कुल्लू: लेबनान में हिजबुल्लाह पर हमले और नसरूल्लाह को मौत की नींद सुलाने के बाद पूरी दुनिया में इजरायल की चर्चा हो रही है. हिजबुल्लाह के साथ इजरायल की जंग में अब ईरान की भी एंट्री हो गई है. ईरान ने इजरायल की राजधानी तेल अवीव पर ताबड़तोड़ मिसाइलें दागी हैं, जिसके बाद बड़े युद्ध की आशंका जताई जा रही है. इजरायल मध्य पूर्व में स्थित है. ये दक्षिणपूर्व भूमध्य सागर के पूर्वी छोर पर स्थित है. इसके उत्तर में लेबनॉन, पूर्व में सीरिया और जॉर्डन, दक्षिण-पश्चिम में मिस्र है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक इजरायल हिमाचल में भी है.
हिमाचल प्रदेश की हसीन वादियां पूरे विश्वभर के सैलानियों को अपनी और आकर्षित करती हैं. हिमाचल की ये खूबसूरत वादियां इजरायल के नागरिकों की भी पसंदीदा जगह है. जब से इजरायली नागरिकों ने टूरिस्ट कै तौर पर यहां आना शुरू किया, उसके बाद इसका नाम मिनी इजरायल ही पड़ गया. यहां अक्सर सड़क, रेस्टोरेंट, होटल, ढाबों में आपको इजरायली नागरिक देखने को मिल जाएंगे. हिमाचल के कुल्लू जिले की मणिकर्ण घाटी के कसोल को मिनी इजरायल के नाम से जाना जाता है. साल भर यहां इजरायल लोगों का तांता लगा रहता है. यहां के कई रेस्टोरेंट में इजरायल की हिब्रू भाषा में मेन्यू कार्ड भी देखने को मिलते हैं. इसके अलावा इजरायली लोग यहां पर होटल होमस्टे, रेस्टोरेंट भी चला रहे हैं.
1990 में इजरायली नागरिकों का हुआ था आगमन
कुल्लू की मणिकर्ण घाटी में कसोल गांव पार्वती नदी के किनारे बसा हुआ है. कसोल गांव में पहले सिर्फ एक बस स्टॉप हुआ करता था, लेकिन बाद में लोगों ने यहां बसना शुरू कर दिया. साल 1990 में इजरायल के पर्यटकों ने इस गांव में आना शुरू किया था, तब से लेकर अब तक इस गांव की संस्कृति और शैली पर इजरायल का प्रभाव स्पष्ट देखने को मिलता है. इजरायली आर्मी छोड़ने के बाद इजरायली नागरिक इस गांव में इतनी तादाद में आते हैं ऐसा लगता है मानों यह कोई इजरायल का ही गांव हो. आपको ऐसा लगेगा कि आप इजरायल ही पहुंच चुके हैं.
पुलिस करती है समय समय पर टूरिस्टों की जांच
जिला पर्यटन विकास अधिकारी सुनैना शर्मा ने बताया कि, 'मणिकर्ण घाटी विदेशियों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है और कसोल के साथ लगते इलाकों में भी होटल, गेस्ट हाउस में विदेशी लंबे समय तक रहते हैं. पुलिस प्रशासन के द्वारा समय-समय पर उनके पासपोर्ट की जांच की जाती है और अगर किसी विदेशी के पास पासपोर्ट नहीं पाया जाता है. तो उन पर कानूनी कार्रवाई भी की जाती है.'
कसौल में मनाते हैं अपने त्योहार
अक्टूबर महीने में बड़ी तादाद में इजरायली नागरिक अपना त्योहार मनाने के लिए कसोल पहुंचते हैं. अक्तूबर में मनाए जाने वाले रोष हाशना के लिए इजरायली पर्यटक पार्वती घाटी, कालगा और पुलगा में जमा होते हैं. इसी महीने में योम कीपर, सिमचट तोराह उत्सव के लिए इजरायली नागरिक कसोल पहुंचते हैं.
होटल संचालक कर लेते हैं हिब्रू में बात
कसोल में इजरायल की हिब्रू भाषा में पोस्टर, साइन बोर्ड दिखना आम बात है. यहां के होटलों के नाम और इसके अलावा, मेन्यू में व्यंजनों के नाम भी हिब्रू में लिखे होते हैं. स्थानीय लोग और होटल संचालक भी अब इजरायली भाषा में बात कर लेते हैं. यहां इजरायली झंडे भी आसानी से दिख जाएंगे. कसोल में सबसे ज्यादा इजरायली टूरिस्ट आते हैं. इसके अलावा स्थानीय खाने में भी इजरायली टच मिलेगा और यहां होटल, बुक शॉप और अन्य जगहों पर बड़ी संख्या में इजरायल टूरिस्टों का जमावड़ा देखने को मिलता है.
स्थानीय लेखक किशन श्रीमान का कहना है कि, 'पहले कसोल एक छोटा सा गांव हुआ करता था, लेकिन यहां की सुंदरता को देख सेलानियों सहित विदेशियों ने भी आना शुरू किया, लेकिन इजरायल के नागरिकों को यह स्थान सबसे अधिक पसंद आया. इजराइल के नागरिकों की वजह से आज कसोल देश दुनिया में प्रसिद्ध हो गया है और यहां के लोगों को भी अच्छा कारोबार मिल रहा है. कई विदेशियों ने यहां पर स्थानीय युवतियों के साथ शादी कर ली है. इजराइल के लोग यहां के रहन-सहन में घुल मिल गए हैं. ऐसे में कसोल में इजरायल के लोगों से मिलकर ऐसा नहीं लगता है कि वह कोई विदेशी हो, बल्कि ऐसा लगता है कि यह यहां के स्थानीय लोग हैं.'
खबाद हाउस में इजरायली सरकार ने नियुक्त किया है पुजारी
नमस्कार की जगह यहां आपको 'शलोम' सुनाई पड़ेगा और यूं ही घूमते-फिरते कई इजरायली नागरिकों से आपका सामना भी हो जाएगा. इसीलिए इस इलाके को मिनी इजरायल कहा जाता है. यहां शाम की बयार में 'स्टार ऑफ डेविड' वाले इजरायली झंडे लहराते दिखते है. कसोल में ही यहूदी धर्म को मानने वाले इजरायली नागरिकों के लिए खबाद हाउस भी बनाया और इजरायल सरकार ने यहां पुजारी (हिब्रू भाषा में रब्बी) की नियुक्ति है. जहां पर इजरायल से आए यहूदी अपनी पूजा पद्धति का पालन करते हैं. इजरायलियों ने यहां करीब तीन दशक पहले आना शुरू किया था. शुरुआत में पुराना मनाली उनका पसंदीदा ठिकाना हुआ करता था.
अकेले बिताते हैं इजरायली अपना समय
कसोल के स्थानीय पर्यटन कारोबारी किशन ठाकुर, गिरीश ने बताया कि, 'अधिकतर इंटरनेट कैफे में बातचीत की भाषा हिब्रू है. इजरायल लोग ज्यादा अंग्रेजी नहीं समझते और स्थानीय लोग इजरायलियो के लिए बने कैफे में नहीं जाते. इजरायलियों का खान पान अलग तरह का है और स्थानीय लोग इजरायली नागरिकों से होने वाले व्यवसाय से भी खुश हैं. पर्यटन सीजन के दौरान यहां पर इजरायल के लोगों की संख्या हजारों में हो जाती हैं. इसके अलावा मणिकर्ण घाटी के कई ग्रामीण इलाकों में यह छह माह से भी अधिक समय पार्वती घाटी में गुजारते हैं. इजरायल के लोग यहां पर अधिकतर समय अकेले या शांतिपूर्ण जगह पर ही रहना पसंद करते और भीड़भाड़ शोर-शराबे वाली जगह पर जाना पसंद नहीं करते हैं.'
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