ETV Bharat / bharat

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर अपना आदेश लिया वापस, कहा- 'जज से भी गलती हो सकती है' - Karnataka High Court

चाइल्ड पोर्नोग्राफी के एक मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने आदेश को वापस ले लिया है. कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67B (b) के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया. साथ में यह भी कहा कि जज भी इंसान होते हैं और हमसे भी गलती हो सकती है.

Karnataka High Court
कर्नाटक उच्च न्यायालय (फोटो - ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 20, 2024, 7:46 PM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 10 जुलाई को दिए अपने आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें कहा गया था कि इंटरनेट पर बच्चों के अश्लील वीडियो देखना सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 B के तहत अपराध नहीं है. सरकार ने होसाकोटे के एन इनायतुल्ला द्वारा बच्चों के अश्लील वीडियो देखने के लिए दर्ज मामले को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर आदेश वापस लेने के लिए अंतरिम आवेदन दायर किया था.

याचिका पर सुनवाई करने वाली न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि 10 जुलाई को प्रकाशित आदेश त्रुटिपूर्ण था. पीठ ने अपने पहले के आदेश में कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67B (b) किसी भी व्यक्ति को बाल पोर्नोग्राफ़िक सामग्री तैयार करने और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से उसे साझा करने के लिए दंडित करने की अनुमति देती है.

पीठ ने अपने पहले के आदेश में कहा था कि आवेदक ने बाल पोर्नोग्राफ़ी नहीं बनाई है. साथ ही इसे किसी के साथ साझा भी नहीं किया, बस देखा है. इस प्रकार, यह धारा 67 B के तहत अपराध नहीं बनता है. पीठ ने कहा कि 'याचिकाकर्ता के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67B (b) के तहत मामला दर्ज किया गया है.'

पीठ ने कहा कि 'यह धारा इंटरनेट पर बाल पोर्नोग्राफी खोजना, देखना, डाउनलोड करना और वितरित करना शामिल करती है. इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ धारा 67 B (b) के तहत मामला रद्द करने का कोई मौका नहीं है. इसलिए अब आदेश वापस लिया जा रहा है.'

न्यायाधीश भी इंसान हैं: पीठ ने अपने आदेश में पुराने आदेश को वापस लिया और याचिका खारिज कर दी. पीठ ने कहा कि 'न्यायाधीश भी इंसान हैं. हमसे भी गलतियां होती हैं. हमने जो गलती की है, उसका हमें एहसास है. इसे (आदेश) जारी रखना जायज नहीं है.'

क्या था मामला: आवेदक इनायतुल्लाह ने 23 मार्च, 2023 को दोपहर 3.30 बजे से 4.40 बजे के बीच अपने मोबाइल फोन के ज़रिए चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखी थी. इस संबंध में, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ़ यौन हिंसा को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए पोर्टल के ज़रिए जानकारी प्राप्त करने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने बेंगलुरु सिटी सीआईडी ​​इकाई के बेंगलुरु साइबर क्राइम स्टेशन को एक रिपोर्ट भेजी.

इस रिपोर्ट की पुष्टि करने के बाद, बच्चों का अश्लील वीडियो देखने वाले व्यक्ति का नाम होसाकोटे के माध्यम से इनायतुल्लाह पाया गया और उसके खिलाफ घटना के दो महीने बाद 3 मई, 2023 को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67B (b) के तहत बेंगलुरु साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई. याचिकाकर्ता ने शिकायत को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

10 जुलाई को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 'याचिकाकर्ता बच्चों के अश्लील वीडियो देखने का आदी है. लेकिन कोई वीडियो तैयार नहीं किया गया और न ही किसी के साथ साझा किया गया. इसलिए मामला रद्द किया जाना चाहिए.' अभियोजन पक्ष ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि 'याचिकाकर्ता ने स्वीकार किया है कि उसने बच्चों के अश्लील वीडियो देखे हैं. यह सूचना के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है. इसलिए जांच जारी रहनी चाहिए थी और याचिकाकर्ता का आवेदन खारिज कर दिया जाना चाहिए था.'

बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 10 जुलाई को दिए अपने आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें कहा गया था कि इंटरनेट पर बच्चों के अश्लील वीडियो देखना सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 B के तहत अपराध नहीं है. सरकार ने होसाकोटे के एन इनायतुल्ला द्वारा बच्चों के अश्लील वीडियो देखने के लिए दर्ज मामले को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर आदेश वापस लेने के लिए अंतरिम आवेदन दायर किया था.

याचिका पर सुनवाई करने वाली न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि 10 जुलाई को प्रकाशित आदेश त्रुटिपूर्ण था. पीठ ने अपने पहले के आदेश में कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67B (b) किसी भी व्यक्ति को बाल पोर्नोग्राफ़िक सामग्री तैयार करने और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से उसे साझा करने के लिए दंडित करने की अनुमति देती है.

पीठ ने अपने पहले के आदेश में कहा था कि आवेदक ने बाल पोर्नोग्राफ़ी नहीं बनाई है. साथ ही इसे किसी के साथ साझा भी नहीं किया, बस देखा है. इस प्रकार, यह धारा 67 B के तहत अपराध नहीं बनता है. पीठ ने कहा कि 'याचिकाकर्ता के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67B (b) के तहत मामला दर्ज किया गया है.'

पीठ ने कहा कि 'यह धारा इंटरनेट पर बाल पोर्नोग्राफी खोजना, देखना, डाउनलोड करना और वितरित करना शामिल करती है. इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ धारा 67 B (b) के तहत मामला रद्द करने का कोई मौका नहीं है. इसलिए अब आदेश वापस लिया जा रहा है.'

न्यायाधीश भी इंसान हैं: पीठ ने अपने आदेश में पुराने आदेश को वापस लिया और याचिका खारिज कर दी. पीठ ने कहा कि 'न्यायाधीश भी इंसान हैं. हमसे भी गलतियां होती हैं. हमने जो गलती की है, उसका हमें एहसास है. इसे (आदेश) जारी रखना जायज नहीं है.'

क्या था मामला: आवेदक इनायतुल्लाह ने 23 मार्च, 2023 को दोपहर 3.30 बजे से 4.40 बजे के बीच अपने मोबाइल फोन के ज़रिए चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखी थी. इस संबंध में, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ़ यौन हिंसा को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए पोर्टल के ज़रिए जानकारी प्राप्त करने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने बेंगलुरु सिटी सीआईडी ​​इकाई के बेंगलुरु साइबर क्राइम स्टेशन को एक रिपोर्ट भेजी.

इस रिपोर्ट की पुष्टि करने के बाद, बच्चों का अश्लील वीडियो देखने वाले व्यक्ति का नाम होसाकोटे के माध्यम से इनायतुल्लाह पाया गया और उसके खिलाफ घटना के दो महीने बाद 3 मई, 2023 को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67B (b) के तहत बेंगलुरु साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई. याचिकाकर्ता ने शिकायत को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

10 जुलाई को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 'याचिकाकर्ता बच्चों के अश्लील वीडियो देखने का आदी है. लेकिन कोई वीडियो तैयार नहीं किया गया और न ही किसी के साथ साझा किया गया. इसलिए मामला रद्द किया जाना चाहिए.' अभियोजन पक्ष ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि 'याचिकाकर्ता ने स्वीकार किया है कि उसने बच्चों के अश्लील वीडियो देखे हैं. यह सूचना के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है. इसलिए जांच जारी रहनी चाहिए थी और याचिकाकर्ता का आवेदन खारिज कर दिया जाना चाहिए था.'

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.