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घायल कांवड़िया सचिन सांसें थमने से पहले दे गया 3 लोगों को नया जीवन, AIIMS ऋषिकेश में पहली बार कैडवेरिक ऑर्गन डोनेशन - AIIMS Rishikesh - AIIMS RISHIKESH

AIIMS Rishikesh एम्स ऋषिकेश में पहली बार हुई कैडवेरिक ऑर्गन डोनेशन की प्रक्रिया सफल रही. हरियाणा के सचिन ने एम्स ऋषिकेश के जरिए तीन लोगों को अपने अंग दान किए. कांवड़ यात्रा पर आया सचिन रुड़की में सड़क हादसे में घायल हो गया था.

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हादसे का शिकार सचिन सांसें थमने से पहले दे गया 3 लोगों को नया जीवन (ETV Bharat FILE PHOTO)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 3, 2024, 3:48 PM IST

Updated : Aug 3, 2024, 3:59 PM IST

ऋषिकेश (उत्तराखंड): 25 वर्षीय सचिन के कोमा में जाने के बाद जब वापस आने की उम्मीद नहीं बची, तो एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों ने उसके परिजनों से अंगदान की अपील की. परिवार वाले राजी हुए और सचिन के अंगदान का फैसला लिया गया. प्रक्रिया के बाद सचिन के अंगदान से न केवल 3 लोगों की जिंदगी वापस लौटी है बल्कि दृष्टि खो चुके 2 अन्य लोग भी अब सचिन द्वारा किए गए नेत्रदान से जीवन का उजियारा देख सकेंगे. नवीनतम मेडिकल तकनीकों के आधार पर नित नए अध्याय लिख रहे एम्स ऋषिकेश में 'कैडवेरिक ऑर्गन डोनेशन' की यह सम्पूर्ण प्रक्रिया पहली बार हुई है, जो पूर्ण तौर से सफल रही. उत्तराखंड में इस प्रकार का यह पहला मामला है.

हरियाणा के महेंद्रगढ़ के रहने वाले सचिन को 23 जुलाई को हरिद्वार के रुड़की शहर में हुई सड़क दुर्घटना के बाद गंभीर हालत में एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था. अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने बताया कि सचिन के सिर में गंभीर चोट लगने के कारण उन्हें ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो सर्जरी आईसीयू में रखा गया. लेकिन कोमा में चले जाने के कारण इलाज कर रहे विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमेटी द्वारा उन्हें 30 जुलाई को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह के सुपरविजन में चिकित्सकों की एक टीम ने तत्काल प्रभाव से सचिन के परिवार वालों से संपर्क किया और उन्हें अंगदान के प्रति प्रेरित किया.

दिल्ली और चंडीगढ़ भेजे किए अंग: चिकित्सा अधीक्षक प्रो. मित्तल ने बताया कि ब्रेन डेड युवक के अंगदान का यह फैसला कई लोगों का जीवन लौटाने के काम आया. डॉक्टर्स के मुताबिक, सचिन के अंगदान से दो अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती 3 लोगों को नया जीवन मिला है. इनमें पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती एक व्यक्ति को किडनी और पेनक्रियाज जबकि दिल्ली स्थिति इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (आईएलबीएस) में भर्ती 2 अलग-अलग व्यक्तियों को किडनी और लिवर प्रत्यारोपित किए गए हैं.

अंगदान के साथ नेत्रदान भी किया: प्रो. मित्तल ने बताया कि विभिन्न अंगों को निर्धारित समय के भीतर चंडीगढ़ और दिल्ली के अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन के सहयोग से एम्स ऋषिकेश से देहरादून एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था. उन्होंने बताया कि सचिन द्वारा नेत्रदान भी किया गया है. सचिन की दोनों कॉर्निया को आई बैंक में सुरक्षित रखवाया गया है जिन्हें, शीघ्र ही जरूरतमंद की आंखों में प्रत्यारोपित कर दिया जाएगा. अंगदान हेतु उन्होंने सचिन के परिजनों का भी धन्यवाद किया और बताया कि किस प्रकार वह मृत्यु के बाद भी कई लोगों को जीवनदान दे गया है. इसके बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा सम्मान के साथ सचिन की देह एम्स ऋषिकेश से हरियाणा के लिए भिजवाई गई.

कांवड़ लेकर आया था सचिन, फरिश्ता बना परिवार: सचिन हरियाणा से कांवड़ लेकर जल भरने हरिद्वार के लिए निकला था. 23 जुलाई को रुड़की में वह सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया. सचिन के पिता की टायर पंचर बनाने की दुकान है. परिवार में पिता के अलावा उनकी पत्नी, 2 बच्चे और एक छोटा भाई है. सचिन अपने पिता के साथ दुकान में हाथ बंटाया करते था. एम्स के डॉक्टरों ने जब परिवार वालों से अंगदान कराने हेतु अपील की तो सचिन के परिजनों ने इस 'महादान' के लिए हामी कर दी.

पहली उपलब्धि: एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक मीनू सिंह ने बताया कि एम्स ऋषिकेश ने अत्याधुनिक मेडिकल तकनीक के क्षेत्र में न केवल मील का पत्थर हासिल किया है बल्कि जरूरतमंद लोगों का जीवन बचाने हेतु प्रशासन के सहयोग से मानव सेवा की उल्लेखनीय क्षमता पुष्टि भी की है. एम्स ऋषिकेश में कैडवेरिक ऑर्गन डोनेशन का यह पहला मामला है.

ये भी पढ़ेंः मासूम के लिए 'भगवान' बने एम्स ऋषिकेश के डॉक्टर, फेफड़े में फंसी गिट्टी तो ऐसे लौटाई सांसें

ऋषिकेश (उत्तराखंड): 25 वर्षीय सचिन के कोमा में जाने के बाद जब वापस आने की उम्मीद नहीं बची, तो एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों ने उसके परिजनों से अंगदान की अपील की. परिवार वाले राजी हुए और सचिन के अंगदान का फैसला लिया गया. प्रक्रिया के बाद सचिन के अंगदान से न केवल 3 लोगों की जिंदगी वापस लौटी है बल्कि दृष्टि खो चुके 2 अन्य लोग भी अब सचिन द्वारा किए गए नेत्रदान से जीवन का उजियारा देख सकेंगे. नवीनतम मेडिकल तकनीकों के आधार पर नित नए अध्याय लिख रहे एम्स ऋषिकेश में 'कैडवेरिक ऑर्गन डोनेशन' की यह सम्पूर्ण प्रक्रिया पहली बार हुई है, जो पूर्ण तौर से सफल रही. उत्तराखंड में इस प्रकार का यह पहला मामला है.

हरियाणा के महेंद्रगढ़ के रहने वाले सचिन को 23 जुलाई को हरिद्वार के रुड़की शहर में हुई सड़क दुर्घटना के बाद गंभीर हालत में एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था. अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने बताया कि सचिन के सिर में गंभीर चोट लगने के कारण उन्हें ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो सर्जरी आईसीयू में रखा गया. लेकिन कोमा में चले जाने के कारण इलाज कर रहे विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमेटी द्वारा उन्हें 30 जुलाई को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह के सुपरविजन में चिकित्सकों की एक टीम ने तत्काल प्रभाव से सचिन के परिवार वालों से संपर्क किया और उन्हें अंगदान के प्रति प्रेरित किया.

दिल्ली और चंडीगढ़ भेजे किए अंग: चिकित्सा अधीक्षक प्रो. मित्तल ने बताया कि ब्रेन डेड युवक के अंगदान का यह फैसला कई लोगों का जीवन लौटाने के काम आया. डॉक्टर्स के मुताबिक, सचिन के अंगदान से दो अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती 3 लोगों को नया जीवन मिला है. इनमें पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती एक व्यक्ति को किडनी और पेनक्रियाज जबकि दिल्ली स्थिति इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (आईएलबीएस) में भर्ती 2 अलग-अलग व्यक्तियों को किडनी और लिवर प्रत्यारोपित किए गए हैं.

अंगदान के साथ नेत्रदान भी किया: प्रो. मित्तल ने बताया कि विभिन्न अंगों को निर्धारित समय के भीतर चंडीगढ़ और दिल्ली के अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन के सहयोग से एम्स ऋषिकेश से देहरादून एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था. उन्होंने बताया कि सचिन द्वारा नेत्रदान भी किया गया है. सचिन की दोनों कॉर्निया को आई बैंक में सुरक्षित रखवाया गया है जिन्हें, शीघ्र ही जरूरतमंद की आंखों में प्रत्यारोपित कर दिया जाएगा. अंगदान हेतु उन्होंने सचिन के परिजनों का भी धन्यवाद किया और बताया कि किस प्रकार वह मृत्यु के बाद भी कई लोगों को जीवनदान दे गया है. इसके बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा सम्मान के साथ सचिन की देह एम्स ऋषिकेश से हरियाणा के लिए भिजवाई गई.

कांवड़ लेकर आया था सचिन, फरिश्ता बना परिवार: सचिन हरियाणा से कांवड़ लेकर जल भरने हरिद्वार के लिए निकला था. 23 जुलाई को रुड़की में वह सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया. सचिन के पिता की टायर पंचर बनाने की दुकान है. परिवार में पिता के अलावा उनकी पत्नी, 2 बच्चे और एक छोटा भाई है. सचिन अपने पिता के साथ दुकान में हाथ बंटाया करते था. एम्स के डॉक्टरों ने जब परिवार वालों से अंगदान कराने हेतु अपील की तो सचिन के परिजनों ने इस 'महादान' के लिए हामी कर दी.

पहली उपलब्धि: एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक मीनू सिंह ने बताया कि एम्स ऋषिकेश ने अत्याधुनिक मेडिकल तकनीक के क्षेत्र में न केवल मील का पत्थर हासिल किया है बल्कि जरूरतमंद लोगों का जीवन बचाने हेतु प्रशासन के सहयोग से मानव सेवा की उल्लेखनीय क्षमता पुष्टि भी की है. एम्स ऋषिकेश में कैडवेरिक ऑर्गन डोनेशन का यह पहला मामला है.

ये भी पढ़ेंः मासूम के लिए 'भगवान' बने एम्स ऋषिकेश के डॉक्टर, फेफड़े में फंसी गिट्टी तो ऐसे लौटाई सांसें

Last Updated : Aug 3, 2024, 3:59 PM IST
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