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कारगिल से नहीं लौटे बिहार के 18 सपूत, बिहार रेजीमेंट प्रथम बटालियन को मिला था पहला बलिदान देने का श्रेय - kargil vijay diwas 2024

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 26, 2024, 6:55 AM IST

Updated : Jul 26, 2024, 3:03 PM IST

Bihar hero of Kargil war: आज कारगिल दिवस की 25वीं वर्षगांठ है. 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान बिहार रेजीमेंट की पहली बटालियन ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया था. अतिदुर्गम परिस्थितियों में बाटलिक सेक्टर के दुश्मनों के कब्जे से पोस्ट को मुक्त कराया गया था. इस युद्ध में देश की आन बान और शान के लिए बिहार के भी 18 वीर सपूतों ने अपना बलिदान दिया था.

कारगिल विजय दिवस
कारगिल विजय दिवस (ETV Bharat GFX)

पटना: कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ हुई जीत के सम्मान में हर वर्ष 26 जुलाई को देश भर में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. यह दिन हमारे वीर सैनिकों की बहादुरी के लिए समर्पित किया गया है. इस लड़ाई में हमारे देश के 527 सैनिकों में शहादत दी थी.

देश के शहीद जवानों का सम्मान: शुक्रवार को कारगिल दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर पूरा देश अपने वीर सपूतों को नमन कर रहा है. वर्ष 1999 में पाकिस्तानी सैनिकों ने भारत पर आक्रमण करने का दुस्साहस किया था. पाकिस्तान के सैनिकों ने कारगिल के बर्फीले पहाड़ों पर, 18,000 फीट की ऊंचाई से भारत को चुनौती दी थी.

देश के 527 सैनिकों ने दी थी शहादत: कारगिल की लड़ाई भारतीय सैनिकों के द्वारा लड़ी गई, सबसे चुनौती पूर्ण लड़ाई थी. 18 000 फीट बर्फीले पहाड़ की ऊंचाई पर हमारे सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटाई थी. 2 महीने तक चले इस युद्ध में करीब 527 सैनिक बलिदान हुए थे और करीब 1400 सैनिक घायल हुए थे. हमारे वीर सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए इस युद्ध में जीत हासिल की.

पटना का कारगिल चौक
पटना का कारगिल चौक (ETV bharat)

बिहार रेजीमेंट का अदम्य साहस: कारगिल युद्ध के दौरान बिहार रेजीमेंट के सैनिकों ने देश के सम्मान की रक्षा में अपनी जान लगा थी. इस युद्ध में बिहार रेजीमेंट के 18 सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया था. बिहार के लिए यह और भी गर्व की बात है कि कारगिल युद्ध में सबसे पहले शहीद होने वालों में शामिल मेजर मरियप्पन सर्वानन बिहार रेजिमेंट से ही थे. जब सेना को बटालिक में दुश्मन की हरकत की जानकारी मिली थी, मेजर मरियप्पन ने अकेले ही दो बंकरों को नष्ट कर दिया. इस दौरान उनके पास कोई बैकअप भी नहीं था, लेकिन फिर भी मेजर मरियप्पन पीछे नहीं हटे और 29 मई 1999 को शहीद हो गये थे.

बिहार के जवानों की कुर्बानी: 2 महीने तक चले इस युद्ध में कारगिल युद्ध में देश के 527 वीर जवानों ने अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए देश के लिए अपनी कुर्बानी दी थी. बिहार के 18 जवानों ने अपनी जान देकर भारत मां की सुरक्षा की थी. बिहार के इन 18 वीर सपूतों पर पूरे प्रदेश को आज फक्र है. इन जवानों ने अपनी जान की परवाह किए बिना पाकिस्तानी सैनिकों के समाने भारत का झंडा झुकने नहीं दिया था.

बिहार के शहीदों के नाम: बिहार के 18 जवानों ने देश के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी. उनके नाम हैं- नायक नीरज कुमार (लखीसराय), नायक सुनील कुमार (मुजफ्फरपुर), लांस नायक विद्यानंद सिंह (आरा), लांस नायक राम वचन राय (वैशाली), मेजर चन्द्र भूषण द्विवेदी (शिवहर), नायक गणोश प्रसाद यादव (पटना), नायक विष्णु राय (सारण), हवलदार रतन कुमार सिंह (भागलपुर), अरविंद कुमार पाण्डेय (पूर्वी चम्पारण), प्रमोद कुमार (मुजफ्फरपुर), शिव शंकर गुप्ता (औरंगाबाद), हरदेव प्रसाद सिंह (नालंदा), रम्भु सिंह (सिवान), रमन कुमार झा (सहरसा), हरिकृष्ण राम (सिवान), प्रभाकर कुमार सिंह (भागलपुर)

बिहार के वीर सपूत
बिहार के वीर सपूत (ETV Bharat)

बिहार रेजीमेंट को सम्मान: कारगिल युद्ध में अदम्य साहस के लिए बिहार रेजीमेंट को 28 वीरता पुरस्कार मिला था. कारगिल युद्ध में पहला बलिदान बिहार रेजीमेंट प्रथम बटालियन के मेजर एम. सरावनन और उनकी टुकड़ी में शामिल नायक गणेश प्रसाद यादव, सिपाही प्रमोद कुमार, सिपाही ओम प्रकाश गुप्ता और हवलदार हरदेव सिंह ने दिया था. कारगिल युद्ध में बिहार रेजीमेंट की प्रथम बटालियन को 28 वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इनमें चार वीर चक्र और छह सेना मेडल के साथ बैटल आनर आफ बटालिक और थिएटर आनर आफ कारगिल का सम्मान शामिल है. करगिल युद्ध में शहीद कैप्टन गुरजिंदर सिंह सूरी को मरणोपरांत महावीर चक्र से, तो मेजर मरियप्पन सरावनन को मरणोपरांत वीरचक्र से सम्मानित किया गया था.

क्या कहना है वरिष्ठ पत्रकार का: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय ने कहा कि कारगिल युद्ध भारत के ऊपर पाकिस्तानियों के द्वारा छद्म में रूप से थोपा गया था. ठंड के महीने में छुपकर ऊंचे जगह पर पहले से ही पाकिस्तानियों ने कब्जा कर लिया था. देश के ऊपर युद्ध थोपा गया लेकिन हमारे वीर सैनिकों ने अपनी जान की परवाह किए बिना उसे दुर्गम इलाके में भी जीत दर्ज की.

"इस युद्ध में बिहार रेजीमेंट के जवानों की कुर्बानी हमेशा याद की जाएगी. राजधानी पटना में गांधी मैदान के पास कारगिल जवानों की शहादत को देखते हुए कारगिल चौक का निर्माण करवाया गया. हर वर्ष कारगिल चौक पर उन सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है, जिन्होंने अपनी जान देश पर कुर्बान की थी."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

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पटना: कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ हुई जीत के सम्मान में हर वर्ष 26 जुलाई को देश भर में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. यह दिन हमारे वीर सैनिकों की बहादुरी के लिए समर्पित किया गया है. इस लड़ाई में हमारे देश के 527 सैनिकों में शहादत दी थी.

देश के शहीद जवानों का सम्मान: शुक्रवार को कारगिल दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर पूरा देश अपने वीर सपूतों को नमन कर रहा है. वर्ष 1999 में पाकिस्तानी सैनिकों ने भारत पर आक्रमण करने का दुस्साहस किया था. पाकिस्तान के सैनिकों ने कारगिल के बर्फीले पहाड़ों पर, 18,000 फीट की ऊंचाई से भारत को चुनौती दी थी.

देश के 527 सैनिकों ने दी थी शहादत: कारगिल की लड़ाई भारतीय सैनिकों के द्वारा लड़ी गई, सबसे चुनौती पूर्ण लड़ाई थी. 18 000 फीट बर्फीले पहाड़ की ऊंचाई पर हमारे सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटाई थी. 2 महीने तक चले इस युद्ध में करीब 527 सैनिक बलिदान हुए थे और करीब 1400 सैनिक घायल हुए थे. हमारे वीर सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए इस युद्ध में जीत हासिल की.

पटना का कारगिल चौक
पटना का कारगिल चौक (ETV bharat)

बिहार रेजीमेंट का अदम्य साहस: कारगिल युद्ध के दौरान बिहार रेजीमेंट के सैनिकों ने देश के सम्मान की रक्षा में अपनी जान लगा थी. इस युद्ध में बिहार रेजीमेंट के 18 सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया था. बिहार के लिए यह और भी गर्व की बात है कि कारगिल युद्ध में सबसे पहले शहीद होने वालों में शामिल मेजर मरियप्पन सर्वानन बिहार रेजिमेंट से ही थे. जब सेना को बटालिक में दुश्मन की हरकत की जानकारी मिली थी, मेजर मरियप्पन ने अकेले ही दो बंकरों को नष्ट कर दिया. इस दौरान उनके पास कोई बैकअप भी नहीं था, लेकिन फिर भी मेजर मरियप्पन पीछे नहीं हटे और 29 मई 1999 को शहीद हो गये थे.

बिहार के जवानों की कुर्बानी: 2 महीने तक चले इस युद्ध में कारगिल युद्ध में देश के 527 वीर जवानों ने अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए देश के लिए अपनी कुर्बानी दी थी. बिहार के 18 जवानों ने अपनी जान देकर भारत मां की सुरक्षा की थी. बिहार के इन 18 वीर सपूतों पर पूरे प्रदेश को आज फक्र है. इन जवानों ने अपनी जान की परवाह किए बिना पाकिस्तानी सैनिकों के समाने भारत का झंडा झुकने नहीं दिया था.

बिहार के शहीदों के नाम: बिहार के 18 जवानों ने देश के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी. उनके नाम हैं- नायक नीरज कुमार (लखीसराय), नायक सुनील कुमार (मुजफ्फरपुर), लांस नायक विद्यानंद सिंह (आरा), लांस नायक राम वचन राय (वैशाली), मेजर चन्द्र भूषण द्विवेदी (शिवहर), नायक गणोश प्रसाद यादव (पटना), नायक विष्णु राय (सारण), हवलदार रतन कुमार सिंह (भागलपुर), अरविंद कुमार पाण्डेय (पूर्वी चम्पारण), प्रमोद कुमार (मुजफ्फरपुर), शिव शंकर गुप्ता (औरंगाबाद), हरदेव प्रसाद सिंह (नालंदा), रम्भु सिंह (सिवान), रमन कुमार झा (सहरसा), हरिकृष्ण राम (सिवान), प्रभाकर कुमार सिंह (भागलपुर)

बिहार के वीर सपूत
बिहार के वीर सपूत (ETV Bharat)

बिहार रेजीमेंट को सम्मान: कारगिल युद्ध में अदम्य साहस के लिए बिहार रेजीमेंट को 28 वीरता पुरस्कार मिला था. कारगिल युद्ध में पहला बलिदान बिहार रेजीमेंट प्रथम बटालियन के मेजर एम. सरावनन और उनकी टुकड़ी में शामिल नायक गणेश प्रसाद यादव, सिपाही प्रमोद कुमार, सिपाही ओम प्रकाश गुप्ता और हवलदार हरदेव सिंह ने दिया था. कारगिल युद्ध में बिहार रेजीमेंट की प्रथम बटालियन को 28 वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इनमें चार वीर चक्र और छह सेना मेडल के साथ बैटल आनर आफ बटालिक और थिएटर आनर आफ कारगिल का सम्मान शामिल है. करगिल युद्ध में शहीद कैप्टन गुरजिंदर सिंह सूरी को मरणोपरांत महावीर चक्र से, तो मेजर मरियप्पन सरावनन को मरणोपरांत वीरचक्र से सम्मानित किया गया था.

क्या कहना है वरिष्ठ पत्रकार का: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय ने कहा कि कारगिल युद्ध भारत के ऊपर पाकिस्तानियों के द्वारा छद्म में रूप से थोपा गया था. ठंड के महीने में छुपकर ऊंचे जगह पर पहले से ही पाकिस्तानियों ने कब्जा कर लिया था. देश के ऊपर युद्ध थोपा गया लेकिन हमारे वीर सैनिकों ने अपनी जान की परवाह किए बिना उसे दुर्गम इलाके में भी जीत दर्ज की.

"इस युद्ध में बिहार रेजीमेंट के जवानों की कुर्बानी हमेशा याद की जाएगी. राजधानी पटना में गांधी मैदान के पास कारगिल जवानों की शहादत को देखते हुए कारगिल चौक का निर्माण करवाया गया. हर वर्ष कारगिल चौक पर उन सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है, जिन्होंने अपनी जान देश पर कुर्बान की थी."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

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Last Updated : Jul 26, 2024, 3:03 PM IST
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