कांकेर: छत्तीसगढ़ के नक्सलगढ़ की तस्वीर बदल रही है. विकास के अलावा यहां बुनियादी सेवाओं का भी विस्तार किया जा रहा है. कांकेर में सीमा सुरक्षाबल के दो कैंप अब स्कूली बच्चों की शिक्षा में काम आ रहे हैं. बीएसएफ से जुड़े अधिकारियों ने इस बात की जानकारी रविवार को मीडिया को दी है.
अंतागढ़ इलाके के दो कैंप बने शिक्षा का मंदिर: अंतागढ़ में संचालित होने वाले बीएसएफ के दौ कैंपों को शिक्षा के उद्देश्य से कैंप और हॉस्टल में बदला गया है. इनमें बोंडानार और कढ़ाई खोदरा गांवों के दो कैंप शामिल हैं. इन कैंपों को बीएसएफ ने खाली कर दिया है. अब यहां पढ़ाई होगी और यहां स्थित कैंप को बस्तर के अंदरुनी इलाकों में शिफ्ट कर दिया गया है.
"बीएसएफ ने अपने बोंडानार सीओबी को रावघाट क्षेत्र (कांकेर एरिया) के पादर गांव में और कढाई खोदरा में खाली कर दिया है. अब यहां संचालित कैंप को पड़ोसी नारायणपुर जिले के जंगलों में स्थानांतरित कर दिया है, जो माओवादियों के मुख्य क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है. बोंडानार सीओबी की स्थापना 2010 में की गई थी. इसे पिछले साल फरवरी में इसे स्थानांतरित किया गया था. जबकि कढ़ाई खोदरा में 2015 में स्थापित एक शिविर को इस साल फरवरी में स्थानांतरित किया गया हैं. इन दो खाली कैंपों में अब स्कूली बच्चों की पढ़ाई हो रही है.": बीएसएफ कांकेर
"खाली किए गए दो कैंपों में से एक कढ़ाई खोदरा गांव में स्थित है. इसका उपयोग चालू शैक्षणिक सत्र से सरकारी हाई स्कूल के रूप में किया जा रहा है, जबकि दूसरे को पिछले साल से लड़कों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रावास बनाया गया है. कढ़ाई खोदरा स्कूल में 33 छात्र हैं, जिनमें 16 लड़कियां हैं, जो कक्षा 9वीं और 10वीं में पढ़ती हैं. बोंडानार छात्रावास में कक्षा 6वीं से 12वीं तक के कुल 75 लड़के रहते हैं": बीएस उइके, अतिरिक्त कलेक्टर, अंतागढ़, कांकेर
कैंप में सारी सुविधाएं हैं मौजूद: अंतागढ़ के अतिरिक्त कलेक्टर बीएस उइके ने बताया कि" ये दोनों कैंप पहले से निर्मित संरचनाओं से लैस हैं. यहां हर तरह की सुविधाएं हैं. इसलिए इनको स्कूल और हॉस्टल के लिए उपयोग करना एक आदर्श स्थिति थी. ये दोनों कैंप शिक्षा के उपयोग के लिए आदर्श थे"
दोनों कैंपों में हैं क्या क्या सुविधाएं ?: दोनों कैंपों में बच्चों के लिए कई सुविधाएं हैं. यहां खेल का मैदान, पीने के पानी की व्यवस्था है. इसके अलावा बिजली की सुविधा और पुरुष और महिलाओं के लिए शौचालय की सुविधाएं हैं.
"खाली कैंपों को शैक्षणिक सुविधाओं के रूप में उपयोग करने से स्थानीय आदिवासियों का विश्वास जीतने में मदद मिलेगी. क्योंकि इससे बच्चों में भी सुरक्षा का भाव पैदा होगा. इस तरह के और अधिक बुनियादी ढांचे का उपयोग स्कूलों, सार्वजनिक वितरण दुकानों, बिजली आपूर्ति और मोबाइल टावर स्टेशनों के रूप में किया जा सकता है": प्रोफेसर गिरीशकांत पांडे, सरकारी एनपीजी कॉलेज ऑफ साइंस में रक्षा अध्ययन विभाग के प्रमुख
बस्तर के अंदरुनी इलाकों में स्थापित हो रहे सिक्योरिटी कैंप: बस्तर में तेजी से हालात बदल रहे हैं. यहां के अंदरुनी इलाकों तक कैंपों की स्थापना हो रही है. कांकेर में दो खाली कैपों का इस्तेमाल अब स्कूली बच्चों की पढ़ाई के लिए होना सुखद है. अंतागढ़ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जयप्रकाश बरहाई ने कहा कि कैंप का ट्रांसफर कर उन्हें बस्तर के अंदरुनी इलाकों में स्थापित करने से एक सुरक्षा का भाव इलाके में विकसित हो रहा है. सुरक्षा कर्मियों द्वारा मौजूदा प्रतिष्ठानों के आसपास के क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने और नक्सलियों को पीछे धकेलकर विकास कार्यों को सुविधाजनक बनाने का यह परिणाम है.
"वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ युद्ध जीतने के लिए धीरे-धीरे और अधिक शिविरों को आंतरिक इलाकों में स्थानांतरित किया जाएगा. यह अच्छी बात है कि नागरिक प्रशासन अलग-अलग उद्देश्यों, विशेष रूप से शिक्षा के लिए खाली किए गए शिविरों का उपयोग कर रहा है. एक और खाली किए गए शिविर को बिजली सबस्टेशन के रूप में उपयोग करने की योजना बनाई जा रही है. यह एक अच्छा कदम है क्योंकि इससे पहले जब 2009-10 में कांकेर में नक्सल विरोधी अभियानों के लिए बीएसएफ को तैनात किया गया था, तो सरकारी स्कूलों को उनके अस्थायी शिविरों के रूप में इस्तेमाल किया गया था. इस इमारत के माओवादियों के निशाने पर आने के बाद से इसकी आलोचना हुई थी": जयप्रकाश बरहाई, अंतागढ़ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक
कैंपों के इस तरह के उपयोग से छत्तीसगढ़ की स्कूली शिक्षा जो नक्सलगढ़ के इलाकों में नहीं फैली थी उसके प्रसार में मदद मिलेगी. यही वजह है कि इस कार्य की हर ओर सराहना हो रही है.
सोर्स: पीटीआई