तेजपुर: असम में भीड़ के हमले में घायल हुई बाघिन के जंगल में लौटने की संभावना नहीं है. तीन साल की यह बाघिन पहले ही अपनी एक आंख खो चुकी है. अब काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के पास वन्यजीव पुनर्वास एवं संरक्षण केंद्र (सीडब्ल्यूआरसी) में इसका उपचार किया जा रहा है.
सीडब्ल्यूआरसी के पशु चिकित्सक भास्कर चौधरी ने कहा, 'बाघिन की एक आंख चली गई है. इससे यह स्पष्ट हो गया है कि उसे जंगल में नहीं छोड़ा जा सकता. इसके अलावा उसकी नाक पर भी गंभीर चोटें आई हैं. हमें अभी यह तय करना है कि उसे किसी चिड़ियाघर या किसी अन्य स्थान पर भेजा जाएगा या नहीं.'
यह दुखद घटना पिछले महीने हुई थी जब कुछ स्थानीय लोगों ने केरीबाकोरी इलाके में बाघिन को देखा और उस पर पत्थरों से हमला कर दिया. बाघिन पास के जंगल से भटककर मानव बस्तियों में चली आई थी और स्थानीय लोगों द्वारा बाघ का पीछा करने के बाद वह थक गई थी. स्थानीय लोगों ने बाघिन पर पत्थरों से हमला किया क्योंकि वह थक गई थी और उसके पास भागने की कोई ताकत नहीं थी.
वन अधिकारियों ने बताया कि पत्थरबाजी के कारण उसकी एक आंख पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई, जबकि दूसरी आंख आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गई. बाद में वन अधिकारियों ने बेहोशी की दवा देकर घायल पशु को बचाया और उसे सीडब्ल्यूआरसी ले जाया गया.
बाघिन कलियाबोर के पास कामाख्यागुरी आरक्षित वन से भटककर कलियाबोर की ओर चली आई थी. कलियाबोर उप जिला प्रशासन ने इस सप्ताह की शुरुआत में कलियाबोर और उसके आसपास कर्फ्यू का आदेश भी जारी किया था. लोगों से अनावश्यक आवाजाही से बचने का आग्रह किया गया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मनुष्यों और बाघों के बीच संघर्ष को टाला जा सके.
उल्लेखनीय है कि असम पुलिस ने पिछले महीने जंगल से भटककर आई बाघिन को बुरी तरह घायल करने के आरोप में छह लोगों को हिरासत में लिया था. यह गिरफ्तारियां नागांव वन रेंज के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) बिभूति मजूमदार द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के आधार पर की गई थी.