पुरी: ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में भक्तों का जनसैलाब उमड़ा. विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा देशभर में शुरू हो गई है. यात्रा के दूसरे दिन भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम संग गुंडिचा माता के मंदिर पहुंचे. भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन कुछ दिनों के लिए यहीं आराम करेंगे. तीनों रथ अब मंदिर के सामने सारदा बाली में खड़े कर दिए गए हैं.
तीन अलग-अलग रथों की सवारी
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर विशाल रथ यात्रा निकाली जाती है, फिर आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष 10वीं तिथि पर इसका समापन होता है. इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र संग साल में एक बार प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मंदिर में जाते हैं. इस रथ यात्रा में तीन अलग-अलग रथ हैं, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बलराम हैं.
सबसे पहले भगवान बलभद्र का तालध्वज रथ गुंडिचा मंदिर पहुंचा, फिर देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ और अंत में भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ मंदिर पहुंचा. वार्षिक रथ यात्रा के दौरान, तीनों देवता जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह से एक औपचारिक जुलूस के माध्यम से गुंडिचा मंदिर की बहुप्रतीक्षित यात्रा के लिए निकलते हैं.
कल होगा अडापा मंडप बिजे का आयोजन
भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों का अडापा मंडप बिजे अनुष्ठान कल पुरी गुंडिचा मंदिर (मौसीमा मंदिर) में आयोजित किया जाएगा. रथ यात्रा के एक दिन बाद, तीनों भाई देवता भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा गुंडिचा मंदिर के गर्भगृह के अंदर अदपा मंडप में प्रवेश करेंगे. अनुष्ठानों के अनुसार, पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद सबसे पहले रामकृष्ण और मदनमोहन मंदिर में प्रवेश करेंगे. इसके बाद चक्रराज सुदर्शन का प्रवेश होगा. भगवान बलभद्र को पहांडी बिजे में मंदिर के अंदर ले जाया जाएगा. फिर देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ मंदिर में भव्य प्रवेश करेंगे. इस दौरान, भक्त मंदिर में तैयार किए गए विशेष प्रसाद 'अदपा अभादा' का आनंद ले सकते हैं.
गुंडिचा मंदिर क्यों जाते है भगवान
जगन्नाथ पंथ के अनुसार, गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों का मौसी का घर माना जाता है, जहां वे सालाना नौ दिनों के प्रवास पर जाते हैं. रथ यात्रा के दौरान त्रिदेवों के रथ सारधा बाली में खड़े होते हैं. इसलिए सारधा बाली की रेत बहुत शुभ होती है। भक्त भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद पाने के लिए पवित्र रेत को अपने सिर और शरीर पर लगाते हैं.
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