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कोलकाता दुष्कर्म-हत्या मामला: संदीप घोष का पॉलीग्राफ टेस्ट कराएगी सीबीआई, जानिए कैसे पता चलता है सच और झूठ - Kolkata Rape Murder Case

आरजी कर अस्पताल में डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में सीबीआई की टीम अब कॉलेज के पूर्व प्रिसिंपल संदीप घोष का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की तैयारी कर रही है. इसके लिए सीबीआई को न्यायालय से अनुमति लेनी होगी.

Former Principal of RG Kar Hospital
आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल (फोटो - ETV Bharat Bengal)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 19, 2024, 6:19 PM IST

कोलकाता: आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) बड़ा कदम उठाने जा रही है. जानकारी के अनुसार, आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का पॉलीग्राफ टेस्ट कराया जा सकता है ताकि और ज्यादा जानकारी मिल सके. लेकिन इसके लिए दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय से हरी झंडी मिलनी जरूरी है.

सूत्रों के अनुसार, सीबीआई ने संदीप घोष का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने से पहले सभी कानूनी कदम उठाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. हालांकि, अगर सीबीआई पॉलीग्राफ टेस्ट कराना चाहती है, तो उसे अदालत से भी हरी झंडी लेनी होगी.

सीबीआई सूत्रों के अनुसार, वर्तमान में चल रही महत्वपूर्ण बैठक के बाद हरी झंडी मिलने के बाद अधिकारी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे. सीबीआई जांचकर्ता वर्तमान में राष्ट्रीय राजधानी में अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक कर रहे हैं.

जानकारी सामने आने आई है कि सीबीआई अधिकारी दिल्ली स्थित मुख्यालय में अपने समकक्षों से बात कर रहे हैं, ताकि पता लगाया जा सके कि संदीप घोष का तत्काल पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की जरूरत है या नहीं.

पॉलीग्राफ परीक्षण क्या है?

पॉलीग्राफ टेस्ट कुछ बातों की पुष्टि करने के लिए किया जाता है कि संदिग्ध व्यक्ति सही कह रहा है या नहीं. जांचकर्ता मूल रूप से यह जानना चाहते हैं कि क्या संदिग्ध व्यक्ति जांचकर्ताओं के साथ सहयोग कर रहा है या झूठ बोल रहा है. साथ ही, क्या आरोपी वास्तव में कुछ छिपा रहा है.

यह परीक्षण किसी आरोपी व्यक्ति की मानसिक स्थिति जैसे कि धड़कन या तनाव का आकलन करने के लिए जरूरी है, जब वह जांच एजेंसी के अधिकारियों को किसी भी तरह की जानकारी दे रहा हो. आरोपी के शरीर की सांस लेने के बीच कितने सेकंड का अंतर होता है? क्या वह तनाव में है?

क्या उसका रक्तचाप स्थिर बना हुआ है? सवालों के जवाब देते समय उसके शरीर से कितना पसीना निकल रहा है? पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान आरोपी के शरीर के बारे में ये सभी विस्तृत जानकारी उपलब्ध होती है. सीबीआई सूत्रों के अनुसार, पॉलीग्राफ मशीन आमतौर पर चार चीजों पर गौर करती है - सांस लेने की दर, नाड़ी की गति, रक्तचाप और कितना पसीना निकला है.

नाम न बताने की शर्त पर एक सीबीआई अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि "जब कोई व्यक्ति झूठ बोलता है, तो उसके मस्तिष्क से P300 नामक एक विशेष संकेत निकलता है. यह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है, क्योंकि उस तंत्रिका संकेत के कारण उसकी हृदय गति और रक्तचाप बढ़ जाता है. तब पूरा मामला हमारे लिए स्पष्ट हो जाता है. निर्णय लेना आसान हो जाता है."

कोलकाता: आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) बड़ा कदम उठाने जा रही है. जानकारी के अनुसार, आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का पॉलीग्राफ टेस्ट कराया जा सकता है ताकि और ज्यादा जानकारी मिल सके. लेकिन इसके लिए दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय से हरी झंडी मिलनी जरूरी है.

सूत्रों के अनुसार, सीबीआई ने संदीप घोष का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने से पहले सभी कानूनी कदम उठाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. हालांकि, अगर सीबीआई पॉलीग्राफ टेस्ट कराना चाहती है, तो उसे अदालत से भी हरी झंडी लेनी होगी.

सीबीआई सूत्रों के अनुसार, वर्तमान में चल रही महत्वपूर्ण बैठक के बाद हरी झंडी मिलने के बाद अधिकारी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे. सीबीआई जांचकर्ता वर्तमान में राष्ट्रीय राजधानी में अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक कर रहे हैं.

जानकारी सामने आने आई है कि सीबीआई अधिकारी दिल्ली स्थित मुख्यालय में अपने समकक्षों से बात कर रहे हैं, ताकि पता लगाया जा सके कि संदीप घोष का तत्काल पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की जरूरत है या नहीं.

पॉलीग्राफ परीक्षण क्या है?

पॉलीग्राफ टेस्ट कुछ बातों की पुष्टि करने के लिए किया जाता है कि संदिग्ध व्यक्ति सही कह रहा है या नहीं. जांचकर्ता मूल रूप से यह जानना चाहते हैं कि क्या संदिग्ध व्यक्ति जांचकर्ताओं के साथ सहयोग कर रहा है या झूठ बोल रहा है. साथ ही, क्या आरोपी वास्तव में कुछ छिपा रहा है.

यह परीक्षण किसी आरोपी व्यक्ति की मानसिक स्थिति जैसे कि धड़कन या तनाव का आकलन करने के लिए जरूरी है, जब वह जांच एजेंसी के अधिकारियों को किसी भी तरह की जानकारी दे रहा हो. आरोपी के शरीर की सांस लेने के बीच कितने सेकंड का अंतर होता है? क्या वह तनाव में है?

क्या उसका रक्तचाप स्थिर बना हुआ है? सवालों के जवाब देते समय उसके शरीर से कितना पसीना निकल रहा है? पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान आरोपी के शरीर के बारे में ये सभी विस्तृत जानकारी उपलब्ध होती है. सीबीआई सूत्रों के अनुसार, पॉलीग्राफ मशीन आमतौर पर चार चीजों पर गौर करती है - सांस लेने की दर, नाड़ी की गति, रक्तचाप और कितना पसीना निकला है.

नाम न बताने की शर्त पर एक सीबीआई अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि "जब कोई व्यक्ति झूठ बोलता है, तो उसके मस्तिष्क से P300 नामक एक विशेष संकेत निकलता है. यह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है, क्योंकि उस तंत्रिका संकेत के कारण उसकी हृदय गति और रक्तचाप बढ़ जाता है. तब पूरा मामला हमारे लिए स्पष्ट हो जाता है. निर्णय लेना आसान हो जाता है."

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