नई दिल्ली: हरियाणा के एआईसीसी प्रभारी दीपक बाबरिया ने गुरुवार को कहा कि विधायक किरण चौधरी का पार्टी छोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन इससे आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
बाबरिया ने ईटीवी भारत से कहा कि 'वह एक पुराने राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं. अगर कोई कार्यकर्ता भी पार्टी छोड़ता है तो उन्हें बुरा लगता है. वह एक वरिष्ठ नेता हैं. लंबे कार्यकाल के बाद उनका पार्टी छोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन इससे पार्टी की संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा.'
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पुत्रवधू विधायक किरण चौधरी अपनी बेटी श्रुति चौधरी के साथ बुधवार को भाजपा में शामिल हो गईं. श्रुति को पिछले साल ही प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. किरण ने हालांकि किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन मां-बेटी की जोड़ी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर परोक्ष हमला करते हुए कहा कि पार्टी किसी की निजी जागीर की तरह चल रही है.
हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा और किरण के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता एक खुला रहस्य है और विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले एक जाट नेता का पार्टी छोड़ना एक अच्छा संकेत नहीं है. उन्होंने कहा कि एआईसीसी प्रभारी ने किसी का नाम लेने से परहेज किया, लेकिन कहा कि 'कोई भी व्यक्ति पार्टी से बड़ा नहीं है. हालांकि नेताओं के लिए राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं रखना स्वाभाविक है.'
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि किरण चौधरी को अब हुड्डा के बेटे दीपेंद्र द्वारा खाली की गई सीट के खिलाफ राज्य से भाजपा के राज्यसभा चुनाव का उम्मीदवार बनाया जा सकता है, जो अब रोहतक से लोकसभा सदस्य हैं. उनकी बेटी श्रुति, जो पूर्व लोकसभा सांसद हैं, वर्तमान में किरण के पास मौजूद तोशाम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं.
बाबरिया ने कहा कि 'यह उन पर निर्भर करता है. मैं इस बारे में अटकलें नहीं लगाना चाहता कि भाजपा के साथ उनका क्या समझौता था.' राज्यसभा चुनाव के पिछले दौर में हरियाणा से कांग्रेस के उम्मीदवार अजय माकन एक वोट से हार गए थे. बाद में, एक आंतरिक जांच में उस चुनाव में किरण की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे, लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई.
पूछे जाने पर बाबरिया ने विवाद पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि 'मैं उस मुद्दे पर टिप्पणी नहीं करना चाहता.' एआईसीसी पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी हरियाणा के जिलों में कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करने के लिए सम्मेलन आयोजित कर रही है और बाद में नवंबर में होने वाले चुनावों से पहले पार्टी संगठन को सक्रिय करने के लिए सभी विधानसभा क्षेत्रों में इसी तरह के सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे.
बाबरिया ने कहा कि 'कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे 26 जून को लोकसभा के नतीजों पर चर्चा करने के लिए राज्य के सभी वरिष्ठ नेताओं से मिलेंगे. हम समीक्षा करेंगे कि क्या हम 10 में से 5 सीटों पर अपने प्रदर्शन को बेहतर कर सकते थे. इसके बाद हम आगे की रणनीति तय करेंगे. मैं 28 जून से राज्य का दौरा करूंगा और कार्यकर्ताओं से मिलने की कोशिश करूंगा.'
किरण ने भिवानी सीट से श्रुति के लिए लोकसभा टिकट के लिए कांग्रेस के भीतर पैरवी की थी, लेकिन पार्टी ने हुड्डा के वफादार राव दान सिंह को टिकट दिया, जो भाजपा के मौजूदा सांसद धर्मबीर सिंह से हार गए. गौरतलब है कि हुड्डा विरोधी खेमे से ताल्लुक रखने वाली सिरसा की लोकसभा सांसद कुमारी शैलजा ने टिप्पणी की थी कि अगर श्रुति को भिवानी से मैदान में उतारा जाता तो वह चुनाव जीत जातीं.
हालांकि, अपने बचाव में राव दान सिंह ने कहा कि किरण 2019 के राष्ट्रीय चुनावों में भारी अंतर से इस सीट से हारी थीं, जिसे वह 40,000 वोटों तक लाने में सफल रहे. कुमारी शैलजा ने यह भी कहा था कि भाजपा के खिलाफ जनता के गुस्से को देखते हुए कांग्रेस राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटें जीत सकती थी. दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस ने जिन 9 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से 8 उम्मीदवार हुड्डा के वफादार थे.