विकासनगर: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पैदा होने वाली लिंगुड़ा की सब्जी सेहत के लिए काफी लाभकारी होती है. लिंगुड़ा की सब्जी खाने से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हल होती हैं. लिंगुड़े की सब्जी दुनिया की सबसे ताकतवर सब्जियों में शुमार है. लिंगुड़ा प्रोटीन-कैल्शियम से युक्त होता है. यही कारण है कि लिंगूड़े की सब्जी सेहत के लिए फायदेमंद होती है. लिंगुड़ा बरसाती सब्जी है, जो पर्वतीय क्षेत्रों के गाड़ गदेरों में पाई जाती है. यह सब्जी औषधीय गुणों से भरपूर और स्वादिष्ट होती है.
फर्न प्रजाति का है लिंगुडा: उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदर वादियां यहां के देवदार, बांज, बुराशं के सुंदर वनों, ऊंची निची घाटियां और सुंदर बुग्याल के साथ साथ नदी, गाड़ ,गदेरे , और ग्रामीण परिवेश सहित यहां की लोक संस्कृति मंदिरों को निहारने बड़ी संख्या मे देश दुनिया से सैलानियों का आना लगा रहता है. उत्तराखंड में इसके अलावा प्रकृति ने अनेक नेमेते बरसाई हैं. यहां पर प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली फर्न प्रजाति की लिंगुडा लेगुड़, सब्जी कई नामों से जानी जाती है. खास बात यह है कि यह बरसात के मौसम मे मध्य हिमालय के गाड़ गदेरों में प्राकृतिक रूप से पाई जाती है. इस सब्जी को आहार के रूप मे ग्रामीण क्षेत्रों के लोग वर्षों से इस्तेमाल करते आए हैं.
रोजगार का जरिया भी है लिंगुड़ा: लिगुड़ा की सब्जी पौष्टिकता से भरभूर है. इसका पौधा पत्तियों और डंठल के रूप मे और आगे से कुंडेनुमा मुड़ा हुआ होता है. इसमें बारीक भूरे रंग के रेशे होते हैं. यह देखने मे गहरे हरे रंग का होता है. स्वाद और पौष्टिकता में यह लाजवाब होता है. इन दिनों जौनसार बावर क्षेत्र में ग्रामीण इस सब्जी का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं. कुछ लोगों के लिए यह रोजगार का साधन भी है. इन्हें पहाड़ों से शहर,कस्बों में बेचने के लिए ले जाते हैं. यह सब्जी 60 से 80 रुपये में बिक रही है.
ग्राउंड जीरो पर ईटीवी भारत: इस सब्जी को तोड़ने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. ईटीवी भारत की लिगुंड़ा के होने वाले स्थानों पर पहुंची. ग्राउंड जीरों पर पहुंचर ईटीवी भारत ने जानने की कोशिश की कैसे लिंगुड़ा होता है? इसे कब और कैसे निकाला जाता है? जंगल में कैसे इसे पहचाना जाये? इसके साथ ही इसे बनाने को लेकर भी ईटीवी भारत ने जानकारी जुटाई.
क्या कहते हैं स्थानीय लोग : समाल्टा गांव के निवासी ग्रामीण अंश तोमर ने मौक से लिंगुडा की सब्जी को तोड़कर इकट्ठा की. उन्होंने ईटीवी भारत से इसके बारे में बात की. उन्होंने बताया हम जब भी घास पत्ते लेने जंगलों के जाते हैं तो लिंगुड़ा हमें मिल जाता है. इसे तोड़ते समय काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है. बरसात के दिनों में कीड़े मकोड़ों का भी डर लगा रहता है. उन्होंने बताया हमें प्रकृति हवा पानी, फल फूल जड़ी बूटी और कुदरती उगने वाली विभिन्न प्रकार की सब्जिया देती है. लिंगुड़ा भी इन्ही में से एक है.
क्या बोले जानकार: इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी देहरादून के प्रभारी विज्ञानिक डॉक्टर अशोक कुमार शर्मा से बात की. उन्होंने बताया लिंगुड़ा मध्य हिमालय क्षेत्रों में बरसात के दिनों मे नमी वाले स्थानों पर प्रकृति रूप से उगने वाला फर्न प्रजाति है. भोज्यगुण लिंगुड़ा की सब्जी में पोषक तत्वों के भंडार होता है. इसमे प्रोटीन, विटामिन डी, और कैल्शियम जैसे कई सारे न्यूट्रिशन होते हैं. यह जहरीला नहीं होता. लोग इसे अपने आहार मे सब्जी के रूप में लाते हैं.