हैदराबाद: राहुल गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे इस बात का किसी को भी अंदाजा नहीं था. बीते कई दिनों से लोग बस यही सोच रहे थे कि, कांग्रेस नेता राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को अमेठी और रायबरेली को लेकर आश्चर्यजनक फैसला ले लिया. राहुल और अमेठी को लेकर चल रही चर्चाओं पर विराम लगाते हुए राहुल गांधी ने रायबरेली सीट से चुनाव लड़ने का फैसला लिया जबकि अमेठी से सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा को कैंडिडेट घोषित किया गया.
राहुल को लेकर वायनाड की जनता की सोच
वैसे शुक्रवार सुबह तक किसी को अंदाजा भी नहीं था कि कांग्रेस पार्टी रायबरेली और अमेठी को लेकर ऐसा फैसला देगी, जिससे पूरा देश चौंक उठेगा. कांग्रेस के इस फैसले से वायनाड की जनता उनके बारे में क्या सोच रही है, यह जानना लोगों के लिए काफी दिलचस्प होगा. बता दें कि राहुल गांधी ने 2019 का चुनाव वायनाड से जीता था लेकिन उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट हार गए थे. इस बार वायनाड में उनका मुकाबला सीपीआई नेता एनी राजा और राज्य बीजेपी अध्यक्ष के सुरेंद्रन से था. केरल की वायनाड सीट पर दूसरे चरण के लिए 26 अप्रैल को मतदान हुआ था. वहीं, राहुल गांधी के उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ने के फैसले के बाद केरल के वायनाड में लोगों की ओर से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं.
रायबरेली से चुनाव लड़ना गलत नहीं, वायनाड की जनता ने कहा
वायनाड में कुछ लोगों का कहना था कि राहुल गांधी के लिए रायबरेली से भी चुनाव लड़ना कुछ गलत नहीं है. वहीं दूसरी ओर वायनाड की सड़क के किनारे की दुकान पर एक व्यक्ति ने कहा कि वायनाड सीट से उम्मीदवार राहुल गांधी रायबरेली सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. उन्होंने भी राहुल के इस कदम को गलत नहीं बताया. वहीं बीजेपी राहुल के रायबरेली से चुनाव लड़ने को लेकर तंज कसते नजर आ रहे हैं. वायनाड की जनता राहुल के बारे में क्या सोचती है, इस पर एक अन्य व्यक्ति का कहना था कि, राहुल गांधी I.N.D.I.A गठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं और ऐसे में कांग्रेस नेता का रायबरेली से चुनाव लड़ने का हालिया फैसला सही है. वहीं एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि, यदि राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली सीट से विजयी होते हैं तो सबसे अधिक संभावना है कि वे वायनाड सीट खाली कर देंगे. यदि राहुल गांधी ऐसा करते हैं तो यह ठीक नहीं होगा. हालांकि, वायनाड की जनता ने यह भी कहा कि, हमें आने वाले समय का इंतजार करना चाहिए.
क्या बोले आईयूएमएल के नेता कुन्हालीकुट्टी
हालांकि, अनुभवी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) नेता पीके कुन्हालीकुट्टी ने कहा कि रायबरेली से चुनाव लड़ने के उनके फैसले में कुछ भी गलत नहीं है. उन्होंने कहा, मामले की सच्चाई यह है कि हमने (आईयूएमएल) कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व से अनुरोध किया है कि राहुल को वायनाड के अलावा एक और सीट से चुनाव लड़ना चाहिए. क्या पीएम मोदी दो सीटों से चुनाव नहीं लड़े थे?
रायबरेली से राहुल: बीजेपी ने कुछ यूं कसा तंज!
बीजेपी नेताओं, कार्यकर्ताओं का दावा है कि, रायबरेली की जनता राहुल गांधी को नकारने वाली है. वहीं, पीएम मोदी ने बर्धमान में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि, 'डरो मत, भागो मत. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का शहजादा इतना डरा हुआ है कि वह अमेठी से भागकर रायबरेली चला गया और अब वहां संभावनाएं तलाश रहा है.' दूसरी तरफ, बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि, राहुल गांधी रणछोड़ हो गए हैं. उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि, राहुल कल तक कांग्रेस कार्यकर्ताओं को नहीं डरने की बात करते थे, लेकिन वे खुद डर के मारे अमेठी छोड़कर रायबरेली चले गए. उन्होंने यहां तक कह दिया कि राहुल वायनाड और रायबरेली सीट भी हार जाएंगे.
रायबरेली को कैसे साधेंगे राहुल?
बता दें कि अमेठी सीट काफी समय से गांधी परिवार का गढ़ रहा है. इस सीट पर 14 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 11 बार जीत हासिल की है. ऐसे में लोग ये कयास लगा रहे थे कि, राहुल गांधी अमेठी से ही चुनाव लड़ेंगे. हालांकि, राहुल ने ऐसा नहीं किया और उन्होंने अपने दादा फिरोज गांधी, दादी इंदिरा गांधी और मां की पारंपरिक विरासत को संभालने का मन बनाया और उन्होंने अंत में रायबरेली सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. बताते चले कि, राहुल गांधी ने अमेठी से तीन बार लगातार जीत हासिल की थी. पहली बार 2004 में दूसरी 2009 और तीसरी बार 2014 में जीत हासिल की थी. हालांकि, 2019 में चौथी बार वे बीजेपी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए थे. स्मृति ईरानी को 4 लाख 68 हजार 514 वोट हासिल कर 55 हजार से अधिक वोटों के अंतर से अमेठी सीट पर विजयी हासिल की थी. वहीं राहुल गांधी 4 लाख 13 हजार 394 वोट मिले थे.
राहुल का रायबरेली से कनेक्शन
राहुल गांधी के रायबरेली सीट से नामाकंन पत्र दाखिल करने के बाद लोगों को अब लग रहा है कि, वे अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाएंगे. रायबरेली सीट की इतिहास पर गौर करें तो पाएंगे कि, राहुल गांधी के दादा फिरोज गांधी ने रायबरेली सीट की मजबूत नींव रखी थी. उसके बाद राहुल के दादी पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और उनके बाद मां सोनिया गांधी ने इसे कांग्रेस के मजबूत किले में बदल दिया. रायबरेली संसदीय सीट पर कांग्रेस ने 16 बार जीत दर्ज की है. अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि, क्या राहुल गांधी अपने परिवार की विरासत को बचा पाएंगे.
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