नई दिल्ली: स्वतंत्र भारत में दूसरी बार लोकसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव होने जा रहा है. सत्ता पक्ष ने भाजपा सांसद ओम बिरला को दूसरी बार स्पीकर पद के लिए उम्मीदवार बनाया है, वहीं विपक्ष ने केरल से कांग्रेस सांसद के. सुरेश को स्पीकर पद के लिए नामित किया है. कल 26 जून को संसद के निचले सदन में लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए वोटिंग होगी. इससे पहले वर्ष 1952 में स्पीकर पद के लिए चुनाव हुआ था. 543 सदस्यीय लोकसभा में एनडीए के 293 सांसद हैं और विपक्षी गठबंधन इंडिया के पास 234 सांसद हैं.
भाजपा नीत एनडीए और कांग्रेस के नीच इंडिया गठबंधन के नेता लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए रणनीति बनाने में जुटे हैं. इस बीच विपक्षी खेमे में उम्मीदवार को लेकर मतभेद सामने आया है. इंडिया गठबंधन में शामिल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने के. सुरेश को लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए विपक्ष का साझा उम्मीदवार बनाने के फैसले पर सवाल उठाए हैं.
टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि कांग्रेस सांसद के. सुरेश को स्पीकर पद के लिए विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार नामित करने से पहले उनकी पार्टी से सलाह नहीं ली गई. उन्होंने इसे एकतरफा निर्णय करार दिया. एएनआई से बात करते हुए अभिषेक बनर्जी ने कहा कि स्पीकर पद के. सुरेश का उम्मीदवार बनाने को लेकर हमसे संपर्क नहीं किया गया, कोई चर्चा नहीं हुई. यह एकतरफा निर्णय है.
आम सहमति से होता रहा है स्पीकर का चुनाव
इंडिया गठबंधन की तरफ से सुरेश और एनडीए की ओर से ओम बिरला ने को 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया. जिससे स्पीकर पद के लिए दशकों बाद चुनाव होना तय हो गया है. आजादी के बाद से ही लोकसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चुनाव सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आम सहमति से होता रहा है.
29 वर्ष तक सांसद रह चुके हैं सुरेश
इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के. सुरेश 18वीं लोकसभा में में सबसे लंबे समय तक सांसद रहने वाले सदस्य हैं. वह 29 वर्षों तक सांसद रहे हैं. सुरेश पहली बार 1989 में लोकसभा के लिए चुने गए थे. इसके बाद वह 1991, 1996 और 1999 के लोकसभा चुनावों में केलर की अदूर सीट से लगातार चार बार सांसद चुने गए. इस बार वह केरल की मावेलिक्कारा सीट से सांसद चुने गए हैं. आम चुनावों में यह उनकी आठवीं जीत है.
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