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NEET UG 2024 : टॉपर्स को भी नहीं मिल पाएगा दिल्ली एम्स, जानिए वजह - NEET UG 2024

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 5, 2024, 9:50 PM IST

मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी में परफेक्ट स्कोर लाने वाले कई छात्रों को टॉपर होने के बावजूद भी दिल्ली एम्स नहीं मिल पाएगा. जनरल कोटे के स्टूडेंट्स को 49 रैंक तक ही वहां पर सीट अलॉट हो सकती हैं, जबकि इस बार टॉपर्स 720 लाने वाले की संख्या 67 हैं.

NEET UG 2024
NEET UG 2024 (ETV Bharat GFX Team)

पर्स को भी नहीं मिल पाएगा दिल्ली एम्स (ETV Bharat Kota)

कोटा. देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी 2024 का परिणाम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने मंगलवार को जारी कर दिया. परीक्षा में इस बार टॉपर्स की संख्या बढ़ी है. ऐसे में इस बार कटऑफ भी बढ़ी है. टॉपर्स स्टूडेंट की पहली च्वाइस दिल्ली एम्स होता है, लेकिन इस बार टॉपर्स 67 हैं, जिन्होंने इस प्रवेश परीक्षा में परफेक्ट स्कोर किया है. इसके बावजूद भी कई टॉपर्स को दिल्ली एम्स नहीं मिल पाएगा. जनरल कोटे के स्टूडेंट्स को 49 रैंक तक ही वहां पर सीट अलॉट हो सकती है, जबकि इस बार टॉपर्स 720 लाने वाले की संख्या 67 है. यह जनरल कोटे की सीट से 18 ज्यादा हैं. कोटा के निजी कोचिंग संस्थान के निदेशक डॉ. बृजेश माहेश्वरी का यह भी मानना है कि इस बार रैंक वन पर भी 67 स्टूडेंट आए हैं. जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट को भी प्रतिष्ठित दिल्ली एम्स की सीट मिलना मुश्किल है. इन स्टूडेंट्स को काउंसलिंग की वरीयता के लिए ऑल इंडिया रैंक वन की जगह पर 1.01 से लेकर 1.67 तक जारी की गई है.

49 सीट हैं दिल्ली एम्स में जनरल कैटेगरी के लिए : दिल्ली एम्स में 132 सीट हैं, जिनमें से 125 सीट ओपन कोटा में है, जबकि शेष 7 सीट एनआरआई कोटे से हैं, जिसमें भी जनरल, ओबीसी, एससी-एसटी और दिव्यांग का अलग-अलग कैटिगरी के अनुसार रिजर्वेशन है. जनरल कैटेगरी की 49 सीट हैं. ऐसे में शुरुआती 49 स्टूडेंट इन पर प्रवेश ले लेंगे. इसके बाद परफेक्ट स्कोर करने वाले जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट्स को दूसरा संस्थान चुनना पड़ेगा. कोटा के निजी कोचिंग संस्थान के निदेशक डॉ बृजेश माहेश्वरी का मानना है कि कई स्टूडेंट्स ऐसे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी वह प्रतिष्ठित दिल्ली एम्स की सीट नहीं पा सकेंगे. उनका कहना है कि जनरल कोटे के विद्यार्थियों के साथ यह हो सकता है.

इसे भी पढ़ें-नीट यूजी परिणाम : सैनिक के बेटे ने इस हालत में भी की मेहनत, लेकर आया 720 में से 720 अंक - NEET UG 2024 Perfect Score

710 अंक वाले को भी मिला था दिल्ली एम्स : बीते साल 2023 की ऑल इंडिया 15 फ़ीसदी कोटे की काउंसलिंग के अनुसार दिल्ली में जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट्स को 56 वीं रैंक पर दिल्ली एम्स अलॉट हुआ था. यह भी इसलिए नीचे गिरी थी. इससे ऊपर की रैंक वाले 7 कैंडिडेट ने दिल्ली एम्स की जगह दूसरे संस्थानों को वरीयता दी थी. बीते साल जहां पर 720 से 710 अंक के बीच में 48 कैंडिडेट थे. इस बार 720 से लेकर 705 तक नम्बर पर ही 540 से ज्यादा कैंडिडेट सामने आ गए हैं. ऐसे में इस बार सीट अलॉटमेंट में हाई रैंक वाले कैंडिडेट को ही प्रतिष्ठित संस्थान मिलेंगे.

कटऑफ की तुलना में टॉपर्स ज्यादा बढ़ें : नीट यूजी के परिणाम में सामने आ रहा है कि करीब 25 से 30 अंक ज्यादा इस बार एमबीबीएस एडमिशन में सरकारी मेडिकल कॉलेज में कट ऑफ रह सकती है. बीते साल 2023 में जहां पर जनरल व ईडब्ल्यूएस की कटऑफ 137 थी. इस बार यह बढ़कर 164 पर पहुंच गई है. ऐसे में 27 अंकों की बढ़ोतरी हुई है. इस साल ओबीसी, एससी व एसटी की कट ऑफ 129 अंक है. बीते साल यह कटऑफ परसेंटाइल 107 थी, जिसमें 22 अंकों की बढ़त हुई है. बीते साल 705 अंक पर तक ऑल इंडिया रैंक 94 थी, लेकिन इस बार 705 अंक पर ही 542 एआईआर आई है. इसी तरह बीते साल 650 अंक पर जहां पर 6950 रैंक आई थी, इस साल 29 हजार रैंक है. ऐसे में माना जा सकता है कि तीन से पांच गुना स्टूडेंट टॉपर्स की संख्या में बढ़ गए हैं.

इसे भी पढ़ें-NEET UG 2024: अब तक 67 कैंडिडेट के आए 720 में से 720 अंक, पहली बार बना बड़ा रिकॉर्ड - NEET UG 2024 Perfect Score

एक सवाल के दो जवाब मानने पर टॉपर्स बढ़े : डॉ. माहेश्वरी का यह भी कहना है कि फिजिक्स के एक सवाल पर ओल्ड एनसीआरटी और न्यू एनसीआरटी को लेकर अलग-अलग आंसर थे. कुछ बच्चों ने ओल्ड एनसीईआरटी के तहत जवाब दिया था, ऐसे में प्रोविजनल आंसर की में वह गलत हो रहा था, जबकि कुछ ने न्यू एनसीईआरटी के तहत आंसर दिया था. हालांकि, कुछ स्टूडेंट्स ने इस पर आपत्ति जताई थी. इसके बाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने फाइनल आंसर की में उसके दो ऑप्शन सही बता दिए थे। इसके बाद ही टॉपर्स की संख्या बढ़ गई है.

एग्जाम पैटर्न बदलने से ही कम होंगे टॉपर : डॉ. माहेश्वरी का यह भी मानना है कि जब से एग्जाम पेपर में कैंडिडेट को प्रश्न सॉल्व करने के लिए चॉइस दी जा रही है. इससे भी कैंडिडेट ज्यादा स्कोर कर रहे हैं. सभी कैंडिडेट को फिजिक्स, केमिस्ट्री, बॉटनी और जूलॉजी में 50-50 प्रश्न पूछे जाते हैं. पार्ट ए और बी दो हिस्सों में ये बंटे होते हैं. पार्ट ए में कैंडिडेट को 35 प्रश्न करने होते हैं, जबकि पार्ट बी में 15 में से 10 प्रश्न कैंडिडेट को करने होते हैं. जबसे यह चॉइस कैंडिडेट को दी गई है, तब से रैंकर्स की संख्या बढ़ रही है. टॉपर्स की संख्या अगर कम करनी है, तो एग्जाम के पैटर्न को बदलना होगा.

पर्स को भी नहीं मिल पाएगा दिल्ली एम्स (ETV Bharat Kota)

कोटा. देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी 2024 का परिणाम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने मंगलवार को जारी कर दिया. परीक्षा में इस बार टॉपर्स की संख्या बढ़ी है. ऐसे में इस बार कटऑफ भी बढ़ी है. टॉपर्स स्टूडेंट की पहली च्वाइस दिल्ली एम्स होता है, लेकिन इस बार टॉपर्स 67 हैं, जिन्होंने इस प्रवेश परीक्षा में परफेक्ट स्कोर किया है. इसके बावजूद भी कई टॉपर्स को दिल्ली एम्स नहीं मिल पाएगा. जनरल कोटे के स्टूडेंट्स को 49 रैंक तक ही वहां पर सीट अलॉट हो सकती है, जबकि इस बार टॉपर्स 720 लाने वाले की संख्या 67 है. यह जनरल कोटे की सीट से 18 ज्यादा हैं. कोटा के निजी कोचिंग संस्थान के निदेशक डॉ. बृजेश माहेश्वरी का यह भी मानना है कि इस बार रैंक वन पर भी 67 स्टूडेंट आए हैं. जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट को भी प्रतिष्ठित दिल्ली एम्स की सीट मिलना मुश्किल है. इन स्टूडेंट्स को काउंसलिंग की वरीयता के लिए ऑल इंडिया रैंक वन की जगह पर 1.01 से लेकर 1.67 तक जारी की गई है.

49 सीट हैं दिल्ली एम्स में जनरल कैटेगरी के लिए : दिल्ली एम्स में 132 सीट हैं, जिनमें से 125 सीट ओपन कोटा में है, जबकि शेष 7 सीट एनआरआई कोटे से हैं, जिसमें भी जनरल, ओबीसी, एससी-एसटी और दिव्यांग का अलग-अलग कैटिगरी के अनुसार रिजर्वेशन है. जनरल कैटेगरी की 49 सीट हैं. ऐसे में शुरुआती 49 स्टूडेंट इन पर प्रवेश ले लेंगे. इसके बाद परफेक्ट स्कोर करने वाले जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट्स को दूसरा संस्थान चुनना पड़ेगा. कोटा के निजी कोचिंग संस्थान के निदेशक डॉ बृजेश माहेश्वरी का मानना है कि कई स्टूडेंट्स ऐसे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी वह प्रतिष्ठित दिल्ली एम्स की सीट नहीं पा सकेंगे. उनका कहना है कि जनरल कोटे के विद्यार्थियों के साथ यह हो सकता है.

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710 अंक वाले को भी मिला था दिल्ली एम्स : बीते साल 2023 की ऑल इंडिया 15 फ़ीसदी कोटे की काउंसलिंग के अनुसार दिल्ली में जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट्स को 56 वीं रैंक पर दिल्ली एम्स अलॉट हुआ था. यह भी इसलिए नीचे गिरी थी. इससे ऊपर की रैंक वाले 7 कैंडिडेट ने दिल्ली एम्स की जगह दूसरे संस्थानों को वरीयता दी थी. बीते साल जहां पर 720 से 710 अंक के बीच में 48 कैंडिडेट थे. इस बार 720 से लेकर 705 तक नम्बर पर ही 540 से ज्यादा कैंडिडेट सामने आ गए हैं. ऐसे में इस बार सीट अलॉटमेंट में हाई रैंक वाले कैंडिडेट को ही प्रतिष्ठित संस्थान मिलेंगे.

कटऑफ की तुलना में टॉपर्स ज्यादा बढ़ें : नीट यूजी के परिणाम में सामने आ रहा है कि करीब 25 से 30 अंक ज्यादा इस बार एमबीबीएस एडमिशन में सरकारी मेडिकल कॉलेज में कट ऑफ रह सकती है. बीते साल 2023 में जहां पर जनरल व ईडब्ल्यूएस की कटऑफ 137 थी. इस बार यह बढ़कर 164 पर पहुंच गई है. ऐसे में 27 अंकों की बढ़ोतरी हुई है. इस साल ओबीसी, एससी व एसटी की कट ऑफ 129 अंक है. बीते साल यह कटऑफ परसेंटाइल 107 थी, जिसमें 22 अंकों की बढ़त हुई है. बीते साल 705 अंक पर तक ऑल इंडिया रैंक 94 थी, लेकिन इस बार 705 अंक पर ही 542 एआईआर आई है. इसी तरह बीते साल 650 अंक पर जहां पर 6950 रैंक आई थी, इस साल 29 हजार रैंक है. ऐसे में माना जा सकता है कि तीन से पांच गुना स्टूडेंट टॉपर्स की संख्या में बढ़ गए हैं.

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एक सवाल के दो जवाब मानने पर टॉपर्स बढ़े : डॉ. माहेश्वरी का यह भी कहना है कि फिजिक्स के एक सवाल पर ओल्ड एनसीआरटी और न्यू एनसीआरटी को लेकर अलग-अलग आंसर थे. कुछ बच्चों ने ओल्ड एनसीईआरटी के तहत जवाब दिया था, ऐसे में प्रोविजनल आंसर की में वह गलत हो रहा था, जबकि कुछ ने न्यू एनसीईआरटी के तहत आंसर दिया था. हालांकि, कुछ स्टूडेंट्स ने इस पर आपत्ति जताई थी. इसके बाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने फाइनल आंसर की में उसके दो ऑप्शन सही बता दिए थे। इसके बाद ही टॉपर्स की संख्या बढ़ गई है.

एग्जाम पैटर्न बदलने से ही कम होंगे टॉपर : डॉ. माहेश्वरी का यह भी मानना है कि जब से एग्जाम पेपर में कैंडिडेट को प्रश्न सॉल्व करने के लिए चॉइस दी जा रही है. इससे भी कैंडिडेट ज्यादा स्कोर कर रहे हैं. सभी कैंडिडेट को फिजिक्स, केमिस्ट्री, बॉटनी और जूलॉजी में 50-50 प्रश्न पूछे जाते हैं. पार्ट ए और बी दो हिस्सों में ये बंटे होते हैं. पार्ट ए में कैंडिडेट को 35 प्रश्न करने होते हैं, जबकि पार्ट बी में 15 में से 10 प्रश्न कैंडिडेट को करने होते हैं. जबसे यह चॉइस कैंडिडेट को दी गई है, तब से रैंकर्स की संख्या बढ़ रही है. टॉपर्स की संख्या अगर कम करनी है, तो एग्जाम के पैटर्न को बदलना होगा.

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