बाड़मेर. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मारवाड़ में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. 6 साल से कांग्रेस में रहे दिग्गज नेता पूर्व सांसद कर्नल मानवेंद्र सिंह ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंच पर पार्टी ने मानवेंद्र सिंह जसोल की भाजपा में घर वापसी कराई. मंच पर मौजूद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी, प्रभारी शंकर सिंह राजपुरोहित, पोकरण विधायक मंहत प्रतापपुरी, कैलाश चौधरी सहित भाजपा के कई नेताओं ने मानवेंद्र सिंह जसोल को दुपट्टा पहनाकर पार्टी की सदस्यता दिलाई.
जनवरी के पहले सप्ताह के बाद से ही मानवेंद्र सिंह के बीजेपी में शामिल होने की चर्चा शुरू हो गई थी. हाल ही में सड़क हादसे में मानवेंद्र सिंह की पत्नी चित्रा सिंह का निधन हो गया था, जबकि मानवेंद्र सिंह और उनके बेटे को चोटें आई थी. हालांकि, मानवेंद्र सिंह अब एकदम स्वस्थ हैं. इस बीच उनकी पिछले कई दिनों से भाजपा के कई बड़े नेताओं के साथ लगातार बातचीत जारी थी. वहीं, शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के मौके पर मानवेंद्र सिंह ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. मानवेंद्र सिंह के अलावा पूर्व विधायक तरुणराय कागा की भी घर वापसी हुई है.
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सियासी इतिहास - 2018 विधानसभा चुनाव से पहले छोड़ी भाजपा : 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर मानवेंद्र सिंह विधायक बने, लेकिन 2014 में जब पिता जसवंत सिंह जसोल का भाजपा ने टिकट काट दिया तो पार्टी से उनके रिश्ते भी खराब होने लगे. इसके बाद साल 2018 में बाड़मेर के पचपदरा में स्वाभिमान रैली कर मानवेंद्र सिंह ने भाजपा छोड़ने का फैसला लिया. इसके बाद मानवेंद्र सिंह ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया. वहीं, 2018 में कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने झालरापाटन से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने चुनाव लड़ा.
हालांकि, हर बार की तरह यहां से जीत राजे की ही हुई. वहीं, मानवेन्द्र को गहलोत सरकार में राज्य सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष जिम्मेदारी मिली. 2023 विधानसभा चुनाव में मानवेंद्र सिंह जैसलमेर सीट से चुनाव लड़ना चाह रहे थे, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उन्हें एनवक्त पर सिवाना विधानसभा सीट पर उतार दिया, जहां कांग्रेस से बागी और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी सुनील परिहार के निर्दलीय ताल ठोकने से मानवेंद्र फिर चुनाव हार गए. इस चुनाव में हार से ज्यादा ठेस मानवेंद्र को उस वक्त पहुंची जब सुनील परिहार की 3 माह बाद ही कांग्रेस में वापसी हो गई, जबकि निर्दलीय चुनाव लड़ने पर उन्हें 6 साल के लिए कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था.