रांची: चुनाव के दौरान प्रत्याशियों द्वारा होने वाले खर्च पर आयोग की पैनी नजर है. आयोग द्वारा निर्धारित खर्च से अधिक होने और ससमय खर्चों का ब्यौरा नहीं देने पर उनपर कार्रवाई हो सकती है. नामांकन के दिन से ही प्रत्याशियों के खर्च का हिसाब शुरू हो जाता है जिसके लिए चुनाव आयोग की त्रिस्तरीय टीम गठित की गई है. इस बार भी आम चुनाव के दौरान आयोग ने प्रत्याशी के लिए निर्धारित 95 लाख की खर्च की सीमा पर नजर रखने के लिए केन्द्रीय एक्सपेंडिचर ऑबजर्वर से लेकर जिला स्तरीय ऑबजर्वर, एफएसएलसी टीम बनाई गई है जो बेबजह होने वाले खर्च पर नजर रखेगी.
25 हजार से 95 लाख पर पहुंचा चुनाव खर्च
देश में आम चुनाव की शुरुआत से लेकर 2024 के चुनाव पर नजर डालें तो किस तरह से चुनाव खर्च की सीमा बढ़ती गई और चुनाव के दौरान किस तरह पैसे खर्च होते हैं इसे जानकर आपको आश्चर्य होगा. देश में हुए 1951-52 के पहले आम चुनाव में प्रत्याशियों के खर्च की सीमा महज 25000 थी जो 1967 तक बना रहा. 1971 में खर्च की सीमा को बढ़ाकर 35000 कर दिए गए जो 1977 तक रहा.
2004 में खर्च की अधिकतम सीमा चुनाव आयोग के द्वारा 25 लाख रुपए तक कर दी गई जो 2009 तक रहा. 2014 में एक बार फिर खर्च की सीमा में बदलाव हुआ. अलग-अलग राज्यों के लिए 54 से 70 लाख रुपए तय कर दी गई जो 2019 तक बना रहा. 2019 के बाद एक बार फिर खर्च की सीमा की समीक्षा के लिए चुनाव आयोग ने 2020 में एक कमेटी बनाई उसकी रिपोर्ट पर चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा 95 लाख रुपए तय कर दी गई. 2024 के चुनाव में भी इस रिपोर्ट के आधार पर अलग-अलग राज्यों के लिए तय किए गए मानक के अनुसार चुनाव खर्च की सीमा तय की गई है.
ऐसे तय होता है चुनाव खर्च की सीमा
विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशी द्वारा किए जाने वाले खर्च की सीमा तय करने के लिए चुनाव आयोग के द्वारा कमेटी बनाई जाती है जिसके तहत चुनाव खर्च की सीमा मुद्रा स्फीति सूचकांक के सहारे तय किया जाता है इसमें यह भी देखा जाता है कि बीते वर्षों में सेवाओं और वस्तुओं के मूल्य में कितनी वृद्धि हुई है. इसके अलावा आयोग राज्यों की आबादी और मतदाताओं की संख्या के अनुसार खर्च की सीमा तय करता है. इस वजह से देश के पूर्वोत्तर राज्यों और यूनियन टेरिटरी खासकर छोटे राज्यों में चुनाव खर्च की सीमा कम और बड़े राज्यों में अधिक है.
जाहिर तौर पर इस वजह से बिहार, उत्तर प्रदेश और प. बंगाल जैसे झारखंड से सटे बड़े राज्य में खर्च की सीमा 95 लाख ही है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार के अनुसार 2024 के आम चुनाव में प्रत्याशी के खर्च की सीमा 95 लाख निर्धारित की गई है. इस संबंध में चुनाव आयोग के द्वारा विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए जा चुके हैं. चुनाव खर्च पर नजर रखने के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक के साथ-साथ जिला और लोकसभा स्तर पर जो टीम गठित की गई है उसके पीछे का मकसद यह है कि मनी पावर के आधार पर किसी भी प्रत्याशी को चुनाव लड़ने से रोका जाए.
प्रत्याशी के खर्च पर आयोग की रहती है नजर
नामांकन के बाद से ही एक प्रत्याशी को प्रचार के लिए बैठक, रैली, विज्ञापन या गाड़ी पर होनेवाले खर्चो का हिसाब प्रतिदिन देना आवश्यक है. आयोग के दिशा निर्देश के अनुसार चुनाव के वक्त प्रत्याशी के नाम से एक अलग बैंक अकाउंट खोलना आवश्यक है. इसी के माध्यम से खर्चो का पूरा प्रतिदिन निर्धारित कागजात के साथ देना होगा इसके अलावे सभी उम्मीदवारों को चुनाव खत्म होने के 30 दिनों के अंदर अपने खर्चों का पूर्ण विवरण चुनाव आयोग को देना जरूरी है.
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