लखनऊः लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं. राजनीतिक दलों के नेता मतदाताओं को रिझाने में पूरी ताकत झोंक दी है. उत्तर प्रदेश में पहले चरण पर चुनाव का खत्म होने के बाद प्रचार अभियान तेज हो गया है. प्रदेश की 80 सीटों पर 8 चरणों में चुनाव हो रहा है. पीएम मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी समेत भाजपा के प्रमुख नेता इस बार अपनी रैलियों में 80 की 80 सीटें जीत कर विपक्ष का सूपड़ा साफ करने का दावा कर रहे हैं. ऐसे में इस दावे में कितना बल है, इसे जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने यूपी की 80 सीटों की पड़ताल की. स्पेशल रिपोर्ट में जानिए 39 सालों में यूपी की किन-किन सीटों पर अब तक कमल खिला है.
39 सालों में राम नाम का सहारा लेती रही भाजपा: बता दें कि भारतीय जनता पार्टी का गठन 6 अप्रैल 1980 को नई दिल्ली के कोटला मैदान में आयोजित एक कार्यकर्ता अधिवेशन में किया गया था. इसके पहले अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी निर्वाचित हुए थे. इसके बाद 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा सिर्फ दो ही सीट जीत पाई थी. इसके बाद से अटल बिहारी वाजपेई और लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में राम मंदिर आंदोलन के सहारे पार्टी को धीरे-धीरे ताकत मिली. पहली बार 1996 लोकसभा चुनाव में भाजपा 161 सीटें जीत कर सरकार बनाने का दावा पेश किया था.
मैनपुरी से जीत का सपना अभी भी बाकीः भारत निर्वाचन आयोग में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 1980 से लेकर 2019 तक हुए चुनाव में उत्तर प्रदेश की लोकसभा विभिन्न सीटों पर कमल खिलने का इतिहास भी बड़ा रोचक है. समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह यादव का गढ़ माने जाने वाली मैनपुरी सीट से अब तक भाजपा कोई भी प्रत्याशी जीत कर संसद नहीं पहुंच सका है.
इन सीटों पर केवल 1 बार ही मिली जीतः इसी तरह यूपी की 7 सीटों पर सिर्फ एक बार ही भाजपा का कमल खिल सका है. मुस्लिम बाहुल्य संभल और मुरादाबाद सीट से सिर्फ 1 बार भाजपा प्रत्याशी जीत का स्वाद चख सके हैं. इसी तरह लालगंज, घोसी, बलिया, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, नगीना सीट से एक-एक ही भाजपा उम्मीदवार जीतकर संसद पहुंचे हैं.
17 सीटों पर भाजपा दोहरा सकी जीतः वहीं, 39 सालों के इतिहास में भारतीय जनता पार्टी ने 17 सीटों पर 2 बार ही जीत दर्ज कर सकी है. सहारनपुर, रायबरेली, अमेठी, प्रतापगढ़, कन्नौज, फूलपुर, सलेमपुर, अकबरपुर, मिर्जापुर, बदायूं और फतेहपुर सीकरी सीट से भाजपा को दो बार जीत मिली है. वहीं, 2008 में अस्तित्व में आई आजमगढ़ , कौशांबी, संतकबीर नगर, कुशीनगर, भदोही, गौतमबुद्ध नगर से भी दो बार जीत दर्ज की है.
10 सीटों पर लगाया जीत का हैट्रिकः इसी तरह भाजपा अब तक सिर्फ 10 सीटों पर जीत का हैट्रिक लगाने में कामयाब हुई है. गाजीपुर, जौनपुर, बाराबंकी, मिश्रिख, बागपत, अमरोहा, रामपुर, कैराना, जौनपुर से भाजपा के तीन-तीन उम्मीदवार जीत कर संसद भवन तक पहुंचे हैं. वहीं, गाजियाबाद सीट 2008 में अस्तित्व अस्तित्व में आई. यहां तीन बार चुनाव हुए और तीनों बार भाजपा जीतने में कामयाब रही.
सबसे अधिक भाजपा के उम्मीदवार इन सीटों से जीतेः सीएम योगी के क्षेत्र में सबसे अधिक 9 बार भाजपा उम्मीदवार को जीत मिली है. जिसमें से तीन बार योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवेद्यनाथ ने जीत दर्ज की थी. उसके बाद योगी आदित्यनाथ लगातार पांच बार यहां से सांसद चुने गए. योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद भी भाजपा से प्रवीण निषाद और एक्टर रवि किशन जीत दर्ज कर इतिहास रचा है. इसी तरह लखनऊ सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई 5 और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत 8 बार यहां से भाजपा को जीत मिली है. बरेली लोकसभा सीट से 8, बुलंदशहर, हाथरस और वाराणसी से 7 भाजपा के उम्मीदवार जीत हासिल की है.
इन सीटों पर भाजपा का रहा है दबदबाः बिजनौर, फिरोजाबाद, खीरी, सीतापुर, मोहनलाल गंज, फर्रुखाबाद, इटावा, बांदा, फतेहपुर, अयोध्या, देवरिया, मछलीशहर, हरदोई सीट से 4 बार भाजपा के उम्मीदवार जीते हैं. इसी तरह मुज्जफरनगर, मेरठ, पीलीभीत, शाहजहांपुर, उन्नाव, सुलतानपुर, कानपुर, जालौन, हमीरपुर, प्रयागराज, बहराइच, कैसरगंज, गोंडा, डुमरियागंज, चंदौली, राबट्सगंज लोकसभा सीट से 5 बार कमल खिला है. वहीं, अलीगढ़, मथुरा, आगरा, एटा, आंवला, झांसी, बस्ती, महराजगंज, बांसगांव लोकसभा सीट से भाजपा के 6 उम्मीदवारों को जीत मिली है.
1977 लोकसभा चुनाव ऐतिहासिक, जनता पार्टी ने जीत ली थीं सभी सीटेंः 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में इतिहास रचा गया था. इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस (आर) 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक राष्ट्रीय आपातकाल बहाल होने के बाद 1977 में लोकसभा चुनाव हुआ था. इमरजेंसी को लेकर पूरे देश में कांग्रेस और इंदिरा गांधी के खिलाफ पूरे देश में गुस्सा था. वहीं, इमरजेंसी बहाल होने के बाद जनसंघ, लोकदल, सोशलिस्ट पार्टी और कांग्रेस (ओ) का विलय कर जनता पार्टी का गठन कर दिया और इसके नेता जयप्रकाश नारायण बने थे. इस चुनाव में कांग्रेस (आ) को सिर्फ 154 और जनता दल को 295 सीटें मिलीं. जबकि उत्तर प्रदेश की सभी 85 सीटों पर जनता पार्टी के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी, जो अब तक की रिकॉर्ड जीत है. हालांकि तब यूपी और उत्तराखंड एक था.
क्या जनता पार्टी की बराबरी कर पाएगी भाजपा: वहीं, इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए चुनाव में कांग्रेस की लहर आई थी. इस चुनाव में कांग्रेस ने पूरे देश में 414 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि यूपी की 85 सीटों से 83 सीटों पर एकतरफा जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2014 में नरेद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने यूपी की 80 सीटों में से 71 पर कमल खिलाया था. अब 2024 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर जनता पार्टी की तरह यूपी में एकतरफा जीत हासिल करने का दावा कर रही है. अब तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा कि क्या जनता पार्टी की बराबरी भाजपा इस बार कर पाएगी.
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