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कर्नाटक HC ने स्कूल शिक्षक के खिलाफ पॉक्सो मामला रद्द करने की याचिका खारिज की - Karnataka High Court

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 7, 2024, 4:10 PM IST

Updated : Sep 7, 2024, 4:27 PM IST

Karnataka High Court, कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक सरकारी आवासीय स्कूल में छात्राओं की तस्वीरें और वीडियो बनाने के आरोपी शिक्षक की पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से मना कर दिया. शिक्षक पर आरोप है कि उसके पास पांच मोबाइल फोन हैं जिसमें हजारों फोटो और वीडियो हैं.

Rejects Plea to Quash POCSO Case against a School Teacher
कर्नाटक HC ने स्कूल शिक्षक के खिलाफ पॉक्सो मामला रद्द करने की याचिका खारिज की (Etv Bharat)

बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने कोलार जिले के एक सरकारी आवासीय विद्यालय में छात्राओं की कथित रूप से अश्लील तस्वीरें और वीडियो बनाने के आरोप में स्कूल के एक शिक्षक के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया है. न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने 46 वर्षीय शिक्षक द्वारा एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया.

पॉक्सो अधिनियम की धारा 11 के अनुसार, बच्चे के शरीर या शरीर के किसी भी हिस्से को अभद्र तरीके से दिखाना यौन उत्पीड़न माना जाता है. यह कृत्य पॉक्सो अधिनियम की धारा 12 के अंतर्गत दंडनीय है. मामले की जांच रिपोर्ट और फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) के दस्तावेजों के मुताबिक शिक्षक पर आरोप हैं कि उसके पास 5 मोबाइल फोन हैं और प्रत्येक मोबाइल फोन में करीब एक हजार फोटो और सैकड़ों वीडियो हैं.

पीठ ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षक का यह कृत्य वास्तव में अशिष्ट और भयानक था. एक आर्ट टीचर के पास इतने सारे मोबाइल क्यों थे? उनमें कौन से वीडियो और तस्वीरें हैं? इसकी सच्चाई पूरी जांच और पूछताछ के जरिए सामने आनी चाहिए. याचिकाकर्ता के कृत्य में भयावहता से कहीं अधिक रंग हैं. एक शिक्षक के रूप में, इस तरह का वीडियो बनाना असभ्यता है. ऐसे कृत्य क्षमा योग्य नहीं हैं. पीठ ने कहा कि आवेदक को पूर्ण सुनवाई का सामना करना पड़ सकता है. कोर्ट ने कहा कि चूंकि मामला विचाराधीन है और यदि इसे रद्द किया जाता है तो इससे शिक्षक के अवैध उत्पीड़न को बढ़ावा मिलेगा और आरोपी की अर्जी खारिज कर दी गई.

बता दें कि याचिकाकर्ता कोलार जिले के एक आवासीय विद्यालय में आर्ट टीचर है. 15 दिसंबर 2023 को समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक को कंट्रोल रूम के माध्यम से शिक्षक के खिलाफ स्कूली छात्राओं के कपड़े बदलते समय फोटो और वीडियो बनाने के आरोपों की शिकायत मिली थी. पुलिस ने याचिकाकर्ता के खिलाफ 17 दिसंबर को एफआईआर दर्ज की थी. इसके चलते शिक्षक ने एफआईआर और कोलार अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय की कार्यवाही को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

ये भी पढ़ें- गंगा प्रदूषण मामला : उत्तराखंड के अधिकारियों पर एनजीटी का 'डंडा', सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत

बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने कोलार जिले के एक सरकारी आवासीय विद्यालय में छात्राओं की कथित रूप से अश्लील तस्वीरें और वीडियो बनाने के आरोप में स्कूल के एक शिक्षक के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया है. न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने 46 वर्षीय शिक्षक द्वारा एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया.

पॉक्सो अधिनियम की धारा 11 के अनुसार, बच्चे के शरीर या शरीर के किसी भी हिस्से को अभद्र तरीके से दिखाना यौन उत्पीड़न माना जाता है. यह कृत्य पॉक्सो अधिनियम की धारा 12 के अंतर्गत दंडनीय है. मामले की जांच रिपोर्ट और फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) के दस्तावेजों के मुताबिक शिक्षक पर आरोप हैं कि उसके पास 5 मोबाइल फोन हैं और प्रत्येक मोबाइल फोन में करीब एक हजार फोटो और सैकड़ों वीडियो हैं.

पीठ ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षक का यह कृत्य वास्तव में अशिष्ट और भयानक था. एक आर्ट टीचर के पास इतने सारे मोबाइल क्यों थे? उनमें कौन से वीडियो और तस्वीरें हैं? इसकी सच्चाई पूरी जांच और पूछताछ के जरिए सामने आनी चाहिए. याचिकाकर्ता के कृत्य में भयावहता से कहीं अधिक रंग हैं. एक शिक्षक के रूप में, इस तरह का वीडियो बनाना असभ्यता है. ऐसे कृत्य क्षमा योग्य नहीं हैं. पीठ ने कहा कि आवेदक को पूर्ण सुनवाई का सामना करना पड़ सकता है. कोर्ट ने कहा कि चूंकि मामला विचाराधीन है और यदि इसे रद्द किया जाता है तो इससे शिक्षक के अवैध उत्पीड़न को बढ़ावा मिलेगा और आरोपी की अर्जी खारिज कर दी गई.

बता दें कि याचिकाकर्ता कोलार जिले के एक आवासीय विद्यालय में आर्ट टीचर है. 15 दिसंबर 2023 को समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक को कंट्रोल रूम के माध्यम से शिक्षक के खिलाफ स्कूली छात्राओं के कपड़े बदलते समय फोटो और वीडियो बनाने के आरोपों की शिकायत मिली थी. पुलिस ने याचिकाकर्ता के खिलाफ 17 दिसंबर को एफआईआर दर्ज की थी. इसके चलते शिक्षक ने एफआईआर और कोलार अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय की कार्यवाही को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

ये भी पढ़ें- गंगा प्रदूषण मामला : उत्तराखंड के अधिकारियों पर एनजीटी का 'डंडा', सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत

Last Updated : Sep 7, 2024, 4:27 PM IST
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