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केरल हाईकोर्ट ने संविधान पर विवादित टिप्पणी मामले में मंत्री चेरियन के खिलाफ जांच के आदेश दिए

केरल के मंत्री साजी चेरियन संविधान के खिलाफ टिप्पणी को लेकर एक बार फिर मुश्किलों में फंस गए हैं.

Kerala HC Orders
केरल हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 2 hours ago

एर्नाकुलम: एक महत्वपूर्ण कानूनी घटनाक्रम में केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य अपराध शाखा को मत्स्य पालन, संस्कृति और युवा मामलों के राज्य मंत्री साजी चेरियन द्वारा की गई विवादास्पद टिप्पणी की आगे की जांच करने का निर्देश दिया. भारत के संविधान की अखंडता पर सवाल उठाने वाली इस टिप्पणी ने व्यापक विवाद को जन्म दिया था.

यह घटना 2022 की है जब चेरियन ने एक पार्टी कार्यक्रम में भाषण के दौरान भारत के संविधान की आलोचना करते हुए कहा था कि इसका इस्तेमाल 'आम लोगों का शोषण करने' के लिए किया जाता है. उनकी टिप्पणियों पर कड़ी प्रतिक्रिया हुई, जिसके बाद उन्हें राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा. विवाद के बाद चेरियन को जनता की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा और इस मुद्दे पर कानूनी कार्यवाही भी हुई.

दिसंबर 2022 में केरल हाई कोर्ट ने विधायक के रूप में उनकी अयोग्यता की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. हालांकि, 2023 में यह मुद्दा फिर से सामने आया, जब राजनीतिक और सार्वजनिक विरोध के बावजूद चेरियन को उनके मंत्री पद पर बहाल कर दिया गया.

केरल हाईकोर्ट ने आज फैसला वकील एम. बैजू नोएल की याचिका पर सुनाया. याचिका में नोएल ने तर्क दिया कि चेरियन की टिप्पणी संविधान के प्रति 'अत्यधिक अपमानजनक' थी और जानबूझकर की गई थी. उन्होंने आगे तर्क दिया कि इस तरह की हरकतें राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971 की धारा 2 का उल्लंघन करती है.

ये इस तरह के अपमान को दंडनीय अपराध बनाती है. आगे की जांच के लिए न्यायालय का निर्देश यह संकेत देता है कि विवादास्पद टिप्पणी के संबंध में कानूनी कार्यवाही अभी समाप्त नहीं हुई है, तथा मामले की आगे भी जांच जारी रहेगी.

ये भी पढ़ें- केरल: भ्रष्टाचार मामले में सीएम विजयन और उनकी बेटी को झटका, हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

एर्नाकुलम: एक महत्वपूर्ण कानूनी घटनाक्रम में केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य अपराध शाखा को मत्स्य पालन, संस्कृति और युवा मामलों के राज्य मंत्री साजी चेरियन द्वारा की गई विवादास्पद टिप्पणी की आगे की जांच करने का निर्देश दिया. भारत के संविधान की अखंडता पर सवाल उठाने वाली इस टिप्पणी ने व्यापक विवाद को जन्म दिया था.

यह घटना 2022 की है जब चेरियन ने एक पार्टी कार्यक्रम में भाषण के दौरान भारत के संविधान की आलोचना करते हुए कहा था कि इसका इस्तेमाल 'आम लोगों का शोषण करने' के लिए किया जाता है. उनकी टिप्पणियों पर कड़ी प्रतिक्रिया हुई, जिसके बाद उन्हें राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा. विवाद के बाद चेरियन को जनता की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा और इस मुद्दे पर कानूनी कार्यवाही भी हुई.

दिसंबर 2022 में केरल हाई कोर्ट ने विधायक के रूप में उनकी अयोग्यता की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. हालांकि, 2023 में यह मुद्दा फिर से सामने आया, जब राजनीतिक और सार्वजनिक विरोध के बावजूद चेरियन को उनके मंत्री पद पर बहाल कर दिया गया.

केरल हाईकोर्ट ने आज फैसला वकील एम. बैजू नोएल की याचिका पर सुनाया. याचिका में नोएल ने तर्क दिया कि चेरियन की टिप्पणी संविधान के प्रति 'अत्यधिक अपमानजनक' थी और जानबूझकर की गई थी. उन्होंने आगे तर्क दिया कि इस तरह की हरकतें राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971 की धारा 2 का उल्लंघन करती है.

ये इस तरह के अपमान को दंडनीय अपराध बनाती है. आगे की जांच के लिए न्यायालय का निर्देश यह संकेत देता है कि विवादास्पद टिप्पणी के संबंध में कानूनी कार्यवाही अभी समाप्त नहीं हुई है, तथा मामले की आगे भी जांच जारी रहेगी.

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