रामनगर (उत्तराखंड): हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत साल 2010 में हुई थी. बाघ दिवस बाघों के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है. प्रोजेक्ट टाइगर की ही देन है कि कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों का लगातार कुनबा बढ़ता रहा है. यहां 260 से ज्यादा बाघ पाए जाते हैं.बाघों के संरक्षण व संवर्धन को लेकर साल 2010 से ग्लोबल टाइगर डे की शुरुआत की गई थी. तब से आज तक लगातार विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. उत्तराखंड में वर्तमान में कुल 560 बाघ हैं.
बाघों की संख्या बढ़ाने का लक्ष्य: गौर हो कि हर वर्ष 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है. साल 2010 में रूस के सेंटपीटर्सबर्ग शहर में आयोजित इंटरनेशनल समिट में हर साल 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस (International Tiger Day) मनाने का फैसला लिया गया था. इस सम्मेलन में बाघों की आबादी वाले 13 देशों ने हिस्सा लिया था. सभी को 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य दिया गया था. बाघों के संरक्षण में विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क खरा उतरता है.
कॉर्बेट नेशनल पार्क बाघों के लिए मुफीद: बाघों के घनत्व के मामले में विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क अव्वल स्थान रखता है. भारत में साल 2010 में बाघ विलुप्त होने के कगार पर थे. पूरे भारत में कुल 53 टाइगर रिजर्व हैं. पहले नंबर स्थान पाने वाला जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व है. पार्क में लगातार बाघों की संख्या बढ़ रही है. कॉर्बेट नेशनल पार्क में प्राकृतिक आवास, प्राकृतिक व पक्के वॉटर होल और भरपूर पानी बाघों को सुरक्षित माहौल देता है.
धनत्व के मामले में अव्वल स्थान: वहीं जानकारी देते हुए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक दिगंत नायक ने बताया कि एनटीसीए की साइट स्टेटस ऑफ टाइगर्स को-प्रीडेटर्स एंड प्रे इन इंडिया' की रिपोर्ट के अनुसार घनत्व के मामले में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व अव्वल स्थान रखता है. उन्होंने बताया कि कॉर्बेट नेशनल पार्क 1288 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें 260 से ज्यादा बाघ पाए जाते है. वहीं दूसरे स्थान पर कर्नाटक का बांदीपुर टाइगर रिजर्व है, जहां 150 से ज्यादा बाघ हैं, जिसका क्षेत्रफल 868 स्क्वायर किलोमीटर है. वहीं तीसरे स्थान पर नागरहोले टाइगर रिजर्व है यह भी कर्नाटक में स्थित है, यहां 140 बाघ है और इसका क्षेत्रफल 850 स्क्वायर किलोमीटर है. चौथे में काजीरंगा नेशनल पार्क है जो 400 से ज्यादा वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. जहां 104 से ज्यादा बाघ पाए जाते हैं. पांचवे स्थान पर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व है, जो मध्यप्रदेश में स्थित है. यह 1536 स्क्वायर किलोमीटर में फैला है और 130 बाघ है.
नाम बदलकर रखा गया कॉर्बेट नेशनल पार्क: बता दें कि 8 अगस्त 1936 को कॉर्बेट पार्क को हेली नेशनल पार्क नाम दिया गया था. 1955 में हेली नेशनल पार्क को रामगंगा नेशनल पार्क का नाम मिला. 1957 में प्रसिद्ध दार्शनिक व शिकारी जेम्स एडवर्ड जिम कॉर्बेट के नाम पर इसका नाम कॉर्बेट नेशनल पार्क रखा गया था. देशभर में बाघों की गणना हर 4 साल में होती है. इससे उनकी ग्रोथ रेट का पता लगाया जाता है. साल 1973 में देश भर में मात्र 9 टाइगर रिजर्व थे. अब इनकी संख्या बढ़कर 53 हो गई है.
इस समय बाघों की संख्या 260 से ज्यादा: विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में लगातार बाघों की संख्या बढ़ रही है. 2006 की गणना के बाद से ही बाघों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. 2006 में इनकी संख्या 150 थी. इस समय 260 से ज्यादा बाघों की संख्या है.
देशभर में 3 हजार से ज्यादा बाघ: बता दें कि पहली बार बाघों की गठना का कार्य 2006 में शुरू हुआ. फिर 2010, 2014, 2018 में फिर 2019 में कराया गया था. जिसमें हर बार बाघों की संख्या में इजाफा देखा गया. 2006 में मात्र 150 बाघ थे. इसके बाद 2010 में बाघों की गणना की गई तो बढ़कर 184 हो गई थी. 2014 में 215 बाघ, 2018-19 में 231 और 2022 में 260 से ज्यादा बाघ पाए गए. भारत में साल 2022 की गणना के अनुसार बाघों की संख्या अभी 3682 है.
जैव विविधता का धनी है कॉर्बेट पार्क: गौर हो कि देश में बाघों के संरक्षण के लिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से 1 अप्रैल साल 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया गया था, जो आज भी काम कर रहा है. यहां पर पक्षियों की 500 से अधिक प्रजातियां, 110 प्रकार के पेड़ पौधे, करीब 200 प्रजातियों की तितलियां, 1200 से ज्यादा हाथी, नदियां, पहाड़ शिवालिक आदि कॉर्बेट को दिलचस्प बनाती हैं. जिसके दीदार के लिए देश-विदेश से पर्यटक लाखों की संख्या में हर वर्ष कॉर्बेट पार्क पहुंचते हैं.
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