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क्या संविधान में संशोधन के लिए जरूरी हैं 400 सीट? - Lok Sabha Election

Constitution Amendment: संविधान में सबसे पहला संशोधन जून 1951 में हुआ था, तब से लेकर अगस्त 2023 तक देश के संविधान में 127 संशोधन हो चुके हैं.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 20, 2024, 7:55 PM IST

Constitution Amendment
क्या संविधान में संशोधन के लिए जरूरी हैं 400 सीट (ANI)

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 5 चरण का मतदान पूरा हो चुका है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) अभी भी दावा कर रही है कि इस बार एनडीए 400 सीट जीतेगा. वहीं, कांग्रेस का कहना है कि अगर बीजेपी को 400 सीट मिल जाती हैं तो संविधान में बदलाव करेगी.

हालांकि, बीजेपी ने कांग्रेस के इन दावों का खंडन किया है. पार्टी का कहना है कि अगर उसे संविधान में बदलाव करना होता तो वह पहले ही कर चुकी होती. वह पिछले 10 साल में सत्ता में है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि संविधान में अब तक संशोधन या बदलाव नहीं हुआ है.

संविधान में सबसे पहला संशोधन जून 1951 में हुआ था. उसके बाद यह सिलसिला आगे भी जारी रहा. गौरतलब है कि अगस्त 2023 तक देश के संविधान में 127 संशोधन हो चुके हैं.वहीं, इमरजेंसी के वक्त इंदिरा गांधी ने संविधान के 40 अनुच्छेद में संशोधन किया थे. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 10 साल की सरकार में भी संविधान में 8 बड़े संशोधन हो चुके हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या सच संविधान में बदलाव करने के लिए 400 सीट की जरूरत है?

क्या संविधान में हो सकता है बदलाव?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 में संसद संविधान के किसी भी प्रावधान में बदलाव कर सकती है. भारत में संविधान में संशोधन की तीन प्रक्रियाएं हैं. पहला साधारण बहुमत के आधार पर, दूसरा संसद के प्रत्येक सदन में विशेष बहुमत के आधार पर. तीसरा संसद के प्रत्येक सदन में विशेष बहुमत और राज्यों के आधे से ज्यादा अधिक विधानमंडलों में साधारण बहुमत के आधार पर.

संविधान में संशोधन के लिए बिल को संसद के दोनों सदनों (राज्यसभा और लोकसभा) में बहुमत से पास करना जरूरी है. इसके बाद विधेयक को राष्ट्रपति के सामने अनुमति के लिए रखा जाता है. राष्ट्रपति को संविधान संशोधन पर अनुमति देनी होती है.

साधारण बहुमत से राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और जजों आदि के वेतन और भत्ते से जुड़े अनुच्छेदों को संशोधित किया जा सकता है. वहीं, दूसरी प्रक्रिया से राष्ट्रपति पर लगाए महाभियोग अनुच्छेद 70, 75 97 आदि के प्रावधानों को संशोधित किया जा सकता है.

वहीं, तीसरी प्रक्रिया में अनुच्छेद 54, 55, 73, 162, 241, जैसे अनुच्छेद को संशोधित किया जा सकता है. इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा में दो-तिहाई बहुमत के साथ-साथ देश के दो-तिहाई राज्यों के बहुमत की जरूरत होती है. इसके बाद उस विधेयक को पारित कर राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजा जाता है.

मोदी सरकार ने कौन कौन से संशोधन किए?
मोदी सरकार अपने 10 साल के कार्यकाल में संविधान में कुल 8 संशोधन कर चुकी है. मोदी सरकार ने सबसे पहले 2015 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम में संशोधन किया था. 2015 में ही भारत-बांग्लादेश के बीच भू-सीमा संधि. इसके बाद 2016 में वस्तु एवं सेवाकर यानी जीएसटी अधिनियम के लिए संशोधन किया.

इसके अलावा 2018 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा, 2019 में EWS को शिक्षण संस्थाओं, नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण, इसी साल लोकसभा, विधानसभाओं में एससी-एसटी आरक्षण 10 साल बढ़ाने के लिए संशोधन किया गया. 2021 में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान और 2023 में महिलाओं को विधानसभा और संसद में 33 प्रतिशत आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन किया गया.

यह भी पढ़ें- अमित शाह ने बताया BJP को क्यों चाहिए 400 सीट, अरविंद केजरीवाल पर भी साधा निशाना

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 5 चरण का मतदान पूरा हो चुका है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) अभी भी दावा कर रही है कि इस बार एनडीए 400 सीट जीतेगा. वहीं, कांग्रेस का कहना है कि अगर बीजेपी को 400 सीट मिल जाती हैं तो संविधान में बदलाव करेगी.

हालांकि, बीजेपी ने कांग्रेस के इन दावों का खंडन किया है. पार्टी का कहना है कि अगर उसे संविधान में बदलाव करना होता तो वह पहले ही कर चुकी होती. वह पिछले 10 साल में सत्ता में है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि संविधान में अब तक संशोधन या बदलाव नहीं हुआ है.

संविधान में सबसे पहला संशोधन जून 1951 में हुआ था. उसके बाद यह सिलसिला आगे भी जारी रहा. गौरतलब है कि अगस्त 2023 तक देश के संविधान में 127 संशोधन हो चुके हैं.वहीं, इमरजेंसी के वक्त इंदिरा गांधी ने संविधान के 40 अनुच्छेद में संशोधन किया थे. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 10 साल की सरकार में भी संविधान में 8 बड़े संशोधन हो चुके हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या सच संविधान में बदलाव करने के लिए 400 सीट की जरूरत है?

क्या संविधान में हो सकता है बदलाव?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 में संसद संविधान के किसी भी प्रावधान में बदलाव कर सकती है. भारत में संविधान में संशोधन की तीन प्रक्रियाएं हैं. पहला साधारण बहुमत के आधार पर, दूसरा संसद के प्रत्येक सदन में विशेष बहुमत के आधार पर. तीसरा संसद के प्रत्येक सदन में विशेष बहुमत और राज्यों के आधे से ज्यादा अधिक विधानमंडलों में साधारण बहुमत के आधार पर.

संविधान में संशोधन के लिए बिल को संसद के दोनों सदनों (राज्यसभा और लोकसभा) में बहुमत से पास करना जरूरी है. इसके बाद विधेयक को राष्ट्रपति के सामने अनुमति के लिए रखा जाता है. राष्ट्रपति को संविधान संशोधन पर अनुमति देनी होती है.

साधारण बहुमत से राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और जजों आदि के वेतन और भत्ते से जुड़े अनुच्छेदों को संशोधित किया जा सकता है. वहीं, दूसरी प्रक्रिया से राष्ट्रपति पर लगाए महाभियोग अनुच्छेद 70, 75 97 आदि के प्रावधानों को संशोधित किया जा सकता है.

वहीं, तीसरी प्रक्रिया में अनुच्छेद 54, 55, 73, 162, 241, जैसे अनुच्छेद को संशोधित किया जा सकता है. इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा में दो-तिहाई बहुमत के साथ-साथ देश के दो-तिहाई राज्यों के बहुमत की जरूरत होती है. इसके बाद उस विधेयक को पारित कर राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजा जाता है.

मोदी सरकार ने कौन कौन से संशोधन किए?
मोदी सरकार अपने 10 साल के कार्यकाल में संविधान में कुल 8 संशोधन कर चुकी है. मोदी सरकार ने सबसे पहले 2015 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम में संशोधन किया था. 2015 में ही भारत-बांग्लादेश के बीच भू-सीमा संधि. इसके बाद 2016 में वस्तु एवं सेवाकर यानी जीएसटी अधिनियम के लिए संशोधन किया.

इसके अलावा 2018 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा, 2019 में EWS को शिक्षण संस्थाओं, नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण, इसी साल लोकसभा, विधानसभाओं में एससी-एसटी आरक्षण 10 साल बढ़ाने के लिए संशोधन किया गया. 2021 में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान और 2023 में महिलाओं को विधानसभा और संसद में 33 प्रतिशत आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन किया गया.

यह भी पढ़ें- अमित शाह ने बताया BJP को क्यों चाहिए 400 सीट, अरविंद केजरीवाल पर भी साधा निशाना

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