तिरुवनंतपुरम: केरल विधानसभा ने सोमवार 24 जून को राज्य के नाम को बदलने के संंबंध में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें मांग की गई कि संविधान में राज्य का नाम आधिकारिक तौर पर बदलकर केरलम कर दिया जाए. यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने पेश किया.
बता दें, पिछले साल अगस्त 2023 में भी इसी तरह का एक प्रस्ताव पारित किया गया था, लेकिन तकनीकी मुद्दों के कारण इसे फिर से पेश करना पड़ा. शुरू में, प्रस्ताव में संविधान की पहली अनुसूची और आठवीं अनुसूची दोनों में संशोधन की मांग की गई थी. हालांकि, गृह विभाग की सलाह के बाद, जिसमें सुझाव दिया गया था कि केवल पहली अनुसूची में ही बदलाव की आवश्यकता है, प्रस्ताव को संशोधित किया गया और फिर से पेश किया गया.
केरलम एक ऐसा नाम है जिसकी ऐतिहासिक और साहित्यिक जड़ें गहरी हैं, लेकिन अंग्रेजों ने केरल नाम को लोकप्रिय बनाया. राज्य के गठन के पैंसठ साल से भी ज्यादा समय बाद, मलयाली लोगों ने अभी तक आधिकारिक तौर पर सभी आधिकारिक दस्तावेजों में 'केरलम' नाम को फिर से हासिल नहीं किया है. मलयालम में राज्य को 'केरलम' कहा जाता है, लेकिन सरकारी दस्तावेजों में भी इसे अंग्रेजी में 'केरल सरकार' लिखा जाता है.
मुख्यमंत्री ने पिछले साल प्रस्ताव पेश करते हुए कहा था कि अधिनियम 118 के तहत एक प्रस्ताव इस सदन में पेश किया जा रहा है, जिसमें केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है कि वह हमारे राज्य का आधिकारिक नाम भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में 'केरलम' कर दें.
अपने प्रस्ताव में सीएम पिनाराई ने बताया कि 'केरलम' नाम का इस्तेमाल आमतौर पर मलयालम में किया जाता है. हालांकि, आधिकारिक रिकॉर्ड में राज्य को 'केरल' कहा जाता है. इसी पृष्ठभूमि में प्रस्ताव लाया गया है.
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