बेंगलुरु : कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की ओर से सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण रिपोर्ट को स्वीकार किए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को प्रभावशाली वीरशैव लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों ने इस पर अपनी आपत्ति जताई है और विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है.
दोनों समुदाय सर्वेक्षण पर आपत्ति जताते हुए इसे 'अवैज्ञानिक' बता रहे हैं और इसे खारिज कर नए सिरे से सर्वेक्षण कराने की मांग कर रहे हैं. कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के जयप्रकाश हेगड़े ने गुरुवार को सिद्धरमैया को सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपी. इससे लेकर कांग्रेस के भीतर नए सिरे से बहस शुरू हो गई क्योंकि उसके कुछ मंत्रियों और विधायकों ने इसे लेकर आशंकाएं जताई हैं. वीरशैव-लिंगायतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय वीरशैव महासभा के प्रमुख एवं कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक शमनूर शिवशंकरप्पा ने कहा कि उनके समुदाय को सर्वेक्षण में 'जानबूझकर' कम गिना गया है.
उन्होंने कहा कि हम चुप नहीं रहेंगे, हम आवश्यक कार्रवाई करेंगे. हम साबित कर देंगे कि रिपोर्ट अवैज्ञानिक है... वीरशैव-लिंगायत और इसकी उपजातियां अकेले लगभग दो करोड़ हैं. उन्हें एक बार फिर से वैज्ञानिक जनगणना करने दीजिये.
वोक्कालिगा आरक्षण समिति के मुख्य संयोजक नागराज येलाचवादी ने भी रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि हमारे समुदाय के प्रमुखों और एचडी देवेगौड़ा, डीके शिवकुमार और अन्य नेताओं की मांगों के अनुसार आवश्यक बदलाव किए बिना रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई.