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UGC की साल में दो बार एडमिशन नीति को कर्नाटक सरकार की ना, जानें क्या है वजह - UGC Biannual Admission

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 11, 2024, 3:16 PM IST

UGC Biannual Admission: कर्नाटक सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के साल में दो बार एडमिशन देने के पैटर्न को ठुकरा दिया है. राज्य सरकार ने यूजीसी को पत्र लिखकर कहा है कि वह इसे पैटर्न को लागू नहीं करेगी.

Karnataka Assembly
कर्नाटक विधानसभा (ETV Bharat)

बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने कहा है कि वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के उच्च शिक्षा संस्थानों में टू ईयर एडमिशन पैटर्न अपनाने के लिए दिए गए प्रस्ताव का पालन नहीं करेगी. इसके साथ ही केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार के बीच एक और टकराव पैदा हो गया है.

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार राज्य में पिछली बीजेपी सरकार की ओर से लागू की गई स्नातक तक की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को न अपनाकर राज्य शिक्षा नीति बना रही है. राज्य सरकार ने अब उच्च शिक्षा में भी यूजीसी के निर्देशों के खिलाफ रुख अपना लिया है.

बता दें कि यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों को हर शैक्षणिक के दौरान जुलाई-अगस्त और जनवरी-फरवरी द्विवार्षिक प्रवेश पैटर्न अपनाने का निर्देश दिया था. एडमिशन का नया पैटर्न शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से लागू किया जाएगा. इस बीच राज्य सरकार ने यूजीसी को पत्र लिखकर कहा है कि वह इसे पैटर्न को लागू नहीं करेगी.

द्विवार्षिक प्रवेश क्यों?
यूजीसी ने अपने इस रुख का बचाव करते हुए कहा है कि नई व्यवस्था के तहत, जो छात्र उच्च शिक्षा अध्ययन में प्रवेश के लिए पात्र हैं, लेकिन किसी कारण से जुलाई-अगस्त में उच्च शिक्षा में प्रवेश से चूक जाते हैं, वह इस पैटर्न का फायदा उठा सकते हैं. दुनिया भर के कई विश्वविद्यालय पहले से इस नियम का पालन कर रहे हैं. यूजीसी का मानना ​​है कि इसे अपनाने से भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों को वैश्विक सहयोग और छात्र विनिमय बढ़ाने में मदद मिलेगी.

डॉ एमसी सुधाकर की प्रतिक्रिया
इससे पहले कर्नाटक के शिक्षा मंत्री डॉ एमसी सुधाकर ने कहा कि 2035 तक उच्च शिक्षा में छात्र प्रवेश में 50 प्रतिशत की वृद्धि करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी कॉलेजों में हर साल दो बार एडमिशन देने के निर्देश का पालन करना संभव नहीं है.

मंत्री ने आगे कहा, "सरकारी और निजी कॉलेज में बुनियादी ढांचे की कमी है. मौजूदा प्रणाली के अनुसार उच्च शिक्षा प्रदान करना पहले से ही मुश्किल है. इसलिए एक पत्र लिखा जाएगा जिसमें कहा जाएगा कि यूजीसी के नए नियमों का पालन करना असंभव है."

यह भी पढ़ें- NEET 2024 : नीट-यूजी पर सुप्रीम कोर्ट में 18 जुलाई को होगी सुनवाई , केंद्र ने सौंपा हलफनामा

बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने कहा है कि वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के उच्च शिक्षा संस्थानों में टू ईयर एडमिशन पैटर्न अपनाने के लिए दिए गए प्रस्ताव का पालन नहीं करेगी. इसके साथ ही केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार के बीच एक और टकराव पैदा हो गया है.

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार राज्य में पिछली बीजेपी सरकार की ओर से लागू की गई स्नातक तक की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को न अपनाकर राज्य शिक्षा नीति बना रही है. राज्य सरकार ने अब उच्च शिक्षा में भी यूजीसी के निर्देशों के खिलाफ रुख अपना लिया है.

बता दें कि यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों को हर शैक्षणिक के दौरान जुलाई-अगस्त और जनवरी-फरवरी द्विवार्षिक प्रवेश पैटर्न अपनाने का निर्देश दिया था. एडमिशन का नया पैटर्न शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से लागू किया जाएगा. इस बीच राज्य सरकार ने यूजीसी को पत्र लिखकर कहा है कि वह इसे पैटर्न को लागू नहीं करेगी.

द्विवार्षिक प्रवेश क्यों?
यूजीसी ने अपने इस रुख का बचाव करते हुए कहा है कि नई व्यवस्था के तहत, जो छात्र उच्च शिक्षा अध्ययन में प्रवेश के लिए पात्र हैं, लेकिन किसी कारण से जुलाई-अगस्त में उच्च शिक्षा में प्रवेश से चूक जाते हैं, वह इस पैटर्न का फायदा उठा सकते हैं. दुनिया भर के कई विश्वविद्यालय पहले से इस नियम का पालन कर रहे हैं. यूजीसी का मानना ​​है कि इसे अपनाने से भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों को वैश्विक सहयोग और छात्र विनिमय बढ़ाने में मदद मिलेगी.

डॉ एमसी सुधाकर की प्रतिक्रिया
इससे पहले कर्नाटक के शिक्षा मंत्री डॉ एमसी सुधाकर ने कहा कि 2035 तक उच्च शिक्षा में छात्र प्रवेश में 50 प्रतिशत की वृद्धि करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी कॉलेजों में हर साल दो बार एडमिशन देने के निर्देश का पालन करना संभव नहीं है.

मंत्री ने आगे कहा, "सरकारी और निजी कॉलेज में बुनियादी ढांचे की कमी है. मौजूदा प्रणाली के अनुसार उच्च शिक्षा प्रदान करना पहले से ही मुश्किल है. इसलिए एक पत्र लिखा जाएगा जिसमें कहा जाएगा कि यूजीसी के नए नियमों का पालन करना असंभव है."

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