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विदेशों तक फैला साइबर क्राइम मकड़जाल, इंडियन सिमकार्ड से विदेशी धरती पर ठगी! - Cyber Crime - CYBER CRIME

Cyber Criminals running fraud network. झारखंड में साइबर क्राइम का मकड़जाल अब विदेशी धरती तक फैल चुका है. यहां के अपराधी विदेशी धरती पर ठगी का नेटवर्क चला रहे हैं. कई मामलों की जांच में सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच ने इसमें एक चौंकाने वाला खुलासा किया है.

Jharkhand Cyber Criminals running fraud network in collaboration with international cyber criminals
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 14, 2024, 8:37 PM IST

रांचीः झारखंड के साइबर क्रिमिनल्स इंटरनेशनल साइबर अपराधियों के साथ मिलकर ठगी का नेटवर्क चला रहे हैं. इसके लिए बाकायदा दुबई, कंबोडिया, थाईलैंड और लाओस जैसे कई इंटरनेशनल वेन्यू का प्रयोग किया जा रहा है. इसमें सबसे हैरानी की बात ये है कि इस ठगी के लिए भारतीय मोबाइल नेटवर्क का प्रयोग किया जा रहा है.

साइबर क्राइम पर कार्रवाई को लेकर जानकारी देते झारखंड डीजीपी (ETV Bharat)

भारतीय सिमकार्ड का इस्तेमाल कर विदेशों से ठगी

झारखंड के साइबर अपराधियों का इंटरनेशनल साइबर क्रिमिनल्स के साथ संपर्क हो चुका है. यह सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच की जांच में साबित हो चुका है. सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच में यह भी खुलासा किया है कि विदेश में बैठकर ठगी की घटनाओं को अंजाम देने वाले इंटरनेशनल साइबर ठग भारतीय नंबरों का प्रयोग कर न सिर्फ भारत के लोगों को बल्कि दुनिया के कई देशों के लोगों को चूना लगा रहे हैं. झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि झारखंड के साइबर अपराधियों के सहयोग से इंटरनेशनल साइबर अपराधी भारतीय सिमकार्ड्स और मोबाइल फोन का प्रयोग कर ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं.

भारतीय सिमकार्ड का क्यों हो रहा प्रयोग

हाल के दिनों में पूरे देश भर में साइबर अपराधियों के खिलाफ जोरदार कार्रवाई की गई है. जिसके बाद साइबर अपराधियों ने एक नई चाल की तहत दुबई, कंबोडिया और थाईलैंड जैसे इंटरनेशनल वेन्यू को अपना कार्यस्थल बना लिया. भारत के लोगों से ठगी के लिए इंटरनेशनल साइबर अपराधियों ने न सिर्फ मानव तस्करी के जरिए युवाओं को बेहतर नौकरी का झांसा देकर विदेश बुलाकर उनसे साइबर ठगी करवाना शुरू किया. वहीं सैकड़ों की संख्या में सिमकार्ड इश्यू करवा कर ठगी के लिए विदेश में उसका इस्तेमाल भी कर रहे हैं. झारखंड पुलिस के डीजीपी अनुराग गुप्ता के अनुसार विदेश से अगर भारतीय नंबर के द्वारा ठगी के कॉल किए जाते हैं तो लोगों को लगता है कि फोन उनके देश नहीं आ रहा है. इसी चक्कर में भारतीय नागरिक साइबर अपराधियों के झांसी में आ जाते हैं और अपने खातों से पैसे लुटा देते हैं.

कबूतरबाजी कर युवाओं को ले जा रहे विदेश

झारखंड से साइबर क्राइम को अंजाम दिलवाने के लिए बेरोजगार युवकों की तस्करी की जा रही है. झारखंड के बेरोजगार युवकों को नौकरी का झांसा देकर लाओस और कंबोडिया जैसे मुल्कों में तस्करी कर ले जा जाता है और फिर उनसे वहां जबरदस्ती साइबर क्राइम करवाया जाता है. इस संबंध में सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच में एक पीड़ित के परिवार के द्वारा एफआईआर दर्ज करवाई गयी थी, जब सीआईडी की क्राइम ब्रांच टीम मामले की तफ्तीश में जुटी तब चौंकाने वाला खुलासा हुआ. इसमें जांच टीम को जानकारी मिली कि कंबोडिया, थाईलैंड, लाओस जैसे देशों के साइबर अपराधियों ने झारखंड में अपने कुछ एजेंट तैयार कर रखे थे. झारखंड के एजेंट के माध्यम से ही बेरोजगार युवकों को विदेश में नौकरी देने का झांसा देकर कंबोडिया, थाईलैंड, लाओस जैसे देशों में ले जाया जाता था. दूसरे देश में जाकर झारखंड के युवाओं को साइबर ठगी का काम करवाया जाता था. विदेशी साइबर अपराधियों ने झारखंड के वैसे सभी युवाओं के पासपोर्ट और दूसरे तरह के पहचान पत्र अपने पास जब्त कर लिए थे. मजबूरन युवाओं को साइबर ठगी का काम करना पड़ता था.

झारखंड से दो एजेंट हुए थे गिरफ्तार

झारखंड डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने साइबर क्राइम में इस्तेमाल के लिए युवाओं की तस्करी करने वाले दो एजेंटों वसीम खान और यमुना कुमार राणा को पूर्व में गिरफ्तार कर चुकी है. वसीम खान झारखंड के गिरिडीह का रहने वाला है जबकि यमुना कुमार राणा झारखंड के कोडरमा का रहने वाला है. गिरफ्तार साइबर एजेंटों के पास से कई आपत्तिजनक साक्ष्य, लेनदेन से संबंधित पासबुक, चेक बुक, लैपटॉप और विदेश भेजे गए लोगों के बायोडाटा, पासपोर्ट और वीजा का विवरण बरामद किए गए थे. लेकिन अभी भी इस रैकेट के कई एजेंट सक्रिय हैं. जिसे देखते हुए सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच अभी भी मामले की तफ्तीश में जुटी हुई है.

नेटवर्क ध्वस्त करने के लिए प्रतिबिंब करेगा मदद

झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि इंटरनेशनल साइबर रैकेट को ध्वस्त करने के लिए प्रतिबिंब ऐप को और बेहतर बनाया जा रहा है. डीजीपी के अनुसार भारत के मोबाइल नंबरों से विदेश में बैठकर साइबर फ्रॉड करने वालों का प्रतिबिंब लोकेशन ट्रैक करेगा. डीजीपी के निर्देश पर झारखंड पुलिस की टेक्निकल टीम इसके लिए काम करना शुरू कर चुकी है. गौरतलब है कि अभी तक नेशनल क्राइम रिर्पोटिंग पोर्टल (National Crime Reporting Portal) और साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर मिली शिकायतों के आधार पर झारखंड में बैठे साइबर अपराधियों का लोकेशन ट्रैक कर पुलिस कार्रवाई करती थी. प्रतिबिंब का लाभ देश के दूसरे राज्यों की पुलिस को भी मिलता है. अब प्रतिबिंब एप की क्षमता को बढ़ाकर विदेश में बैठे-बैठे साइबर फ्रॉडस का लोकेशन ट्रैक किया जाएगा जो भारत के नंबरों से देश के झारखंड सहित अन्य राज्यों में साइबर क्राइम की वारदात को अंजाम देते हैं. अब तक मिली जानकारी के अनुसार कंबोडिया, वियतनाम, लाओस, हांगकांग और दुबई में बैठकर साइबर अपराधी झारखंड सहित भारत के अन्य राज्यों में साइबर अपराधी घटना को अंजाम दे रहे हैं. ठगी की वारदातों को अंजाम देने के लिए भारतीय सिमकार्ड का प्रयोग हो रहा है.

झारखंड के युवाओं से करवाते हैं फोन

झारखंड के डीजीपी के अनुसार विदेश में बैठे साइबर अपराधी न सिर्फ हमारे देश के सिम कार्ड का प्रयोग कर रहे हैं बल्कि साइबर ठगी से संबंधित फोन करवाने के लिए भारतीय युवाओं को विदेश भी ले जा रहे हैं. विदेश में बैठकर साइबर अपराधी भारतीय युवाओं से भारतीय नंबरों से ठगी के लिए फोन करवाते हैं. अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि युवाओं को बरगलाकर विदेश ले जाया गया. लेकिन इस बात की भी जांच की जा रही है कि कहीं उनका भी साइबर अपराधियों के साथ कनेक्शन तो नहीं है.

वियतनाम के रास्ते का प्रयोग

सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच के अनुसार भारतीय सिमकार्ड और फोन करने के लिए भारतीय युवाओं ले जाने के लिए वियतनाम के रास्ते का प्रयोग किया जा रहा है. झारखंड के कुछ युवाओं को झारखंड से वियतनाम और थाईलैंड के रास्ते कंबोडिया भेजा गया था. विदेश पहुंचने पर पीड़ितों को स्कैम सेंटर में बाकायदा प्रशिक्षित किया जाता है, उन्हें व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक पर फर्जी अकाउंट बनाने, व्हाट्सएप चैट के माध्यम से आकर्षक इन्वेस्टमेंट ऑफर के साथ-साथ साइबर ठगी के लिए लोगों से कैसे संपर्क करना है, इसकी ट्रेनिंग दी जाती है. भारत से तस्करी कर ले जाए गए लोगों को डरा धमका कर बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर कर दिया जाता था.

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रांचीः झारखंड के साइबर क्रिमिनल्स इंटरनेशनल साइबर अपराधियों के साथ मिलकर ठगी का नेटवर्क चला रहे हैं. इसके लिए बाकायदा दुबई, कंबोडिया, थाईलैंड और लाओस जैसे कई इंटरनेशनल वेन्यू का प्रयोग किया जा रहा है. इसमें सबसे हैरानी की बात ये है कि इस ठगी के लिए भारतीय मोबाइल नेटवर्क का प्रयोग किया जा रहा है.

साइबर क्राइम पर कार्रवाई को लेकर जानकारी देते झारखंड डीजीपी (ETV Bharat)

भारतीय सिमकार्ड का इस्तेमाल कर विदेशों से ठगी

झारखंड के साइबर अपराधियों का इंटरनेशनल साइबर क्रिमिनल्स के साथ संपर्क हो चुका है. यह सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच की जांच में साबित हो चुका है. सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच में यह भी खुलासा किया है कि विदेश में बैठकर ठगी की घटनाओं को अंजाम देने वाले इंटरनेशनल साइबर ठग भारतीय नंबरों का प्रयोग कर न सिर्फ भारत के लोगों को बल्कि दुनिया के कई देशों के लोगों को चूना लगा रहे हैं. झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि झारखंड के साइबर अपराधियों के सहयोग से इंटरनेशनल साइबर अपराधी भारतीय सिमकार्ड्स और मोबाइल फोन का प्रयोग कर ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं.

भारतीय सिमकार्ड का क्यों हो रहा प्रयोग

हाल के दिनों में पूरे देश भर में साइबर अपराधियों के खिलाफ जोरदार कार्रवाई की गई है. जिसके बाद साइबर अपराधियों ने एक नई चाल की तहत दुबई, कंबोडिया और थाईलैंड जैसे इंटरनेशनल वेन्यू को अपना कार्यस्थल बना लिया. भारत के लोगों से ठगी के लिए इंटरनेशनल साइबर अपराधियों ने न सिर्फ मानव तस्करी के जरिए युवाओं को बेहतर नौकरी का झांसा देकर विदेश बुलाकर उनसे साइबर ठगी करवाना शुरू किया. वहीं सैकड़ों की संख्या में सिमकार्ड इश्यू करवा कर ठगी के लिए विदेश में उसका इस्तेमाल भी कर रहे हैं. झारखंड पुलिस के डीजीपी अनुराग गुप्ता के अनुसार विदेश से अगर भारतीय नंबर के द्वारा ठगी के कॉल किए जाते हैं तो लोगों को लगता है कि फोन उनके देश नहीं आ रहा है. इसी चक्कर में भारतीय नागरिक साइबर अपराधियों के झांसी में आ जाते हैं और अपने खातों से पैसे लुटा देते हैं.

कबूतरबाजी कर युवाओं को ले जा रहे विदेश

झारखंड से साइबर क्राइम को अंजाम दिलवाने के लिए बेरोजगार युवकों की तस्करी की जा रही है. झारखंड के बेरोजगार युवकों को नौकरी का झांसा देकर लाओस और कंबोडिया जैसे मुल्कों में तस्करी कर ले जा जाता है और फिर उनसे वहां जबरदस्ती साइबर क्राइम करवाया जाता है. इस संबंध में सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच में एक पीड़ित के परिवार के द्वारा एफआईआर दर्ज करवाई गयी थी, जब सीआईडी की क्राइम ब्रांच टीम मामले की तफ्तीश में जुटी तब चौंकाने वाला खुलासा हुआ. इसमें जांच टीम को जानकारी मिली कि कंबोडिया, थाईलैंड, लाओस जैसे देशों के साइबर अपराधियों ने झारखंड में अपने कुछ एजेंट तैयार कर रखे थे. झारखंड के एजेंट के माध्यम से ही बेरोजगार युवकों को विदेश में नौकरी देने का झांसा देकर कंबोडिया, थाईलैंड, लाओस जैसे देशों में ले जाया जाता था. दूसरे देश में जाकर झारखंड के युवाओं को साइबर ठगी का काम करवाया जाता था. विदेशी साइबर अपराधियों ने झारखंड के वैसे सभी युवाओं के पासपोर्ट और दूसरे तरह के पहचान पत्र अपने पास जब्त कर लिए थे. मजबूरन युवाओं को साइबर ठगी का काम करना पड़ता था.

झारखंड से दो एजेंट हुए थे गिरफ्तार

झारखंड डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने साइबर क्राइम में इस्तेमाल के लिए युवाओं की तस्करी करने वाले दो एजेंटों वसीम खान और यमुना कुमार राणा को पूर्व में गिरफ्तार कर चुकी है. वसीम खान झारखंड के गिरिडीह का रहने वाला है जबकि यमुना कुमार राणा झारखंड के कोडरमा का रहने वाला है. गिरफ्तार साइबर एजेंटों के पास से कई आपत्तिजनक साक्ष्य, लेनदेन से संबंधित पासबुक, चेक बुक, लैपटॉप और विदेश भेजे गए लोगों के बायोडाटा, पासपोर्ट और वीजा का विवरण बरामद किए गए थे. लेकिन अभी भी इस रैकेट के कई एजेंट सक्रिय हैं. जिसे देखते हुए सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच अभी भी मामले की तफ्तीश में जुटी हुई है.

नेटवर्क ध्वस्त करने के लिए प्रतिबिंब करेगा मदद

झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि इंटरनेशनल साइबर रैकेट को ध्वस्त करने के लिए प्रतिबिंब ऐप को और बेहतर बनाया जा रहा है. डीजीपी के अनुसार भारत के मोबाइल नंबरों से विदेश में बैठकर साइबर फ्रॉड करने वालों का प्रतिबिंब लोकेशन ट्रैक करेगा. डीजीपी के निर्देश पर झारखंड पुलिस की टेक्निकल टीम इसके लिए काम करना शुरू कर चुकी है. गौरतलब है कि अभी तक नेशनल क्राइम रिर्पोटिंग पोर्टल (National Crime Reporting Portal) और साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर मिली शिकायतों के आधार पर झारखंड में बैठे साइबर अपराधियों का लोकेशन ट्रैक कर पुलिस कार्रवाई करती थी. प्रतिबिंब का लाभ देश के दूसरे राज्यों की पुलिस को भी मिलता है. अब प्रतिबिंब एप की क्षमता को बढ़ाकर विदेश में बैठे-बैठे साइबर फ्रॉडस का लोकेशन ट्रैक किया जाएगा जो भारत के नंबरों से देश के झारखंड सहित अन्य राज्यों में साइबर क्राइम की वारदात को अंजाम देते हैं. अब तक मिली जानकारी के अनुसार कंबोडिया, वियतनाम, लाओस, हांगकांग और दुबई में बैठकर साइबर अपराधी झारखंड सहित भारत के अन्य राज्यों में साइबर अपराधी घटना को अंजाम दे रहे हैं. ठगी की वारदातों को अंजाम देने के लिए भारतीय सिमकार्ड का प्रयोग हो रहा है.

झारखंड के युवाओं से करवाते हैं फोन

झारखंड के डीजीपी के अनुसार विदेश में बैठे साइबर अपराधी न सिर्फ हमारे देश के सिम कार्ड का प्रयोग कर रहे हैं बल्कि साइबर ठगी से संबंधित फोन करवाने के लिए भारतीय युवाओं को विदेश भी ले जा रहे हैं. विदेश में बैठकर साइबर अपराधी भारतीय युवाओं से भारतीय नंबरों से ठगी के लिए फोन करवाते हैं. अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि युवाओं को बरगलाकर विदेश ले जाया गया. लेकिन इस बात की भी जांच की जा रही है कि कहीं उनका भी साइबर अपराधियों के साथ कनेक्शन तो नहीं है.

वियतनाम के रास्ते का प्रयोग

सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच के अनुसार भारतीय सिमकार्ड और फोन करने के लिए भारतीय युवाओं ले जाने के लिए वियतनाम के रास्ते का प्रयोग किया जा रहा है. झारखंड के कुछ युवाओं को झारखंड से वियतनाम और थाईलैंड के रास्ते कंबोडिया भेजा गया था. विदेश पहुंचने पर पीड़ितों को स्कैम सेंटर में बाकायदा प्रशिक्षित किया जाता है, उन्हें व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक पर फर्जी अकाउंट बनाने, व्हाट्सएप चैट के माध्यम से आकर्षक इन्वेस्टमेंट ऑफर के साथ-साथ साइबर ठगी के लिए लोगों से कैसे संपर्क करना है, इसकी ट्रेनिंग दी जाती है. भारत से तस्करी कर ले जाए गए लोगों को डरा धमका कर बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर कर दिया जाता था.

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