पटना: बिहार की 40 लोकसभा सीटों को लेकर रस्साकशी शुरू हो गई है. सियासी दल धर्म और जातीय समीकरण साधकर चुनावी रण में हुंकार भरने को तैयार हैं. दो चरणों के लिए नामांकन की प्रक्रिया खत्म हो गई है. एनडीए में सभी 40 सीटों पर तो इंडिया गठबंधन भी 32 सीटों पर अपने प्रत्याशी के नामों की घोषणा कर दी है. चुनाव में इस बार कुल 6 मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी मैदान में दिखाई देंगे.
NDA गठबंधन के मुस्लिम प्रत्याशी: चुनाव में सभी कैंडिडेट के प्रत्याशियों की लिस्ट पर एक नजर डालें तो NDA 40 सीट पर अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है. बीजेपी कुल 17 सीट पर चुनाव लड़ रही है. 17 सीटों में से एक भी सीट मुस्लिम को नहीं दिया गया है. वहीं जदयू 16 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इन 16 सीटों में से एकमात्र किशनगंज सीट पर जेडीयू ने मुस्लिम प्रत्याशी खड़ा किया है. जदयू ने किशनगंज से मुजाहिद आलम को अपना उम्मीदवार बनाया है. लोजपा (रामविलास) 5 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन एक भी मुस्लिम कैंडिडेट नहीं दिया है.
INDIA गठबंधन के मुस्लिम कैंडिडेट: इंडिया गठबंधन में सीटों का फार्मूला तय कर दिया गया है. आरजेडी 23 सीट तो कांग्रेस 9 सीट पर चुनाव लड़ रही है. वामपंथी दल के खाते में पांच और VIP पार्टी को राजद ने अपने कोटे से तीन सीट दिया है. इंडिया गठबंधन में 40 में से 32 सीट पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी गई है. कांग्रेस ने किशनगंज और कटिहार से एवं राजद ने मधुबनी और अररिया से मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया है.
कौन-कौन हैं मुस्लिम उम्मीदवार: जदयू ने किशनगंज से मुजाहिद आलम को टिकट दिया है. कांग्रेस ने किशनगंज से सिटिंग सांसद मोहम्मद जावेद को और कटिहार से कांग्रेस ने दिग्गज नेता तारिक अनवर को एक बार फिर से चुनावी मैदान में उतारा है. जहां तक राजद की बात है तो आरजेडी के वोट का मुख्य आधार मुस्लिम और यादव ही है.राजद ने इस बार सिर्फ दो मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है. अररिया से तस्लीमुद्दीन के छोटे बेटे शाहनवाज आलम और मधुबनी से मोहम्मद अली असरफ फातमी को मैदान में उतारा है. वहीं किशनगंज से एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल इमाम भी इस बार चुनावी मैदान में नजर आएंगे.
2014 में राजद ने दिये थे छह मुस्लिम प्रत्याशी: गौर करने वाली बात यह है कि 2014 लोकसभा चुनाव में बिहार में 40 लोकसभा सीट में 15 मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे थे. राजद ने 6 मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था. अनवारुल हक शिवहर से, अब्दुल बारी सिद्दीकी मधुबनी से, सरफराज आलम अररिया से, हिना शहाब सिवान से, तनवीर हसन को बेगूसराय से एवं अली अशरफ फातमी को दरभंगा से उम्मीदवार बनाया गया था.
जदयू ने 5 मुस्लिम कैंडिडेट उतारे थे : वहीं 2014 में जदयू ने 5 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था. शिवहर से शाहिद अली खान, मधुबनी से गुलाम गौस, सारण से सलीम परवेज, किशनगंज से अख्तरुल इमाम एवं भागलपुर से आबू कैसर को अपना उम्मीदवार बनाया था. कांग्रेस ने किशनगंज से असरारूल हक कासमी को, लोजपा ने महबूब अली कैसर को खगड़िया से अपना उम्मीदवार बनाया था. वहीं भाजपा ने भी एक उम्मीदवार भागलपुर से सैयद शाहनवाज हुसैन को अपना उम्मीदवार घोषित किया था. एनसीपी के तरफ से तारिक अनवर कटिहार से चुनावी मैदान में उतरे थे.
2019 लोकसभा में मुस्लिम प्रत्याशी: बता करें 2019 लोकसभा चुनाव कि तो बिहार की 40 सीट में 9 मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया गया था. राजद ने पांच मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था. अररिया से मोहम्मद सरफराज आलम, शिवहर से सैयद फैसल अली, दरभंगा से अब्दुल बारी सिद्दीकी, सिवान से हिना शहाब और बेगूसराय से तनवीर हसन को आरजेडी टिकट दिया गया. कांग्रेस ने दो मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया जिसमें किशनगंज से मोहम्मद जावेद और कटिहार से तारिक अनवर थे. जदयू ने एक मुस्लिम उम्मीदवार किशनगंज से मोहम्मद अशफाक को टिकट दिया गया. वहीं एनसीपी की तरफ से खगड़िया से चौधरी महबूब अली कैसर को उम्मीदवार बनाया गया था.
कम टिकट मिलने से नाराजगी: इमारते शरिया फुलवारी शरीफ के पूर्व अध्यक्ष और ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना अनिसुर रहमान कासमी मुस्लिम को कम टिकट मिलने से नाराज दिख रहे हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि यह चिंता का विषय है कि देश में और खास कर बिहार में मुस्लिम उम्मीदवारों को धीरे-धीरे कम टिकट दिया जा रहा है. बिहार में राजद हो या कांग्रेस हो इनका राजनीतिक बुनियाद मुस्लिम वोट बैंक पर ही टिका हुआ है.
"आबादी के हिसाब से उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया. 2023 में जाति आधारित गणना के बाद उम्मीद जगी थी कि उचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा, लेकिन विधान परिषद का चुनाव हो या विधानसभा का बाय इलेक्शन मुसलमान के साथ नाइंसाफी हुई. जब तक आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी नहीं मिलेगी तब तक मुस्लिम समुदाय पूरे जोश के साथ वोट नहीं कर पाएंगे."-मौलाना अनिसुर रहमान कासमी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल
नहीं खुलेगा खाता: उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल जो सिर्फ मुसलमान का वोट लेते हैं और प्रतिनिधित्व नहीं दे पा रहे हैं. यदि मुस्लिम उनको एकजुट होकर वोट नहीं देंगे तो उनका खाता खुलना मुश्किल हो जाएगा. यदि मुस्लिम समाज को राजनीतिक रूप से नुकसान होता है तो इसका खामियाजा उन राजनीतिक दलों को भी उठाना पड़ेगा जो सिर्फ मुसलमान का वोट लेना जानते हैं.
"मुस्लिम को केंद्रित करके राजनीति करेंगे तो हिंदुओं का वोट उनको अब नहीं मिलेगा. छोटी-छोटी पार्टी अब जाति का कार्ड खेल रही है. आरजेडी का परंपरागत वोट बैंक MY रहा है, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में राजद ने नौ यादव प्रत्याशियों को उम्मीदवार बनाया है और तीन कुशवाहा जाति के उम्मीदवार को टिकट दिया है. मुस्लिम मतदाताओं में अपने काम उम्मीदवार दिए जाने से रोष है." - अरुण पांडे, वरिष्ठ पत्रकार
बीजेपी का एजेंडा राष्ट्रवाद: वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे ने बताया कि 2024 के चुनाव में मुसलमान प्रत्याशियों की संख्या कम हुई है. इसके दो कारण है एक बीजेपी 80 और 20 की राजनीति पर जोर दे रही है. बिहार में 82 फीसदी हिंदुओं की आबादी है और बीजेपी ने एक भी मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट नहीं दिया है. बीजेपी के एजेंडे में राष्ट्रवाद, कॉमन सिविल कोर्ट और CAA के मुद्दे हैं. यही कारण है कि बिहार और उत्तर प्रदेश से बड़े राज्यों में बीजेपी ने एक भी मुस्लिम को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया है.
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