अधिक माओवादियों के लड़ाकों की थी संख्या, अब 200 तक सिमटी

2013-14 तक माओवादियों के बिहार झारखंड उत्तरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमिटी में गोरिल्ला आर्मी के लड़ाकू की संख्या 4500 से अधिक थी. पुलिस एवं सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार फिलहाल उनकी संख्या 200 के करीब रह गई. माओवादियों के पास एक दशक पहले तक बिहार-झारखंड उत्तरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमेटी से अधिक लड़ाकों की संख्या छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य के इलाके में थी.

Reality of Naxalites in Bihar-Jharkhand
GFX (ETV BHARAT)

झारखंड और बिहार में पिछले एक दशक में माओवादियों के खिलाफ कई बड़े अभियान चलाए गए है. वहीं कई बिंदुओं पर पुलिस ने कार्य किया है जिसके बाद इनकी संख्या 200 के करीब रह गई है. कभी 350 से अधिक इनामी नक्सली झारखंड-बिहार में थे अब इनकी संख्या घट कर 70 के करीब रह गई है.

माओवादियों की पकड़ धीरे-धीरे आम लोगों पर कमजोर होती गई है. 2009 के बाद माओवादियों ने हिंसक रूप अख्तियार किया था जिससे आम लोगों को काफी परेशानी हुई. आम लोग धीरे-धीरे संगठन से दूर होते गए यही वजह है कि माओवादी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे है.- सुरेंद्र, पूर्व माओवादी

गोरिल्ला आर्मी बेहद ताकतवर

माओवादी के लिए किसी भी हिंसक घटना को अंजाम पीपुल्स लिबरेशन का गोरिल्ला आर्मी करती है. 2000 में माओवादी ने इसका गठन किया था. 2004 में देश भर के माओवादी संगठन एकजुट हो गए थे जिसके बाद गोरिल्ला आर्मी की ताकत बढ़ गई थी. फिलहाल झारखंड बिहार में इनके लड़ाकों की संख्या 200 के करीब रह गई है.

Reality of Naxalites in Bihar-Jharkhand
GFX (ETV BHARAT)

सिमट गई बड़े कमांडरों की गतिविधि

पिछले एक दशक में माओवादियों के कई अन्य पोषक संगठन खत्म हो गए हैं. माओवादियों के रिवॉल्यूशनरी, किसान समेत कई संगठन खत्म हो गए है. झारखंड-बिहार में माओवादियों के पास 21 के करीब पोलित ब्यूरो एवं केंद्रीय कमेटी सदस्य थे. अब इनकी संख्या घटकर दो हो गई है. माओवादियों के बड़े कमांडरों की गतिविधि सिर्फ सारंडा के इलाके तक सिमट कर रह गई है.

ये भी पढ़ें-

नौजवान नक्सल कैडरों का संगठन से हुआ मोह भंग, माओवाद का आखिरी किला भी ध्वस्त होने के कगार पर - Young Naxal cadre desperate

सीआरपीएफ के हटने के बाद खास इलाके को माओवादियों ने बनाया ठिकाना, पुराने कैडर को कर रहे एक्टिवेट

नक्सली अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए बच्चों से कर रहे हैं संपर्क, संगठन में करेंगे भर्ती

जानें, कौन है भाकपा माओवादियों की बड़ी राजदार, जिसके खुलासे से नक्सलियों को हो सकता है बड़ा नुकसान! - Naxalism in Jharkhand

Last Updated : Aug 5, 2024, 2:39 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.