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केदारघाटी में इस साल कई लोगों की जान ले चुकी आपदा, इन तारीखों को शायद ही कोई भूल पाए, शासन यात्रा पर जल्द लेगा फैसला - Kedar Valley disaster - KEDAR VALLEY DISASTER

Sonprayag landslide, Rudraprayag landslide, Uttarakhand disaster, सितंबर का महीना आ चुका है. उत्तराखंड से मॉनसून विदा होने को तैयार है, लेकिन आफत की बारिश है कि रूकने का नाम ही नहीं ले रही है. सोमवार 9 सितंबर को केदारघाटी में लैंडस्लाइड के कारण पांच लोगों की जान चली गई. इस साल केदारघाटी में बारिश ने ऐसा कहर बरपाया है, जिसे साल 2013 की केदारनाथ आपदा की तरह शायद ही भुलाया जा सके.

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केदारघाटी आपदा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 10, 2024, 10:05 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में मौसम की मार थमने का नाम नहीं ले रही है. इस बार भी मॉनसून ने उत्तराखंड में जमकर कहर बरपाया है. सोमवार 9 सितंबर शाम को केदारघाटी में गौरीकुंड-सोनप्रयाग के बीच बड़ा लैंडस्लाइड हुआ. इस हादसे में पहाड़ी से गिरे मबले के नीचे दबने से पांच श्रद्धालुओं की मौत हो गई. वहीं कई लोग घायल भी है. इससे पहले भी केदारघाटी में दो बड़े हादसे हो चुके है, जिनमें कई लोगों की जान गई थी. इस साल केदारघाटी में घटी दुर्घटनाओं पर नजर डालते है.

उत्तराखंड में इस साल भी मॉनसून ने केदार घाटी को कई जख्म दिए है, जिन्हें शायद की स्थानीय लोग कभी भूल पाएंगे. साल 2013 की आपदा के बाद शायद ये पहली बार होगा, जब केदार घाटी में भारी बारिश ने इस तरह का तांडव मचाया है, जिसकी वजह से कई लोगों की जान चली गई. केदारघाटी में 23 जुलाई को आई आपदा से हालत अभी सामान्य भी नहीं हुए थे कि 23 अगस्त को एक और बड़ी घटना हो गई थी. जैसे-कैसे केदारनाथ पैदल यात्रा को फिर से पटरी पर लाने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन 9 सितंबर शाम को हुए लैंडस्लाइड ने एक बार फिर से केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग के सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े कर दिए.

मोटर मार्ग भी अभी ठीक नहीं हुआ: ऋषिकेश-केदारनाथ हाईवे का बड़ा हिस्सा सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच 31 जुलाई को आई आपदा में बह गया था, जिसका काम अभी भी 80 प्रतिशत अधूरा पड़ा है. ऐसे में श्रद्धालुओं को केदारनाथ धाम जाने के लिए करीब पांच किमी को अतिरिक्त पैदल सफर तय करना पड़ रहा हैं.

सितंबर में शुरू हो जाता है चारधाम यात्रा का दूसरा चरण: कपाट खुलने के साथ ही जहां चारधाम यात्रा का पहला चरण शुरू होता है तो वहीं मॉनसून में चारधाम यात्रा धीमी पड़ जाती है. हालांकि सितंबर के पहले हफ्ते में बारिश के बाद यात्रा का दूसरा चरण शुरू होता है, लेकिन इस बार ऐसा होता नहीं दिख रही है. क्योंकि केदारघाटी में एक के बाद एक आपदा आने से हालात काफी विकट बने हुए है.

केदार घाटी में टूटी पड़ी सड़कें: केदारघाटी में जगह-जगह सड़कें टूटी हुई है, जिसको बनाने का काम युद्ध स्तर पर जारी है. बावजूद इसके कई श्रद्धालु भक्ति भाव में रिस्क लेकर केदारनाथ धाम जा रहे हैं, जिससे वो न सिर्फ अपनी जान खतरे में डाल रहे है, बल्कि पुलिस-प्रशासन की मुश्किल भी बढ़ा रहा है. हालांकि पुलिस-प्रशासन भी ऐसे श्रद्धालुओं को नहीं रोक रही है. 9 सितंबर को लैंडस्लाइड में पांच लोगों की मौत के बाद 10 सितंबर को यात्रियों को केदारनाथ धाम भेजा. हालांकि बाद में प्रशासन ने ये फैसला लिया कि शाम पांच के बाद केदारनाथ धाम मार्ग के पैदल रास्ते पर किसी तरह भी तरह की आवाजाही नहीं होगी.

लैंडस्लाइड की वजह से पांच लोगों की मौत हुई: सोनप्रयाग में 9 सितंबर शाम को लैंडस्लाइड के बाद हालात इतने खराब हो गए थे कि मबले में दबे लोगों को निकालने से सुबह तक का समय लगा. इससे पहले भी केदारनाथ धाम में इसी यात्रा सीजन में भूस्खलन की वजह से कई श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. इतना ही नहीं बीते महीने आई आपदा में भी कई लोग मारे जा चुके हैं. आखिर सवाल यहीं खड़ा होता है कि इतने खराब मौसम में भी श्रद्धालु को केदारनाथ धाम क्यों भेजा जा रहा है?

Kedar Valley disaster
31 जुलाई को आई आपदा के बाद फंसे हुए लोगों को केदारघाटी से इसी तरह रेस्क्यू किया गया था. (ETV Bharat)

मृतकों के नाम: सोमवार 9 सितंबर को हादसे में जान गवाने वाले लोग मध्य प्रदेश, नेपाल और गुजरात के रहने वाले है. जिसमें 50 साल के गोपाल, 50 साल के ही भारत भाई निराला. 50 साल की समना बाई और तितली देवी, 50 साल की दुर्गाबाई है.

31 जुलाई को भी हुआ था बड़ा नुकसान: केदारघाटी में 31 जुलाई को आसमान से आफत बरसी थी. हालात इस कदर खराब थे कि सड़क जगह-जगह से टूट गई थी और इस आपदा में कई लोगों की जान भी चली गई थी. इस आपदा के बाद करीब एक महीने तक यात्रा भी बंद रही थी. साल 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद ऐसा पहली बार हुआ था, जब इतने लंबे समय तक यात्रा बंद रही थी. 31 जुलाई को आपदा के बाद केदारघाटी में 10 हजार से अधिक लोग फंसे गए थे, जिनका अलग अलग माध्यम से रेस्क्यू किया गया था. रेस्क्यू में सेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर भी लगाया गया था.

Kedar Valley disaster
केदारघाटी में इस बारिश ने जमकर कहर बरपाया है. (ETV Bharat)

पहले हादसे से नहीं लिया सबक: 31 जुलाई के बाद 23 अगस्त को भी केदारघाटी में फिर से बड़ा हादसा हुआ. बारिश के दौरान फटा के पास मालवे में दबाकर कर नेपाली नागरिकों की मौत हो गई थी. ध्यान देने वाली बात यह है कि जुलाई 31 की तारीख में आई आपदा हो या 23 अगस्त को केदारनाथ मार्ग पर फटा में भूस्खलन की घटना या फिर 9 सितंबर की शाम पांच यात्रियों के मारे जाने की घटना यह सभी बड़े हादसे से केदारनाथ पैदल मार्ग पर ही हुए हैं.

केदारनाथ यात्रा संचालन की पूरी जिम्मेदारी बीकेटीसी: केदारनाथ पैदल मार्ग पर आपदा जैसे हालत बने हुए. इसके बाद भी यात्रा को क्यों नहीं रोका जा रहा है, इस पर बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय से बात की गई. उन्होंने कहा कि 31 जुलाई की आपदा के बाद यात्रा सितंबर के पहले हफ्ते में सही से चलने लगी थी. टूटे हुए मार्ग को छोटे वाहनों के चलने लायक बना दिया गया था, जिससे श्रद्धालु जा भी रहे थे.

अजेंद्र अजय ने बताया कि सोमवार को भी सोनप्रयाग क्षेत्र में तेज बारिश हुई थी, जिस कारण न केवल पैदल मार्ग बंद हुआ, बल्कि भूस्खलन की चपेट में आने से पांच लोगों की मौत भी हो गई थी. यह हादसा बेहद दर्दनाक है. उन्होंने भक्तों से अपील की है कि अंधेरे में यात्रा न करें.

अजेंद्र अजय के मुताबिक सितंबर महीने तक यात्रा का दूसरा सीजन शुरू हो जाता है. लेकिन पिछले साल 2023 और इस साल 2024 में भी सितंबर में काफी बारिश हुई है. ऐसे में यात्रा सुचारू करना बेहद मुश्किल हो रहा है. पिछली बार भी बारिश अक्टूबर महीने तक होती रही थी, लेकिन इस बार इस बारिश ने न केवल यात्रियों की जान ली है, बल्कि यात्रा मार्ग भी बाधित हो रहा हैं. इसीलिए फैसला लिया गया है कि शाम पांच बजे के बाद पैदल मार्ग किसी भी तरह की आवाजाही नहीं होगी.

Kedar Valley disaster
केदारघाटी में फंसे लोगों का रेस्क्यू. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

आपदा सचिव यात्रा पर लेगे फैसला: उत्तराखंड के आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि सड़क पूरी तरह से बन चुकी थी, लेकिन बारिश ने पूरी सड़क को दोबारा से बंद कर दिया है. यात्रा को लेकर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया जा रहा है. कल बुधवार 11 सितंबर को वो खुद गढ़वाल कमिश्नर के साथ सोनप्रयाग जाएंगे और वहां से हालात का जायजा लेगे. उसके बाद ही यात्रा को लेकर कोई फैसला लिया जाएगा. जरूरत पड़ी तो यात्रा को रोका भी जाएगा.

चारधाम यात्रा में हर साल सबसे अधिक मौत चाहे वह आपदा से हो या नेचुरल डेथ केदारनाथ में ही होती है. अब तक केदारनाथ में यात्रियों की मौत का आंकड़ा 95 पहुंच गया है, जबकि बदरीनाथ में 48 श्रद्धालु की जान जा चुकी है. अगर डिजास्टर के हिसाब से देखें तो रुद्रप्रयाग जिले में अब तक 15 लोगों की मौत अलग-अलग कारणों से मौत हुई है.

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देहरादून: उत्तराखंड में मौसम की मार थमने का नाम नहीं ले रही है. इस बार भी मॉनसून ने उत्तराखंड में जमकर कहर बरपाया है. सोमवार 9 सितंबर शाम को केदारघाटी में गौरीकुंड-सोनप्रयाग के बीच बड़ा लैंडस्लाइड हुआ. इस हादसे में पहाड़ी से गिरे मबले के नीचे दबने से पांच श्रद्धालुओं की मौत हो गई. वहीं कई लोग घायल भी है. इससे पहले भी केदारघाटी में दो बड़े हादसे हो चुके है, जिनमें कई लोगों की जान गई थी. इस साल केदारघाटी में घटी दुर्घटनाओं पर नजर डालते है.

उत्तराखंड में इस साल भी मॉनसून ने केदार घाटी को कई जख्म दिए है, जिन्हें शायद की स्थानीय लोग कभी भूल पाएंगे. साल 2013 की आपदा के बाद शायद ये पहली बार होगा, जब केदार घाटी में भारी बारिश ने इस तरह का तांडव मचाया है, जिसकी वजह से कई लोगों की जान चली गई. केदारघाटी में 23 जुलाई को आई आपदा से हालत अभी सामान्य भी नहीं हुए थे कि 23 अगस्त को एक और बड़ी घटना हो गई थी. जैसे-कैसे केदारनाथ पैदल यात्रा को फिर से पटरी पर लाने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन 9 सितंबर शाम को हुए लैंडस्लाइड ने एक बार फिर से केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग के सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े कर दिए.

मोटर मार्ग भी अभी ठीक नहीं हुआ: ऋषिकेश-केदारनाथ हाईवे का बड़ा हिस्सा सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच 31 जुलाई को आई आपदा में बह गया था, जिसका काम अभी भी 80 प्रतिशत अधूरा पड़ा है. ऐसे में श्रद्धालुओं को केदारनाथ धाम जाने के लिए करीब पांच किमी को अतिरिक्त पैदल सफर तय करना पड़ रहा हैं.

सितंबर में शुरू हो जाता है चारधाम यात्रा का दूसरा चरण: कपाट खुलने के साथ ही जहां चारधाम यात्रा का पहला चरण शुरू होता है तो वहीं मॉनसून में चारधाम यात्रा धीमी पड़ जाती है. हालांकि सितंबर के पहले हफ्ते में बारिश के बाद यात्रा का दूसरा चरण शुरू होता है, लेकिन इस बार ऐसा होता नहीं दिख रही है. क्योंकि केदारघाटी में एक के बाद एक आपदा आने से हालात काफी विकट बने हुए है.

केदार घाटी में टूटी पड़ी सड़कें: केदारघाटी में जगह-जगह सड़कें टूटी हुई है, जिसको बनाने का काम युद्ध स्तर पर जारी है. बावजूद इसके कई श्रद्धालु भक्ति भाव में रिस्क लेकर केदारनाथ धाम जा रहे हैं, जिससे वो न सिर्फ अपनी जान खतरे में डाल रहे है, बल्कि पुलिस-प्रशासन की मुश्किल भी बढ़ा रहा है. हालांकि पुलिस-प्रशासन भी ऐसे श्रद्धालुओं को नहीं रोक रही है. 9 सितंबर को लैंडस्लाइड में पांच लोगों की मौत के बाद 10 सितंबर को यात्रियों को केदारनाथ धाम भेजा. हालांकि बाद में प्रशासन ने ये फैसला लिया कि शाम पांच के बाद केदारनाथ धाम मार्ग के पैदल रास्ते पर किसी तरह भी तरह की आवाजाही नहीं होगी.

लैंडस्लाइड की वजह से पांच लोगों की मौत हुई: सोनप्रयाग में 9 सितंबर शाम को लैंडस्लाइड के बाद हालात इतने खराब हो गए थे कि मबले में दबे लोगों को निकालने से सुबह तक का समय लगा. इससे पहले भी केदारनाथ धाम में इसी यात्रा सीजन में भूस्खलन की वजह से कई श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. इतना ही नहीं बीते महीने आई आपदा में भी कई लोग मारे जा चुके हैं. आखिर सवाल यहीं खड़ा होता है कि इतने खराब मौसम में भी श्रद्धालु को केदारनाथ धाम क्यों भेजा जा रहा है?

Kedar Valley disaster
31 जुलाई को आई आपदा के बाद फंसे हुए लोगों को केदारघाटी से इसी तरह रेस्क्यू किया गया था. (ETV Bharat)

मृतकों के नाम: सोमवार 9 सितंबर को हादसे में जान गवाने वाले लोग मध्य प्रदेश, नेपाल और गुजरात के रहने वाले है. जिसमें 50 साल के गोपाल, 50 साल के ही भारत भाई निराला. 50 साल की समना बाई और तितली देवी, 50 साल की दुर्गाबाई है.

31 जुलाई को भी हुआ था बड़ा नुकसान: केदारघाटी में 31 जुलाई को आसमान से आफत बरसी थी. हालात इस कदर खराब थे कि सड़क जगह-जगह से टूट गई थी और इस आपदा में कई लोगों की जान भी चली गई थी. इस आपदा के बाद करीब एक महीने तक यात्रा भी बंद रही थी. साल 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद ऐसा पहली बार हुआ था, जब इतने लंबे समय तक यात्रा बंद रही थी. 31 जुलाई को आपदा के बाद केदारघाटी में 10 हजार से अधिक लोग फंसे गए थे, जिनका अलग अलग माध्यम से रेस्क्यू किया गया था. रेस्क्यू में सेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर भी लगाया गया था.

Kedar Valley disaster
केदारघाटी में इस बारिश ने जमकर कहर बरपाया है. (ETV Bharat)

पहले हादसे से नहीं लिया सबक: 31 जुलाई के बाद 23 अगस्त को भी केदारघाटी में फिर से बड़ा हादसा हुआ. बारिश के दौरान फटा के पास मालवे में दबाकर कर नेपाली नागरिकों की मौत हो गई थी. ध्यान देने वाली बात यह है कि जुलाई 31 की तारीख में आई आपदा हो या 23 अगस्त को केदारनाथ मार्ग पर फटा में भूस्खलन की घटना या फिर 9 सितंबर की शाम पांच यात्रियों के मारे जाने की घटना यह सभी बड़े हादसे से केदारनाथ पैदल मार्ग पर ही हुए हैं.

केदारनाथ यात्रा संचालन की पूरी जिम्मेदारी बीकेटीसी: केदारनाथ पैदल मार्ग पर आपदा जैसे हालत बने हुए. इसके बाद भी यात्रा को क्यों नहीं रोका जा रहा है, इस पर बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय से बात की गई. उन्होंने कहा कि 31 जुलाई की आपदा के बाद यात्रा सितंबर के पहले हफ्ते में सही से चलने लगी थी. टूटे हुए मार्ग को छोटे वाहनों के चलने लायक बना दिया गया था, जिससे श्रद्धालु जा भी रहे थे.

अजेंद्र अजय ने बताया कि सोमवार को भी सोनप्रयाग क्षेत्र में तेज बारिश हुई थी, जिस कारण न केवल पैदल मार्ग बंद हुआ, बल्कि भूस्खलन की चपेट में आने से पांच लोगों की मौत भी हो गई थी. यह हादसा बेहद दर्दनाक है. उन्होंने भक्तों से अपील की है कि अंधेरे में यात्रा न करें.

अजेंद्र अजय के मुताबिक सितंबर महीने तक यात्रा का दूसरा सीजन शुरू हो जाता है. लेकिन पिछले साल 2023 और इस साल 2024 में भी सितंबर में काफी बारिश हुई है. ऐसे में यात्रा सुचारू करना बेहद मुश्किल हो रहा है. पिछली बार भी बारिश अक्टूबर महीने तक होती रही थी, लेकिन इस बार इस बारिश ने न केवल यात्रियों की जान ली है, बल्कि यात्रा मार्ग भी बाधित हो रहा हैं. इसीलिए फैसला लिया गया है कि शाम पांच बजे के बाद पैदल मार्ग किसी भी तरह की आवाजाही नहीं होगी.

Kedar Valley disaster
केदारघाटी में फंसे लोगों का रेस्क्यू. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

आपदा सचिव यात्रा पर लेगे फैसला: उत्तराखंड के आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि सड़क पूरी तरह से बन चुकी थी, लेकिन बारिश ने पूरी सड़क को दोबारा से बंद कर दिया है. यात्रा को लेकर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया जा रहा है. कल बुधवार 11 सितंबर को वो खुद गढ़वाल कमिश्नर के साथ सोनप्रयाग जाएंगे और वहां से हालात का जायजा लेगे. उसके बाद ही यात्रा को लेकर कोई फैसला लिया जाएगा. जरूरत पड़ी तो यात्रा को रोका भी जाएगा.

चारधाम यात्रा में हर साल सबसे अधिक मौत चाहे वह आपदा से हो या नेचुरल डेथ केदारनाथ में ही होती है. अब तक केदारनाथ में यात्रियों की मौत का आंकड़ा 95 पहुंच गया है, जबकि बदरीनाथ में 48 श्रद्धालु की जान जा चुकी है. अगर डिजास्टर के हिसाब से देखें तो रुद्रप्रयाग जिले में अब तक 15 लोगों की मौत अलग-अलग कारणों से मौत हुई है.

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