रांची: झारखंड के चुनावी रण में आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों की भरमार है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. सभी प्रमुख दलों ने वैसे प्रत्याशियों को ज्यादा तरजीह दी है जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. पहले फेज की 43 सीटों के लिए ताल ठोक रहे 683 प्रत्याशियों में से 174 प्रत्याशी ऐसे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें 127 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
आपराधिक रिकॉर्ड वाले प्रत्याशियों की दलगत स्थिति
भाजपा के 36 में से 20 प्रत्याशियों के खिलाफ अपराधिक मामले हैं। कांग्रेस के 17 में से 11, झामुमो के 23 में से 11, आजसू के 04 में से 03, बीएसपी के 29 में से 08, राजद के 05 में से 03 जबकि जदयू के दोनों उम्मीदवारों ने शपथ पत्र में अपने ऊपर दर्ज आपराधिक रिकॉर्ड घोषित किए हैं. प्रतिशत के लिहाज से जदयू के 100%, कांग्रेस के 65%, राजद के 60%, भाजपा के 56%, झामुमो के 48% प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
गंभीर आपराधिक रिकॉर्ड वाले प्रत्याशियों की दलगत स्थिति
इस गंभीर कैटेगरी में भाजपा के 36 में से 15, कांग्रेस के 17 में से 8, झामुमो के 23 में से 7, बीएसपी के 29 में से 6, आजसू के 04 में से 02 पर, राजद के 05 में से 03 जबकि जदयू के दोनों प्रत्याशियों के खिलाफ गंभीर अपराध मामले दर्ज हैं.
पहले फेज में 11 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन पर महिलाओं के ऊपर अत्याचार से जुड़े मामले दर्ज हैं. चार के खिलाफ हत्या से संबंधित मामले हैं. 40 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके खिलाफ हत्या के प्रयास से जुड़े मामले हैं.
आंकड़े बता रहे हैं कि राजनीतिक दलों को चुनाव प्रणाली में सुधार करने में कोई दिलचस्पी नहीं है क्योंकि 13 फरवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा था कि राजनीतिक दलों को यह बताना होगा कि आपराधिक छवि वालों को टिकट देने और साफ छवि वालों को टिकट नहीं देने की क्या वजह रही. इस पर पार्टियां गोल-गोल जवाब देती हैं. खास बात है कि फर्स्ट फेज के 43 में से 29 संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां तीन या उससे अधिक प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.
करोड़पति उम्मीदवारों का दलगत लेखा-जोखा
सबसे खास बात है कि पहले फेज के 683 उम्मीदवारों में से 235 करोड़पति उम्मीदवार हैं. दलगत आधार पर भाजपा के 36 में से 30 उम्मीदवार करोड़पति हैं. झामुमो के 23 में से 18, कांग्रेस के 17 में से 16, राजद के 05 में से 04 , आजसू के 04 में से 02, जबकि जदयू के दोनों उम्मीदवार करोड़पति हैं.
इस मामले में सबसे टॉप पर हैं पूर्वी सिंहभूम के पोटका से निर्दलीय मैदान में उतरीं कांदोमनी भूमिज, इनके पास 80 करोड़ 70 हजार की संपत्ति है. दूसरे नंबर पर डाल्टेनगंज से कांग्रेस के प्रत्याशी के.एन. त्रिपाठी हैं। इनके पास 70 करोड़ 91 लाख की संपत्ति है. तीसरे नंबर पर रांची सीट से बतौर निर्दलीय भाग्य आजमाने उतरे आयुष रंजन हैं. इनके पास भी 70 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है.
पहले फेज में 329 ऐसे उम्मीदवार हैं जिनके ऊपर देनदारी है. इनमें टॉप पर हैं पांकी के निर्दलीय उम्मीदवार विनोद कुमार. इन्होंने अपने शपथ पत्र में 302 करोड़ की देनदारी का जिक्र किया है जबकि उनके पास 16 करोड़ की संपत्ति है. दूसरे नंबर पर हटिया से भाजपा के प्रत्याशी नवीन जायसवाल का नाम है. इनपर 8 करोड़ की देनदारी है जबकि 18 करोड़ की संपत्ति है.
सबसे ज्यादा वार्षिक आय घोषित करने वाले उम्मीदवारों में पोटका से भाजपा प्रत्याशी मीरा मुंडा का नाम है. दूसरे नंबर पर जमशेदपुर पूर्वी के कांग्रेस प्रत्याशी डॉक्टर अजय कुमार हैं. तीसरे स्थान पर पांकी से भाजपा प्रत्याशी कुशवाहा शशि भूषण मेहता का नाम है.
उम्मीदवारों के शिक्षा का लेखा-जोखा
पहले फेज के 683 उम्मीदवारों में 02 ऐसे उम्मीदवार हैं जिन्होंने खुद को असाक्षर घोषित किया है। मतलब यह दोनों प्रत्याशी बिल्कुल भी पढ़े लिखे नहीं हैं. इसके अलावा 18 ऐसे हैं जो सिर्फ साक्षर हैं. पांचवी क्लास तक पढ़ने वाले 06, आठवीं क्लास तक पढ़ने वाले 52, दसवीं क्लास तक पढ़ने वाले 102, 12वीं क्लास तक पढ़ने वाले 148, स्नातक की डिग्री रहने वाले 182, प्रोफेशनल स्नातक की डिग्री देने वाले 57,पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री वाले 93 प्रत्याशी हैं.
डॉक्टरेट की उपाधि लेने वाले 16 और कुछ डिप्लोमा धारी भी हैं. इससे पता चलता है की कितने शिक्षित लोग राजनीति में दिलचस्पी ले रहे हैं. एक और खास बात है कि जिस राज्य में आधी आबादी को टारगेट करते हुए मईया समान योजना और गोगो दीदी योजना की बात हो रही है उस राज्य में पहले फेज में 683 में से सिर्फ 73 महिला उम्मीदवार भाग्य आजमा रही हैं.
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