कोरबा : कोरबा लोकसभा सीट पर अब तक तीन लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. जांजगीर सीट से परिसीमन में अलग होने के बाद पहला चुनाव वर्ष 2009 में हुए थे. इस चुनाव में कांग्रेस ने डॉ. चरणदास महंत और बीजेपी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करूणा शुक्ला को उतारा था. चुनाव में हार जीत का आंकड़ा 20 हजार से ज्यादा रहा था. चरणदास महंत को 3 लाख 14 हजार 616 और करुणा शुक्ला को 2 लाख 93 हजार 879 वोट मिले थे.
गोंगपा तय करती है जीत और हार : छत्तीसगढ़ के लोकसभा कोरबा सीट पर जब-जब गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को कम वोट मिले हैं कांग्रेस को फायदा हुआ है. एक चुनाव में जब गोंगपा को 50 हजार से ज्यादा वोट मिले तो कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. दो चुनाव में 40 हजार से कम वोट गोंगपा को मिले थे. इन चुनावों में कांग्रेस को जीत मिली थी. गोंगपा के वोटों से कोरबा सीट पर हार जीत का समीकरण बदलता रहा है.
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की धार से बदल सकता है समीकरण : छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में यदि नजर डालें तो ये बात सामने आएगी कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने अपनी मौजूदगी कई सीटों में दर्ज कराई है.इन्हीं में से एक सीट पाली तानाखार भी है.जहां से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का उम्मीदवार विधानसभा पहुंचा.यही नहीं पार्टी ने भरतपुर सोनहत, बैकुंठपुर, मरवाही जैसी जगहों पर जिन प्रत्याशियों को खड़ा किया. उन सभी प्रत्याशियों ने जमकर वोट बटोरे.इन वोटों को जोड़ा जाए तो आपको आंकड़े देखकर हैरानी होगी. कोरबा लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली आठ विधानसभाओं मे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने डेढ़ लाख से भी ज्यादा वोट इकट्ठा किया था.इस लिहाज से देखा जाए तो लोकसभा में गोंगपा विरोधियों के लिए खतरे की घंटी बजा सकती है.
साल 2009 का चुनाव : 2008 में परिसीमन के बाद कोरबा विधानसभा सीट अस्तित्व में आई. 2009 के चुनाव में कांग्रेस के चरणदास महंत ने अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को हराया था.इस चुनाव में हार जीत का आंकड़ा 20 हजार से ज्यादा का था. 2009 में चरणदास महंत को 3 लाख 14 हजार 616 और करुणा शुक्ला को 2 लाख 93 हजार 879 वोट मिले थे.इस चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी हीरासिंह मरकाम को 32 हजार 962 वोट मिले थे. उनके वोटों का आंकड़ा कुल मतदान का 2.58 फीसदी था.
साल 2014 का चुनाव : 2014 के चुनाव में कांग्रेस ने दोबारा सांसद डॉ. चरणदास महंत को टिकट दिया. बीजेपी ने डॉ. बंशीलाल महतो को उतारा. डॉ. बंशीलाल महतो को 4 लाख 39 हजार 2 और डॉ. चरणदास महंत को 4 लाख 34 हजार 737 वोट मिले थे. इस चुनाव में बीजेपी ने 4 हजार 265 वोटों से चुनाव जीता. 2014 में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी ने 52 हजार 753 वोट हासिल किए थे. इस बार गोंडवाना का मत प्रतिशत 3.71 हो गया. जिसका नुकसान कांग्रेस को हुआ. 2009 और 2014 के चुनाव में गोंगपा के वोट में लगभग 20 हजार की बढ़ोतरी हुई. जिसके कारण कांग्रेस का प्रत्याशी 4265 वोटों से चुनाव हारा.
साल 2019 का चुनाव : 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत ने 5 लाख 23 हजार 310 वोट हासिल किए. वहीं बीजेपी के ज्योतिनंद दुबे को 4 लाख 97 हजार 61 वोट मिले. इस ज्योत्सना ने 26 हजार 249 वोटों के अंतर से चुनाव जीता.इस चुनाव में गोंगपा के प्रत्याशी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा.गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने हीरा सिंह मरकाम के बेटे तुलेश्वर सिंह मरकाम को चुनाव में उतारा था. जिन्हें 37 हजार 417 वोट मिले.जो पिछली बार मिले वोट से काफी कम थे.लिहाजा कांग्रेस प्रत्याशी को फायदा हुआ और एक बार फिर संसद में कांग्रेस का उम्मीदवार पहुंचा.
बीजेपी कांग्रेस का बढ़ा वोट प्रतिशत : अब तक हुए तीन चुनाव में वोटिंग के साथ ही बीजेपी-कांग्रेस का वोट प्रतिशत भी बढ़ा है. 2009 के चुनाव में कांग्रेस को कुल वोटिंग का 24.65 और बीजेपी को 23.02 फीसदी वोट मिले थे. 2014 में बीजेपी का वोट प्रतिशत 30.84 जबकि कांग्रेस का 30.54 था. वहीं 2019 के चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत लगभग 15 फीसदी बढ़कर 46.01 फीसदी हो गया था.इस चुनाव में बीजेपी का वोट प्रतिशत 43.7 फीसदी थी.
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का वोट प्रतिशत : गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के वोट प्रतिशत की बात करें तो 2009 में 2.58, 2014 में 3.71 और 2019 में 3.29 प्रतिशत था. इस लिहाज से देखा जाए तो जब गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ा तो कांग्रेस का प्रत्याशी चुनाव हारा.वहीं जब गोंगपा का वोट प्रतिशत स्थिर रहा तो कांग्रेस को फायदा हुआ.यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि इस सीट पर किसी प्रत्याशी की जीत और हार का भविष्य गोंगपा के वोटर्स के हाथों में हैं.
क्या कहता है इतिहास ? : कोरबा लोकसभा का इतिहास उठाकर देखे तो जब-जब गोंगपा को इस लोकसभा में कम वोट मिले हैं,तब-तब कांग्रेस का प्रत्याशी चुनाव जीता है.वहीं जब भी गोंगपा प्रत्याशी ने 50 हजार से ज्यादा वोट इकट्ठा किए हैं,तब कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा है. जिन दो चुनाव में गोंगपा को 40 हजार से कम वोट मिले थे.उन दोनों ही चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी.वहीं एक चुनाव में गोंगपा को ज्यादा वोट मिले,उस चुनाव में कांग्रेस चुनाव हार गई.