श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में लोग कड़ाके की ठंड के दौरान गंभीर बिजली संकट से जूझ रहे हैं. इस पर प्रशासन ने बिजली की आपूर्ति और उत्पादन में कमी को देखते हुए बिजली बचाने के लिए निक्रोम कॉइल आधारित गैजेट के व्यवसाय पर प्रतिबंध लगा दिया है. कश्मीर घाटी में उपभोक्ताओं को बिजली वितरित करने वाली कश्मीर पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KPDCL) ने बुधवार एक आदेश जारी कर व्यापारियों से निक्रोम कॉइल आधारित हीटिंग गैजेट बेचना बंद करने के लिए कहा है. ऐसा करने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई किए जाने की बात कही गई है. इसको लेकर केपीडीसीएल ने फरवरी 2018 में भाजपा-पीडीपी सरकार द्वारा जारी किए गए एक पुराने आदेश का हवाला दिया गया है.
केपीडीसीएल ने कहा है कि निक्रोम कॉइल-आधारित क्रूड हीटर, बॉयलर और स्टीमर के निर्माण या आयात या परिवहन या बिक्री या खरीद या उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है. साथ ही कहा गया है कि ये बीआईएस या अंतरराष्ट्रीय इलेक्ट्रो-तकनीकी आयोग के आवश्यक विनिर्देशों के अनुरूप नहीं हैं. केपीडीसीएल ने सर्दियों के दौरान घाटी में हुकिंग कर बिजली चोरी का आरोप लगाने वाले उपभोक्ताओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू की है और उन पर 100 करोड़ से अधिक का जुर्माना लगाया है. सरकारी स्वामित्व वाली परियोजनाओं से जलविद्युत के कम उत्पादन होने और कश्मीर घाटी में कड़ाके की ठंड सामना कर रहे लोगों को बिजली संकट से जूझना पड़ रहा है.
इसी कड़ी में चालिया कलां में निगम ने प्रयोग किए जाने वाले हीटिंग गैजेट को जब्त कर लिया है. लेकिन, केपीडीसीएल ने कहा कि जब्ती के बावजूद उपभोक्ता बाजार से ताजा नाइक्रोम कॉइल आधारित कच्चे गैजेट खरीदते हैं, जहां ये आसानी से उपलब्ध हैं, और बिजली का दुरुपयोग करते हैं. इस संबंध में केपीडीसीएल के प्रबंध निदेशक मुसरतुल इस्लाम ने सभी अधिकारियों से कहा है कि वे बाजारों और बिजली के उपकरणों और वस्तुओं का कारोबार करने वाले व्यापारियों से नाइक्रोम कॉइल आधारित हीटर, बॉयलर और स्टीमर की उपलब्धता को स्थायी रूप से हटा दें. उन्होंने कहा कि उन्हें सलाह दी जाएगी कि वे किसी भी नाइक्रोम कॉइल आधारित हीटिंग गैजेट की खरीद और बिक्री न करें. ऐसा नहीं करने पर उसे जब्त कर लिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पारित आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए संबंधित जिला प्रशासन से संपर्क करने की भी सलाह दी गई है. बताया जाता है पिछली सरकारें निजी कंपनियों और पड़ोसी उत्तरी ग्रिड से बिजली खरीदती थीं.वहीं राजनीतिक दलों ने वर्तमान एलजी प्रशासन पर बिजली खरीद में देरी का आरोप लगाया है जिससे संकट बढ़ गया है. बता दें कि पिछले महीने प्रशासन ने कहा था कि सर्दियों के कारण, यूटी के स्वामित्व वाले संयंत्रों और केंद्रीय क्षेत्र के संयंत्रों से बिजली उत्पादन क्षमता मौजूदा कुल स्थापित उत्पादन क्षमता 3500 मेगावाट से घटकर लगभग 200 मेगावाट हो गई है.
दूसरी तरफ राजस्थान सरकार के साथ निर्माणाधीन रैटल पावर प्रोजेक्ट की बिजली बेचने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद सरकार ने एक बयान में कहा कि यूटी प्रशासनिक परिषद ने थर्मल जनरेटर से 500 मेगावाट की पक्की बिजली की खरीद की अनुमति दे दी है, जिसके लिए पीपीए पर हस्ताक्षर की प्रक्रिया चल रही है. प्रशासन ने उपभोक्ताओं पर बिजली शुल्क का भुगतान न करने का भी आरोप लगाया है, जिससे उसके पास निजी कंपनियों से बिजली खरीदने के लिए धन की कमी हो गई है. वहीं मीटर वाले और गैर-मीटर वाले दोनों क्षेत्रों में लंबी अवधि के लिए बिजली आपूर्ति में कटौती के लिए प्रशासन को राजनीतिक दलों और उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया और आलोचना का सामना करना पड़ा है.
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