रांचीः झारखंड सहित देश के कई राज्यों में विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा के दौरान पेपर लीक के मामले सामने आते रहे हैं. केंद्र और प्रदेश सरकार ने इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं. इसके बाद भी शिक्षा माफिया कानून को धता बताकर इस व्यवस्था को खुली चुनौती दे रहे हैं.
नकल की रोकथाम को लेकर केंद्र सरकार ने हाल ही में कठोर कानून बनाने की पहल की है. जिसके तहत नकल करते पकड़े जाने या परीक्षा में अनियमितता पर 10 साल की सजा और एक करोड़ जुर्माना का प्रावधान किया गया है. हालांकि केंद्र के द्वारा नकल विरोधी विधेयक लाए जाने से पहले झारखंड में इसको लेकर कानून बनाए गए हैं. जिसके तहत आजीवन कारावास और 10 करोड़ जुर्माना का प्रावधान किया गया है. केंद्र और झारखंड सरकार के नकल विरोधी कठोर प्रावधान पर नजर दौड़ाएं तो झारखंड ने अधिक सख्ती दिखाई है.
केंद्र सरकार के नकल विरोधी विधेयक में प्रावधानः
परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों का सहारा लेने वाले व्यक्ति पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना के साथ 5 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है. एग्जाम सर्विस प्रोवाइडर पर एक करोड़ तक का जुर्माने का प्रावधान. धोखाधड़ी के संगठित अपराधों में शामिल लोगों के लिए 5 से 10 साल का कारावास और न्यूनतम एक करोड़ रुपया का जुर्माना. केंद्र के विधेयक में अनुचित साधनों के तौर पर प्रश्न पत्र लीक सहित 15 कार्य आपराधिक श्रेणी में है. नकल विरोधी बिल के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा संचालित होने वाली सभी परीक्षा शामिल है.
झारखंड सरकार के नकल विरोधी विधेयक में प्रावधानः
झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम निवारण के उपाय) अधिनियम 2023 के नाम से जाना जाता है. इसके तहत कम से कम 10 साल और अधिकतम आजीवन कारावास के अलावे 10 करोड़ जुर्माना का प्रावधान है. पहली बार किसी प्रतियोगिता परीक्षा में नकल करते हुए पकड़े जाने पर 1 वर्ष की जेल और पांच लाख रुपए का जुर्माना का प्रावधान रखा गया है. वहीं दूसरी बार किसी प्रतियोगिता परीक्षा में नकल करते या पेपर लीक करने में शामिल होने पर 3 साल की सजा और 10 लाख का जुर्माना का प्रावधान है. न्यायालय द्वारा सजा होने पर संबंधित अभ्यर्थी 10 वर्षों तक किसी प्रतियोगी परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेंगे. नकल से जुड़े मामले या पेपर लीक की पहले प्रारंभिक जांच होगी कांड दर्ज करने के बाद गिरफ्तारी का भी प्रावधान किया गया है. पेपर लीक और नकल से जुड़े मामलों में बगैर प्रारंभिक जांच के एफआईआर और गिरफ्तारी का भी प्रावधान किया गया है. ये कानूनी प्रावधान झारखंड के क्षेत्र अधीन आयोजित होने वाले राज्य लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, भर्ती एजेंसी, निगमों और निकायों द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षा पर लागू होगा.
झारखंड में पेपर लीक के मामलेः
झारखंड में पेपर लीक के मामले समय समय पर सामने आते रहे हैं. यही वजह है कि झारखंड सरकार ने पिछले साल कठोर कानून बनाकर इस कार्य में लगे संगठित गिरोह पर अंकुश लगाने की कोशिश की है. इसके बाबजूद हाल ही में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा संचालित स्नातक स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा के प्रश्न लीक हो गए. 28 जनवरी को तीसरी पाली की परीक्षा का प्रश्न लीक होने के बाद जहां संपूर्ण परीक्षा रद्द कर एसआईटी जांच के आदेश दिए गए हैं, वहीं आक्रोशित छात्र सीबीआई जांच की मांग पर अड़े हैं. जेएसएससी ने पेपर लीक का मामला प्रकाश में आने के बाद नामकुम थाना में कांड दर्ज करा चुकी है. ये तो हाल की घटना है, इससे पहले पॉलिटेक्निक परीक्षा का प्रश्न राज्य में 2022 में लीक हुआ था, जिसके कारण दोबारा परीक्षा लेनी पड़ी.
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अलग राज्य गठन के बाद झारखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा आयोजित की गई. कई परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आई जिसके जांच आज भी सीबीआई कर रही है. इस मामले में आयोग के अध्यक्ष सहित कई पदाधिकारी और सदस्य जेल जा चुके हैं. झारखंड हाईकोर्ट में 15 फरवरी को इस मामले में महत्वपूर्ण सुनवाई होनी है.
नकल विरोधी कानून पर लोगों की रायः
झारखंड सहित देश के कई राज्यों में पेपर लीक के मामले सामने आते रहे हैं. ऐसे में केंद्र सरकार के द्वारा ले गए नकल विरोधी बिल और झारखंड सरकार के द्वारा बनाए गए कानून की सराहना छात्र संघों के साथ साथ शिक्षाविद और कानूनविदों ने की है. राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षाविद डॉ श्रीमोहन सिंह कहते हैं कि लड़के नकल ना करें, इसके लिए भी माहौल बनाने की आवश्यकता है. सख्त कानून बना देने से नहीं होगा बल्कि इसका अनुपालन की भी उतनी ही आवश्यकता है.
केंद्र सरकार के कानून की सराहना करते हुए कानूनविद संजय कुमार कहते हैं कि शिक्षा माफिया पर अंकुश लगाने के लिए यह बहुत ही अच्छा कदम है, मगर छोटे-मोटे नकल करने के आरोप में आने वाले विद्यार्थियों के लिए यह बहुत ही सख्त कदम हो जाएगा. वहीं छात्र नेता एस. अली कहते हैं कि केंद्र हो या राज्य का कानून, जिस तरह से झारखंड सहित देश भर में पेपर लीक के मामले आ रहे हैं, उससे भोले भाले छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. इस पेपर लीक मामले में बड़े-बड़े शिक्षा माफियाओं की भूमिका होती है. ऐसे में इस कानून के जरिए जब तक उन पर अंकुश नहीं लगाया जाता तब तक इस कानून की कोई प्रासंगिकता नहीं रहेगी.
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