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आईएमए से पास आउट हुए उधमपुर जिले के जयसूर्या जमवाल, कड़े परिश्रम, संघर्ष से हासिल किया मुकाम - IMA Passing Out Parade 2024

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 8, 2024, 5:06 PM IST

Updated : Jun 8, 2024, 6:16 PM IST

IMA Passing Out Parade 2024, Jaisurya Jamwal Passed out from IMA जम्मू कश्मीर के रहने वाले जयसूर्या भी इस बार आईएमए की पासिंग आउट परेड से अफसर बनकर निकले हैं. जयसूर्या ने अपने 15वें अटेंप्ट में सफलता हासिल की है. जयसूर्या अपने परिवार से सेना में शामिल होने वाली तीसरी पीढ़ी हैं.

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उधमपुर जिले के जयसूर्या जमवाल (Etv Bharat)
उधमपुर जिले के जयसूर्या जमवाल (Etv Bharat)

देहरादून: परिश्रम कभी बेकार नहीं जाता, संघर्ष ही एकमात्र सफलता की कुंजी है. जीवन में सफलता को लेकर यह सब बातें जयसूर्या की कहानी से भी सीखी जा सकती हैं. भारतीय सैन्य अकादमी में बतौर सैन्य अफ़सर के रूप में चयनित जयसूर्या सिंह जमवाल अपने 15 वें अटेम्प्ट में अपना लक्ष्य हासिल किया. इस दौरान उन्होंने न कभी परिश्रम का साथ छोड़ा और ना ही संघर्ष करने से घबराए. जिसका नतीजा आज सबके सामने है.

सेना में एक अफसर के तौर पर चयनित होना ना केवल कैडेट्स बल्कि उसके परिवार और क्षेत्र को भी गौरव की अनुभूति का क्षण होता है. किसी भी युवा के लिए यह रास्ता इतना आसान नहीं होता. सतत परिश्रम के बाद ही कोई युवा इस मुकाम तक पहुंचता है. जयसूर्या सिंह जमवाल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले से आने वाले जयसूर्या ने लंबे समय तक सेना में अफसर बनने की कोशिश की. आखिरकार उनकी यह कोशिश सफल भी हुई. उनका सफर काफी लंबा रहा. लगातार सेना में अफसर बनने के लिए तैयारी करते रहे. एक पल भी अपने सपने का साथ नहीं छोड़ा.

जयसूर्या सिंह जमवाल ने कई बार CDS के लिए ट्राय किया, लेकिन हर बार किसी न किसी पड़ाव पर उन्हें असफलता हाथ लगी. इसके बाद उन्होंने सेना में दूसरी रैंक पर ज्वाइन किया. इसके बाद भी सेना में अफसर बनने का सपना जयसूर्या ने छोड़ा नहीं. जयसूर्या जामवाल के अनुसार उन्होंने अपने 15वें अटेंप्ट में सफलता हासिल की. जम्मू कश्मीर, जहां आतंकवाद के साथ कई बार युवा खुद का भविष्य खराब कर लेते हैं, वहां जयसूर्या सिंह जमवाल ने तमाम युवाओं को भी प्रेरणा स्त्रोत से कम नहीं हैं. जयसूर्या अपने परिवार से सेना में शामिल होने वाली तीसरी पीढ़ी हैं. एक सैन्य अफसर के रूप में पहली बार किसी ने सेना का हिस्सा बनने में कामयाबी हासिल की है.

पढ़ें-लेफ्टिनेंट अनिकेत कुंभार ने निभाया दोस्ती का फर्ज, ऐसे जीता सबका दिल - IMA Passing Out Parade 2024

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उधमपुर जिले के जयसूर्या जमवाल (Etv Bharat)

देहरादून: परिश्रम कभी बेकार नहीं जाता, संघर्ष ही एकमात्र सफलता की कुंजी है. जीवन में सफलता को लेकर यह सब बातें जयसूर्या की कहानी से भी सीखी जा सकती हैं. भारतीय सैन्य अकादमी में बतौर सैन्य अफ़सर के रूप में चयनित जयसूर्या सिंह जमवाल अपने 15 वें अटेम्प्ट में अपना लक्ष्य हासिल किया. इस दौरान उन्होंने न कभी परिश्रम का साथ छोड़ा और ना ही संघर्ष करने से घबराए. जिसका नतीजा आज सबके सामने है.

सेना में एक अफसर के तौर पर चयनित होना ना केवल कैडेट्स बल्कि उसके परिवार और क्षेत्र को भी गौरव की अनुभूति का क्षण होता है. किसी भी युवा के लिए यह रास्ता इतना आसान नहीं होता. सतत परिश्रम के बाद ही कोई युवा इस मुकाम तक पहुंचता है. जयसूर्या सिंह जमवाल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले से आने वाले जयसूर्या ने लंबे समय तक सेना में अफसर बनने की कोशिश की. आखिरकार उनकी यह कोशिश सफल भी हुई. उनका सफर काफी लंबा रहा. लगातार सेना में अफसर बनने के लिए तैयारी करते रहे. एक पल भी अपने सपने का साथ नहीं छोड़ा.

जयसूर्या सिंह जमवाल ने कई बार CDS के लिए ट्राय किया, लेकिन हर बार किसी न किसी पड़ाव पर उन्हें असफलता हाथ लगी. इसके बाद उन्होंने सेना में दूसरी रैंक पर ज्वाइन किया. इसके बाद भी सेना में अफसर बनने का सपना जयसूर्या ने छोड़ा नहीं. जयसूर्या जामवाल के अनुसार उन्होंने अपने 15वें अटेंप्ट में सफलता हासिल की. जम्मू कश्मीर, जहां आतंकवाद के साथ कई बार युवा खुद का भविष्य खराब कर लेते हैं, वहां जयसूर्या सिंह जमवाल ने तमाम युवाओं को भी प्रेरणा स्त्रोत से कम नहीं हैं. जयसूर्या अपने परिवार से सेना में शामिल होने वाली तीसरी पीढ़ी हैं. एक सैन्य अफसर के रूप में पहली बार किसी ने सेना का हिस्सा बनने में कामयाबी हासिल की है.

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Last Updated : Jun 8, 2024, 6:16 PM IST
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