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फॉरेस्ट फायर मामले में उत्तराखंड से आगे हैं ये राज्य, फिर भी वनाग्नि के लिए सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरती है देवभूमि - Forest Fire In Uttarakhand

Forest Fire In Uttarakhand पर्यावरण के संरक्षण की बात हो या फिर वनाग्नि से पर्यावरण को हो रहे नुकसान की चर्चाएं. उत्तराखंड हमेशा इन मामलों में राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरता है. पिछले दिनों वनाग्नि की घटनाओं को लेकर भी उत्तराखंड सबकी जुबां पर रहा, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि वनाग्नि के मामले में देश के कई दूसरे राज्य उत्तराखंड के मुकाबले काफी आगे हैं. यानी राष्ट्रीय स्तर पर भले ही उत्तराखंड सुर्खियों में नंबर वन हो, लेकिन जंगलों की आग के मामले में बाकी कई राज्यों से पीछे है.

Forest Fire In Uttarakhand
उत्तराखंड वन विभाग (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 25, 2024, 2:23 PM IST

Updated : May 25, 2024, 4:45 PM IST

फॉरेस्ट फायर मामले में उत्तराखंड से आगे हैं कई राज्य (video- ETV Bharat)

देहरादून: जंगलों की आग हमेशा उत्तराखंड को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं में लाती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि उत्तराखंड के जंगल देश में सबसे ज्यादा धधक रहे हैं. दरअसल देश में वनाग्नि की घटनाएं अधिकतर राज्यों में रिकॉर्ड की जाती हैं. उत्तराखंड भी इन्हीं राज्यों में शुमार है. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के वनाग्नि को लेकर दिए गए आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि देश के कई राज्य वनाग्नि को लेकर चिंताजनक स्थिति में हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य की सबसे ज्यादा रहती है.

Forest Fire In Uttarakhand
साल 2018 से साल 2023 की वनाग्नि घटनाएं (Photo- ETV Bharat)

उत्तराखंड में आग की घटनाएं बाकी कई राज्यों से कम: वैसे देश के लिए वनाग्नि कोई नई समस्या नहीं है. पिछले सालों साल से जंगल यूं ही बदस्तूर जलते रहे हैं. हालांकि पहले जंगलों में आग को लेकर लोग इतनी ज्यादा जागरूक नहीं थे और ना ही राज्य सरकारों द्वारा आग बुझाने के लिए इतने प्रयास किए जाते थे. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के आंकड़े बताते हैं कि 20 साल पहले भी इसी तरह जंगलों में आग लगने की घटनाएं हुआ करती थी. साल 2004 से 2017 तक के 13 साल के आंकड़े भी बेहद दिलचस्प दिखाई देते हैं. उस दौरान भी उत्तराखंड में आग की घटनाएं बाकी कई राज्यों से कम रिकॉर्ड की गयी थी.

Forest Fire In Uttarakhand
साल 2004 से साल 2017 तक के आंकड़े (Photo- ETV Bharat)

उत्तराखंड से वनाग्नि के मामले में 13 राज्य आगे: 2004 से 2017 में त्रिपुरा, तेलंगाना, मिजोरम, उड़ीसा, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, असम और आंध्र प्रदेश में उत्तराखंड से ज्यादा वनाग्नि की घटनाएं घटित हुईं. उत्तराखंड में जंगलों की आग को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं की एक वजह राज्य का पर्यावरण को लेकर ज्यादा संवेदनशील होना भी है. प्रदेश का करीब 70 फ़ीसदी क्षेत्र वन आच्छादित है और वन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में वन संपदा बढ़ रही है. ऐसे में बाकी राज्यों में वनाग्नि की ज्यादा घटना होने के बावजूद उत्तराखंड का सुर्खियों में रहने के कई दूसरे कारण भी हैं.

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फॉरेस्ट सर्वे आफ इंडिया के आंकड़े (Photo- ETV Bharat)

वन मंत्री बोले वनाग्नि को कम करने का प्रयास जारी: उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि प्रदेश में जंगलों की आग राजनीतिक मुद्दा बनने के कारण भी राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ जाती है. हालांकि राज्य सरकार लगातार जंगलों में आग की घटनाओं को कम करने का प्रयास कर रही है और काफी हद तक वन विभाग इसमें कामयाब भी हुआ है. दूसरी तरफ इन प्रयासों को लगातार आगे बढ़ाया जा रहा है, ताकि आने वाले समय में भी जंगलों की आग को लेकर स्थितियां नियंत्रित रखी जाएं.

उत्तराखंड में स्थित हैं पर्यावरण से जुड़े कई संस्थानों का मुख्यालय: उत्तराखंड में पर्यावरण को विशेष रूप से महत्व दिया जाता रहा है. सबसे खास बात यह है कि वाइल्डलाइफ और पर्यावरण से जुड़े कई राष्ट्रीय स्तर के संस्थान का मुख्यालय भी उत्तराखंड में ही है. इसके अलावा उत्तराखंड में पर्यावरण विदों का एक्टिव रहना भी वनाग्नि जैसी पर्यावरण को नुकसान देने वाली घटनाओं को चर्चाओं में लाता है.

जंगलों की आग के कारण 1,546 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित: वैसे पिछले कुछ समय में राज्य में वनाग्नि की घटनाओं में कमी आई है. उत्तराखंड वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में जंगलों की आग के कारण करीब 1,546 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है. हालांकि कई बार जंगलों में आग को लेकर आंकड़ों में तकनीकी रूप से भिन्नता भी देखने को मिलती है, लेकिन वन विभाग अक्सर इस बात को लेकर चिंता में दिखाई देता है कि राज्य में बाकी राज्यों के मुकाबले आग लगने की घटनाएं कम होने के बावजूद भी राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड को इतनी तवज्जो कैसे मिल जाती है.

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फॉरेस्ट फायर मामले में उत्तराखंड से आगे हैं कई राज्य (video- ETV Bharat)

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साल 2018 से साल 2023 की वनाग्नि घटनाएं (Photo- ETV Bharat)

उत्तराखंड में आग की घटनाएं बाकी कई राज्यों से कम: वैसे देश के लिए वनाग्नि कोई नई समस्या नहीं है. पिछले सालों साल से जंगल यूं ही बदस्तूर जलते रहे हैं. हालांकि पहले जंगलों में आग को लेकर लोग इतनी ज्यादा जागरूक नहीं थे और ना ही राज्य सरकारों द्वारा आग बुझाने के लिए इतने प्रयास किए जाते थे. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के आंकड़े बताते हैं कि 20 साल पहले भी इसी तरह जंगलों में आग लगने की घटनाएं हुआ करती थी. साल 2004 से 2017 तक के 13 साल के आंकड़े भी बेहद दिलचस्प दिखाई देते हैं. उस दौरान भी उत्तराखंड में आग की घटनाएं बाकी कई राज्यों से कम रिकॉर्ड की गयी थी.

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साल 2004 से साल 2017 तक के आंकड़े (Photo- ETV Bharat)

उत्तराखंड से वनाग्नि के मामले में 13 राज्य आगे: 2004 से 2017 में त्रिपुरा, तेलंगाना, मिजोरम, उड़ीसा, नागालैंड, मेघालय, मणिपुर, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, असम और आंध्र प्रदेश में उत्तराखंड से ज्यादा वनाग्नि की घटनाएं घटित हुईं. उत्तराखंड में जंगलों की आग को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं की एक वजह राज्य का पर्यावरण को लेकर ज्यादा संवेदनशील होना भी है. प्रदेश का करीब 70 फ़ीसदी क्षेत्र वन आच्छादित है और वन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में वन संपदा बढ़ रही है. ऐसे में बाकी राज्यों में वनाग्नि की ज्यादा घटना होने के बावजूद उत्तराखंड का सुर्खियों में रहने के कई दूसरे कारण भी हैं.

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फॉरेस्ट सर्वे आफ इंडिया के आंकड़े (Photo- ETV Bharat)

वन मंत्री बोले वनाग्नि को कम करने का प्रयास जारी: उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि प्रदेश में जंगलों की आग राजनीतिक मुद्दा बनने के कारण भी राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ जाती है. हालांकि राज्य सरकार लगातार जंगलों में आग की घटनाओं को कम करने का प्रयास कर रही है और काफी हद तक वन विभाग इसमें कामयाब भी हुआ है. दूसरी तरफ इन प्रयासों को लगातार आगे बढ़ाया जा रहा है, ताकि आने वाले समय में भी जंगलों की आग को लेकर स्थितियां नियंत्रित रखी जाएं.

उत्तराखंड में स्थित हैं पर्यावरण से जुड़े कई संस्थानों का मुख्यालय: उत्तराखंड में पर्यावरण को विशेष रूप से महत्व दिया जाता रहा है. सबसे खास बात यह है कि वाइल्डलाइफ और पर्यावरण से जुड़े कई राष्ट्रीय स्तर के संस्थान का मुख्यालय भी उत्तराखंड में ही है. इसके अलावा उत्तराखंड में पर्यावरण विदों का एक्टिव रहना भी वनाग्नि जैसी पर्यावरण को नुकसान देने वाली घटनाओं को चर्चाओं में लाता है.

जंगलों की आग के कारण 1,546 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित: वैसे पिछले कुछ समय में राज्य में वनाग्नि की घटनाओं में कमी आई है. उत्तराखंड वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में जंगलों की आग के कारण करीब 1,546 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है. हालांकि कई बार जंगलों में आग को लेकर आंकड़ों में तकनीकी रूप से भिन्नता भी देखने को मिलती है, लेकिन वन विभाग अक्सर इस बात को लेकर चिंता में दिखाई देता है कि राज्य में बाकी राज्यों के मुकाबले आग लगने की घटनाएं कम होने के बावजूद भी राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड को इतनी तवज्जो कैसे मिल जाती है.

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Last Updated : May 25, 2024, 4:45 PM IST
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