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'पूर्णिया नहीं छोड़ूंगा' पप्पू यादव की ऐसी क्या जिद, इस दिन कर सकते हैं नामांकन - LOK SABHA ELECTION 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

Pappu Yadav : पूर्णिया लोकसभा सीट से आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने बीमा भारती को सिंबल दे दिया है. लेकिन यहां से कांग्रेस में शामिल हुए पप्पू यादव चुनाव लड़ने पर अड़ गए है, उन्होंने यहां तक कह दिया है कि 'दुनिया छोड़ देंगे पूर्णिया नहीं'. ऐसे में यह तो तय है कि पप्पू यादव आरजेडी के सामने घुटने नहीं टेकेंगे. लेकिन बड़ा सवाल कि क्या वो पूर्णिया से मैदान में उतरेंगे?

PAPPU YADAV Etv Bharat
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 28, 2024, 3:38 PM IST

Updated : Mar 28, 2024, 5:00 PM IST

पटना: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण के लिए बिहार में नामांकन का आज आखिरी दिन है, लेकिन महागठबंधन में सीट शेयरिंग का मुद्दा अभी तक नहीं सुलझा है. संभावना है कि गुरुवार को इसका ऐलान हो जाएगा. इससे पहले लालू की पार्टी आरजेडी ने अब तक 12 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है, जिसमें पूर्णिया सीट भी है. यहां से आरजेडी ने बीमा भारती को सिंबल दिया है, जहां से कांग्रेस में शामिल हुए पप्पू यादव ताल ठोंकते नजर आ रहे थे.

पूर्णिया में मैदान छोड़ने के मूड में नहीं पप्पू यादव : इस बीच, सूत्रों की मानें तो पप्पू यादव पूर्णिया लोकसभा सीट छोड़ने के मूड में नहीं है. उन्होंने यहां से फ्रेंडली फाइट देने की पूरी तैयारी कर ली है. खबरों की मानें तो पप्पू यादव दो अप्रैल को पूर्णिया सीट से नामांकन करेंगे. हालांकि अभी तो उन्होंने इसका ऐलान नहीं किया है.

पूर्णिया में 80 फीसदी जनता मेरे साथ- पप्पू : वहीं पूर्णिया पहुंचे पप्पू यादव ने कहा कि, जिस विश्वास के साथ कांग्रेस नेतृत्व ने हमें परिवार की तरह शामिल किया है, आज मैं खुश हूं. एक विचारधारा के साथ भी, परिवार के साथ भी. मैं कहां से चुनाव लड़ूं, यह लोगों को सोचना है. पूरा बिहार मेरी मां है, लेकिन पूर्णिया में 80 फीसदी जनता ने मुझे बेटे और भाई की तरह देखा है. जिंदगी में राजनीति ही सब कुछ नहीं है.

लालू से मुलाकात के बाद क्या हुआ मुझे नहीं पता? : पप्पू यादव ने पिछले दिनों लालू यादव और तेजस्वी से मुलाकात का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि. उस मुलाकात में मैंने तेजस्वी से भी कहा कि आप मुख्यमंत्री बनिए एक बड़े भाई और गार्जियन की तरह आपके साथ खड़ा रहूंगा. उनकी तरफ से इंस्टाग्राम पर फोटो भी डाला गया. हमें अच्छा लगा कि एक परिवार की तरह अब आगे बढ़ेंगे. लेकिन उसके बाद क्या हुआ ये मुझे नहीं पता? इसलिए मैं परेशान हूं, परिवार के बीच तो विश्वास रहना चाहिए.

''मैं लालू जी से आग्रह करूंगा कि पप्पू यादव आपके तीसरे बेटे की तरह है. आप महसूस कीजिए कि सीमांचल और कोसी को पप्पू यादव एक सिपाही की तरह मजबूत करेगा.'' - पप्पू यादव, कांग्रेस नेता

'दुनिया छोड़ देंगे, पूर्णिया नहीं' : इससे पहले पप्पू यादव ने कहा था कि वह पूर्णिया के युवा, महिलाओं, बुजुर्गों से आशीर्वाद ले चुके हैं. सभी से पूर्णिया को नंबर एक बनाने का वादा कर चुके हैं. ऐसे में पूर्णिया छोड़ने का सवाल ही नहीं है. उन्होंने कहा कि वह पूर्णिया के बेटे हैं और मरते दम तक यहीं रहेंगे.

बीमा भारती को पूर्णिया से RJD ने दिया टिकट : इस बीच, बुधवार को बिहार की पूर्व मंत्री बीमा भारती ने दावा किया कि पूर्णिया सीट से राजद ने उन्हें टिकट देते हुए सिंबल दे दिया. तीन अप्रैल को वो नामांकन करेंगी. पप्पू यादव की पूर्णिया सीट से दावेदारी को लेकर भारती ने कहा कि वे हमारे अभिभावक हैं और हमें जीताने का प्रयास करेंगे. सूत्रों की माने आरजेडी चाहती है कि पप्पू यादव मधेपुरा से चुनाव लड़ें. बता दें कि साल 2014 मोदी लहर में लालू यादव की आरजेडी को यहां जीत मिली थी. लेकिन सवाल ये है कि पप्पू यादव मधेपुरा से चुनाव क्यों नहीं लड़ना चाहते हैं?

मधेपुरा से क्यों नहीं लड़ना चाहते हैं पप्पू यादव? : दरअसल, पप्पू यादव मधेपुरा सीट से तीन बार चुनाव लड़ें, दो बार जीते और पिछले चुनाव में यहां से हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन पप्पू यादव को मधेपुरा के माय समीकरण (MY) से ज्यादा पूर्णिया के माय समीकरण पर भरोसा है. आइये जानते हैं कैसे?

ईटीवी भारत GFX.
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पप्पू यादव के पक्ष में पूर्णिया के आंकड़े : ऐसे में अगर आंकड़ों से लिहाज से देखें तो पप्पू यादव का गणित ठीक बैठता है. सियासी जानकार की माने तो पूर्णिया में माय समीकरण उनके पक्ष में जाता हैं. पप्पू यादव बखूबी समझते है कि मधेपुरा सीट पर जेडीयू उम्मीदवार दिनेश चंद्र यादव उनकी परेशानी बढ़ा सकते है, जबकि पूर्णिया में वोटों का बिखराब कम देखने को मिलेगा.

पूर्णिया.. पप्पू यादव की ऐसी क्या जिद : वरिष्ठ पत्रकार अमित कुमार बताते हैं कि पप्पू यादव पूर्णिया इसलिए नहीं छोड़ना चाहते हैं, क्योंकि पप्पू यादव पिछले दो-तीन सालों से पूर्णिया में अपनी कैंपेनिंग कर रहे हैं. यहां तक की पप्पू यादव प्रणाम पूर्णिया कार्यक्रम चला रहे हैं. इस दौरान उन्होंने हर वार्ड में अपनी साख बना ली है. हर बूथ पर भी पप्पू यादव ने काम कर लिया है. ऐसे में पप्पू यादव के लिए पूर्णिया छोड़ना घाटे का सौदा हो सकता है.

''पप्पू यादव दो बार निर्दलीय तौर पर पूर्णिया से चुनाव जीत चुके हैं. एक बार समाजवादी पार्टी से चुनाव जीत चुके हैं. पूर्णिया में कास्ट इक्वेशन उनके आड़े नहीं आता है. साथ ही उन्होंने पूर्णिया के लोगों को विश्वास दिलाया है कि वह पूर्णिया नहीं छोड़ेंगे. ऐसे में यदि वह मधेपुरा जाते हैं तो पूर्णिया से उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया जाएगा.'' - अमित कुमार, वरिष्ठ पत्रकार

एक ये भी वजह, 'पूर्णिया नहीं छोड़ेंगे' : राजनीतिक जानकार कहते हैं कि पप्पू यादव कभी भी मधेपुरा से चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे. पहली बार 2004 में लालू यादव ने जब सीट छोड़ा था तो पप्पू यादव आरजेडी से चुनाव जीते थे. जब पप्पू यादव की सजा खत्म हुई थी और वह चुनाव लड़ने आए थे तो आरजेडी के टिकट पर ही मधेपुरा से चुनाव लड़े थे. लेकिन, पूर्णिया में कभी भी आरजेडी का परफॉर्मेंस बेहतर नहीं रहा है. हर बार आरजेडी का वोट लाख से नीचे रहा. इसलिए पप्पू यादव पूर्णिया नहीं छोड़ना चाहते हैं.

पप्पू यादव का राजनीतिक सफर : साल 1990 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीता. 1991, 1996, 1999, 2004 और 2014 में लोकसभा चुनाव जीता था. 2015 में जनअधिकार पार्टी बनाई. 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए. 2024 में अपनी पार्टी जाप का कांग्रेस में विलय कर लिया.

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पूर्णिया में मैदान छोड़ने के मूड में नहीं पप्पू यादव : इस बीच, सूत्रों की मानें तो पप्पू यादव पूर्णिया लोकसभा सीट छोड़ने के मूड में नहीं है. उन्होंने यहां से फ्रेंडली फाइट देने की पूरी तैयारी कर ली है. खबरों की मानें तो पप्पू यादव दो अप्रैल को पूर्णिया सीट से नामांकन करेंगे. हालांकि अभी तो उन्होंने इसका ऐलान नहीं किया है.

पूर्णिया में 80 फीसदी जनता मेरे साथ- पप्पू : वहीं पूर्णिया पहुंचे पप्पू यादव ने कहा कि, जिस विश्वास के साथ कांग्रेस नेतृत्व ने हमें परिवार की तरह शामिल किया है, आज मैं खुश हूं. एक विचारधारा के साथ भी, परिवार के साथ भी. मैं कहां से चुनाव लड़ूं, यह लोगों को सोचना है. पूरा बिहार मेरी मां है, लेकिन पूर्णिया में 80 फीसदी जनता ने मुझे बेटे और भाई की तरह देखा है. जिंदगी में राजनीति ही सब कुछ नहीं है.

लालू से मुलाकात के बाद क्या हुआ मुझे नहीं पता? : पप्पू यादव ने पिछले दिनों लालू यादव और तेजस्वी से मुलाकात का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि. उस मुलाकात में मैंने तेजस्वी से भी कहा कि आप मुख्यमंत्री बनिए एक बड़े भाई और गार्जियन की तरह आपके साथ खड़ा रहूंगा. उनकी तरफ से इंस्टाग्राम पर फोटो भी डाला गया. हमें अच्छा लगा कि एक परिवार की तरह अब आगे बढ़ेंगे. लेकिन उसके बाद क्या हुआ ये मुझे नहीं पता? इसलिए मैं परेशान हूं, परिवार के बीच तो विश्वास रहना चाहिए.

''मैं लालू जी से आग्रह करूंगा कि पप्पू यादव आपके तीसरे बेटे की तरह है. आप महसूस कीजिए कि सीमांचल और कोसी को पप्पू यादव एक सिपाही की तरह मजबूत करेगा.'' - पप्पू यादव, कांग्रेस नेता

'दुनिया छोड़ देंगे, पूर्णिया नहीं' : इससे पहले पप्पू यादव ने कहा था कि वह पूर्णिया के युवा, महिलाओं, बुजुर्गों से आशीर्वाद ले चुके हैं. सभी से पूर्णिया को नंबर एक बनाने का वादा कर चुके हैं. ऐसे में पूर्णिया छोड़ने का सवाल ही नहीं है. उन्होंने कहा कि वह पूर्णिया के बेटे हैं और मरते दम तक यहीं रहेंगे.

बीमा भारती को पूर्णिया से RJD ने दिया टिकट : इस बीच, बुधवार को बिहार की पूर्व मंत्री बीमा भारती ने दावा किया कि पूर्णिया सीट से राजद ने उन्हें टिकट देते हुए सिंबल दे दिया. तीन अप्रैल को वो नामांकन करेंगी. पप्पू यादव की पूर्णिया सीट से दावेदारी को लेकर भारती ने कहा कि वे हमारे अभिभावक हैं और हमें जीताने का प्रयास करेंगे. सूत्रों की माने आरजेडी चाहती है कि पप्पू यादव मधेपुरा से चुनाव लड़ें. बता दें कि साल 2014 मोदी लहर में लालू यादव की आरजेडी को यहां जीत मिली थी. लेकिन सवाल ये है कि पप्पू यादव मधेपुरा से चुनाव क्यों नहीं लड़ना चाहते हैं?

मधेपुरा से क्यों नहीं लड़ना चाहते हैं पप्पू यादव? : दरअसल, पप्पू यादव मधेपुरा सीट से तीन बार चुनाव लड़ें, दो बार जीते और पिछले चुनाव में यहां से हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन पप्पू यादव को मधेपुरा के माय समीकरण (MY) से ज्यादा पूर्णिया के माय समीकरण पर भरोसा है. आइये जानते हैं कैसे?

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX.

पप्पू यादव के पक्ष में पूर्णिया के आंकड़े : ऐसे में अगर आंकड़ों से लिहाज से देखें तो पप्पू यादव का गणित ठीक बैठता है. सियासी जानकार की माने तो पूर्णिया में माय समीकरण उनके पक्ष में जाता हैं. पप्पू यादव बखूबी समझते है कि मधेपुरा सीट पर जेडीयू उम्मीदवार दिनेश चंद्र यादव उनकी परेशानी बढ़ा सकते है, जबकि पूर्णिया में वोटों का बिखराब कम देखने को मिलेगा.

पूर्णिया.. पप्पू यादव की ऐसी क्या जिद : वरिष्ठ पत्रकार अमित कुमार बताते हैं कि पप्पू यादव पूर्णिया इसलिए नहीं छोड़ना चाहते हैं, क्योंकि पप्पू यादव पिछले दो-तीन सालों से पूर्णिया में अपनी कैंपेनिंग कर रहे हैं. यहां तक की पप्पू यादव प्रणाम पूर्णिया कार्यक्रम चला रहे हैं. इस दौरान उन्होंने हर वार्ड में अपनी साख बना ली है. हर बूथ पर भी पप्पू यादव ने काम कर लिया है. ऐसे में पप्पू यादव के लिए पूर्णिया छोड़ना घाटे का सौदा हो सकता है.

''पप्पू यादव दो बार निर्दलीय तौर पर पूर्णिया से चुनाव जीत चुके हैं. एक बार समाजवादी पार्टी से चुनाव जीत चुके हैं. पूर्णिया में कास्ट इक्वेशन उनके आड़े नहीं आता है. साथ ही उन्होंने पूर्णिया के लोगों को विश्वास दिलाया है कि वह पूर्णिया नहीं छोड़ेंगे. ऐसे में यदि वह मधेपुरा जाते हैं तो पूर्णिया से उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया जाएगा.'' - अमित कुमार, वरिष्ठ पत्रकार

एक ये भी वजह, 'पूर्णिया नहीं छोड़ेंगे' : राजनीतिक जानकार कहते हैं कि पप्पू यादव कभी भी मधेपुरा से चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे. पहली बार 2004 में लालू यादव ने जब सीट छोड़ा था तो पप्पू यादव आरजेडी से चुनाव जीते थे. जब पप्पू यादव की सजा खत्म हुई थी और वह चुनाव लड़ने आए थे तो आरजेडी के टिकट पर ही मधेपुरा से चुनाव लड़े थे. लेकिन, पूर्णिया में कभी भी आरजेडी का परफॉर्मेंस बेहतर नहीं रहा है. हर बार आरजेडी का वोट लाख से नीचे रहा. इसलिए पप्पू यादव पूर्णिया नहीं छोड़ना चाहते हैं.

पप्पू यादव का राजनीतिक सफर : साल 1990 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीता. 1991, 1996, 1999, 2004 और 2014 में लोकसभा चुनाव जीता था. 2015 में जनअधिकार पार्टी बनाई. 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए. 2024 में अपनी पार्टी जाप का कांग्रेस में विलय कर लिया.

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Last Updated : Mar 28, 2024, 5:00 PM IST
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