कानपुर: रविवार दोपहर छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले में कानपुर के महाराजपुर थाना क्षेत्र के रहने वाले शैलेंद्र कुमार शहीद हो गए. शाम करीब 5:00 बजे यह सूचना शैलेंद्र कुमार के परिजनों तक पहुंची. परिजनों का कहना था कि हमेशा ही शैलेंद्र कहते थे कि वह भारत मां की रक्षा के लिए अपने प्राण त्याग देंगे, लेकिन अपने कर्तव्य से पीछे कभी नहीं हटेंगे.
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ के पास बीजापुर में आईईडी ब्लास्ट के दौरान शैलेंद्र कुमार शहीद हो गए. परिजनों का कहना था शैलेंद्र कुमार आरक्षक के पद पर कार्यरत थे. शहर के लाल के शहीद होने की सूचना मिलते ही हर आंख नम हो गई. पुलिसकर्मियों ने बताया कि शैलेंद्र सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन में शामिल थे. शैलेंद्र के साथ ही हमले में एक और जवान शहीद हुए हैं.
7 मार्च को हुई थी शादी, दोपहर में पत्नी से की थी बात, कहा था जल्द घर आऊंगा: शहर के महाराजपुर थाना क्षेत्र स्थित नौगवां गौतम गांव निवासी शैलेंद्र की शादी सात मार्च को हुई थी. कोई नहीं जानता था, कि अपनी पत्नी कोमल से जब शैलेंद्र रविवार दोपहर को बात कर रहे थे, उसके बाद पत्नी कभी उनकी आवाज नहीं सुन पाएगी. पत्नी कोमल ने बताया, कि वह अपने एक सहयोगी के साथ बीजापुर स्थित कैंप में राशन देने जा रहे थे.
ट्रक में थे, तो बातचीत के दौरान आवाज ठीक से नहीं आ रही थी. हालांकि, उन्होंने फोन रखने से पहले बस इतना कहा था, कि बहुत जल्द घर वापस आने वाला हूं. रूंधते गले से कोमल ने कहा, हमारी शादी को बस अभी 3.5 माह ही हुए थे. कैसे विश्वास कर लें, कि अब वो कभी नहीं आएंगे.
पता होता कि मेरा लाल शहीद हो जाएगा, तो उसे वापस घर बुला लेती: शहीद शैलेंद्र की मां बिजमा देवी भी बदहवास थीं. वह बस एक बात कह रही थीं, कि अगर पता होता मेरा लाल शहीद हो जाएगा तो उसे वापस घर बुला लेती. कभी ऐसी जगह न जाने देती, जहां नक्सली हमले होते हैं. वहीं, घर पर बहन और भाई सबसे अधिक रो रहे थे. उन्होंने बताया, कि पिता मन्नालाल की काफी समय पहले ही मौत हो गई थी. घर की पूरी जिम्मेदारी शैलेंद्र पर ही थी. अब हम, अपनी बातें किससे कहेंगे? परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था.
साल 2017 में सीआरपीएफ से जुड़े थे शैलेंद्र: शहीद शैलेंद्र कुमार साल 2017 में सीआरपीएफ का हिस्सा बन गए थे. जिला प्रशासन के आला अफसरों ने बताया, कि छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर बार्डर पर नक्सलियों के हमले में सिलगेर और टेकलगुडम के बीच ही आईईडी ब्लास्ट हुआ और शैलेंद्र शहीद हो गए.
आसपास के गांव के लोग भी शैलेंद्र के घर पहुंचे: महाराजपुर निवासी शैलेंद्र के शहीद होने की जानकारी कुछ देर में ही कानपुर में सभी को पता लग गई थी. ऐसे में महाराजपुर में शैलेंद्र के घर के आस-पास भी रहने वाले कई ग्रामीण देर रात तक उनके घर पहुंच गए. सभी उनके जीवन से जुड़ी गतिविधियों पर बात कर रहे थे. परिजनों का कहना था कि शैलेंद्र हमेशा से ही यह कहते थे कि उन्हें सेना में जाना है और देश की सेवा करनी है. अभी पुलिस या प्रशासन की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि शैलेंद्र का शव कानपुर कब तक आएगा.
दिसंबर 2023 में आतंकी हमले में शहीद हुए थे: शहर में 6 माह के अंदर ही यह ऐसा दूसरा मामला सामने आया है, जब शहर के लाल को शहीद होना पड़ा. दिसंबर 2023 में जम्मू कश्मीर के राजौरी में हुए आतंकी हमले में चौबेपुर के भावपुर निवासी कारण भी शहीद हो गए थे. करण के परिजनों ने तब बहुत ही आक्रोश भी दिखाया था और उन्होंने कहा था कि देश में आतंकवाद का खात्मा होना चाहिए. वहीं अब रविवार को महाराजपुर थाना क्षेत्र में शहीद शैलेंद्र के परिजन भी बहुत अधिक परेशान थे.
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